Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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सांब
प्राचीन चरित्रकोश
सायक
प्राप्त हुआ। भागवत में इसे शिवपुत्र गुह का अवतार | मौसल युद्ध--दूसरे दिन, सुबह होते ही इसके पेट से कहा गया है (भा. १.१०.२९)।
| लोहे का मूसल उत्पन्न हुआ। यादव लोगों ने इस मूसल पराक्रम--यह अत्यंत पराक्रमी था,एवं कृष्ण के द्वारा का नाश करने का काफ़ी प्रयत्न किया, किन्तु उससे कुछ किये गये बहुत सारे युद्धों में इसने भाग लिया था। यादव | फायदा न हो कर, इसी मूसल से इसका एवं समस्त यादवों सेना के साथ इसने बाणासुर की नगरी पर आक्रमण किया का नाश हुआ। प्रभास क्षेत्र में मैरेयक नामक भद्य पीने था, एवं बाणासुर के पुत्र के साथ युद्ध किया था (भा. १०.
के कारण इसकी स्मृति नष्ट हुई, एवं उसी क्षेत्र में हुए ६१.२६ )। शाल्व के आक्रमण के समयं इसने द्वारका | मौसल युद्ध में अपने भाई प्रद्युम्न से लड़ते लड़ते इसकी नगरी का रक्षण किया था ( भा. १०.६८.१-१२)। इस | मृत्यु हुई (भा. ११.३०.१६)। समय शाल्व के सेनापति क्षेमधूर्ति के साथ इसका घमा सूर्योपासना--अत्यंत स्वरूपसंपन्न होने के कारण यह सान युद्ध हुआ था । कृष्ण के अश्वमेधीय अश्व के साथ अत्यंत स्वैराचारी था, यहाँ तक कि, कृष्ण की कई पत्नियाँ एवं भी यह उपस्थित था।
इसकी सापत्न माताएँ इस पर अनुरक्त थीं। अपने पुत्र द्रौपदीस्वयंवर के लिए उपस्थित राजाओं में यह भी एवं पत्नियों के दुराचरण की यह बात कृष्ण को नारद के शामिल था (म. आ. ९७७.१६)। रैवतक पर्वक पर द्वारा ज्ञात हुई । इस कारण क्रुद्ध हो कर, उसने इसे अर्जुन के द्वारा किये गये सुभद्राहरण के समय यह | कुष्टरोगी होने का, एवं अपनी पत्नियों को चोर लटेरों के उपस्थित था (म. आ. २११.९)।
द्वारा भगाये जाने का शाप प्रदान किया । तदनुसार, यह लक्ष्मणा का हरण--दुर्योधनकन्या लक्ष्मणा के स्वयंवर
कुष्ठरोगी बन गया, एवं द्वारका नगरी डूब जाने के पश्चात् के समय इसने उसका हरण किया। उस समय कौरवों ने
कृष्णस्त्रियों का आभीरों के द्वारा अपहरण किया गया। . इसे कैद किया। यह वार्ता सुनते ही बलराम समस्त | तत्पश्चात् कुष्ठरोग से मुक्ति प्राप्त करने के लिए. नारद यादवसेना के साथ इसकी सहायतार्थ दौड़ा। पश्चात् | के सलाह के अनुसार इसने सूर्योपासना प्रारंभ की, एवं बलराम के युद्धसामर्थ्य से घबरा कर दुर्योधन ने इसकी इस प्रकार यह कुष्ठरोग से मुक्त हुआ। इसके सूर्यतपत्या लक्ष्मणा से विवाह को संमति दे दी ( भा. १०.६८)। का स्थान चंद्रभागा नदी के तट पर स्थित सांबपुर (मूलस्थान)
प्रभावती का हरण--सुपुर नगरी के व्रजनाभ नामक | था, जिस नगरी की स्थापना इसने ही की थी। सूर्य की राजा के प्रभावती नामक कन्या का इसने हरण किया। उपासना करने के लिए इसने मग नामक ब्राहाण शाकतद्हेतु यह अपने भाई प्रद्यम्न के साथ-नाटक मंडली का | द्वीप से बुलवाया (सांब. ३; भवि. ब्राहा. ६६.७२खेल ले कर सुपुर नगरी में गया। वहाँ इन्होंने 'रम्भाभिसार' । ७३; ७५; १२७; स्कंद. ४.१.४८;६.२१३; मग देखिये)। 'कौबेर' आदि नाट्यकृतियों का प्रयोग किया, जिनमें
इसकी मृत्यु के पश्चात् मग ब्राह्मण मूलस्थान में ही निवास प्रद्युम्न ने नायक का, एवं इसने विदूषक का काम किया | करने लगे। मूलस्थान का यह प्राचीन सूर्य मंदिर, एवं वहाँ था (ह. व. २.९३)। पश्चात् इसने प्रभावती का हरण | स्थित मग ब्राह्मण भारत में आज भी ख्यातनाम हैं। किया।
२. एक अंत्यज, जिसकी कथा गणेश-उपासना का दुर्वासस् का शाप--यह शुरू से ही अत्यन्त शरारती
माहात्म्य बताने के लिए गणेश पुराण में दी गयी है था, एवं इसकी कोई न कोई हरखत हमेशा चलती ही (गणेश. १.५९)। रहती थी। एक बार इसके सारणादि मित्रों ने इसे स्त्री ___३. चक्रपाणि राजा का प्रधान, जिसकी कथा गणेश वेश में विभूषित किया, एवं इसे दुर्वासस् ऋषि के पास
उपासना का माहात्म्य बताने के लिए गणेश पुराण में दी ले जा का झटी नमता से कहा यह बभ यादव की गयी है (गणेश. २.७३.१३)। पत्नी गर्भवती है । आप ही बतायें कि, इसके गर्भ से | ४. एक सदाचारी ब्राह्मण, जिसने धृतराष्ट्र के वनक्या उत्पन्न होगा। यदपत्रों की इन जलील हरकतों | गमन के समय प्रजा की ओर से उसे सांत्वना प्रदान से क्रुद्ध हो कर दुर्वासस् ने कहा, 'श्रीकृष्ण का | की थी (म. आश्र. १५.११)। यह पुत्र सांब लोहे का एक भयंकर मूसल उत्पन्न करेगा, सांमद मत्स्य-एक वैदिक सूक्तद्रष्टागण (ऋ. ८.६७)। जो समस्त वृष्णि एवं अंधक वंश का संपूर्ण विनाश सायक जानश्रुतेय-एक आचार्य,जो जनश्रुत काड्विय कर देगा।
नामक आचार्य का शिष्य था (जै. उ. ब्रा. ३.४२.२)। १०३६