Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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सुमति
प्राचीन चरित्रकोश
सुमंत्र
उत्पन्न हुए थे, जो 'सागर' नाम से प्रसिद्ध थे (ब्रह्मांड. ३. ४. एक केकय राजकन्या, जिसका देवलोक में रहने ६३.१५९)।
वाली शांडिल्या देवी से पातिव्रत्य के संबंध में संवाद भागवत में इसे विदर्भराजा की कन्या कहा गया हुआ था (म. अनु. १८५)। है (भा. ९.८.९ )। इसे महती (ब्रह्मांड. ८.६४ ), एवं सुमन्त--(सो. अनु.) एक राजा, जो कूर्म के प्रभा यादवी (मत्स्य. १२.४२) आदि नामान्तर भी अनुसार कौशिक राजा का पुत्र था। प्राप्त थे। और्व ऋषि की कृपा से इसे साठ हज़ार पुत्र
सुमन्तु--एक आचार्य, जो व्यास की अथर्व उत्पन्न हुए थे (पद्म. उ. २०-२१; म. व. १०४
वेद शिष्यपरंपरा में से एक शिष्य था। व्यास ने इसे १०७; पहा. उ. २०-२१; ब्रह्मवै. २.६१.१०; सगर
महाभारत का भी कथन किया था ( भवि. ब्राह्म. १.३०देखिये)।
३८)। यह जैमिनि नामक आचार्य का पुत्र, एवं सुत्वन्सुमद--एक राजा, जिसने कामाक्षी देवी के कहने
(सुन्वन्) नामक आचार्य का पिता था। इसके शिष्यों में पर अपना राज्य शत्रुघ्न को प्रदान किया (पन. पा.
कबंध नामक आचार्य प्रमुख था। १२-१३)।
सुमध्यमा--मदिराश्च राजा की कन्या, जो हिरण्य- युधिष्ठिर की मयसभा में यह उपस्थित था। इसने हस्त ऋषि की पत्नी थी (म. अनु. १३७. २४)।
शतानीक नामक अपने शिष्य को 'भागवत' एवं 'भविष्य सुमन--एक नाग, जो कश्यप एवं कद्र के पुत्रों में से | पुराण' कथन किया था। शरशय्या पर पड़े हुए भीष्म एक था।
से मिलने यह उपस्थित हुआ। सुमनस्-(स्वा. उत्तान.) एक राजा, जो उल्मुक एवं २. एक आचार्य, जो व्यास की सामशिष्यपरंपरा में पुष्करिणी के पुत्रों में से एक था ( भा. ४.१३.१७)। से जैमिनि नामक आचार्य का शिष्य था।
२. रुद्रसावर्णि मन्वन्तर का एक देवगण | ___३. अट्टहास नामक शिवावतार का एक शिष्य । ३. प्रसूत देवों में से एक।
४. एक स्मृतिकार, जिसके द्वारा रचित स्मृति के गद्य ४. वसिष्ठकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ।
एवं पद्य उद्धरण 'मिताक्षरा', 'विश्वरूप, 'सरस्वती५. वरुणसभा में उपस्थित एक असुर (म. स. | विलास' आदि में प्राप्त हैं। मिताक्षरा में इसके निम्न९.१३)।
विषयों से संबंधित उद्धरण प्राप्त है :--१. ब्राहत्त्या ६. यमसभा में उपस्थित एक राजा (म. स. ८.११)।। (३.२३७); २. मद्यपान (३.२५०); ३. सवर्ण का
७. एक किरात राजा, जो युधिष्ठिर की सभा में उपस्थित | अपहरण (३.२५२), ४. परदारागमन (३.२५३था (म. स. ४.२२)।
२५४);५. गोहत्त्या (३.२६१)। ८. पितृवर्तिन् के हंसयोनि में उत्पन्न भाइयों में से एक | (पितृवर्तिन् देखिये)।
५. विदर्भ देशाधिपति भीम राजा का नामान्तर (भीम
| वैदर्भ देखिये)। सुमना-दशार्णाधिप चारुवर्ण राजा की कन्या, जिस
सुमन्तु बाभ्रव गौतम--एक आचार्य, जो वासिष्ठ से भद्रराजपुत्र महानंद, एवं विदर्भराज संऋदनपुत्र
| अरेहण्य राजन्य नामक आचार्य का शिष्य, एवं शूष वाह्नेय वपुष्मत् ये दोनोही प्रेम करते थे। इसने अपने स्वयंवर में
भारद्वाज नामक आचार्य का गुरु था (वं. वा. २)। नरिष्यंत पुत्र दम को पति के रूप में स्वीकार किया। इस कारण इस से प्रेम करनेवाले दोनों राजपुत्रों ने इसका सुमंत्र--दशरथ के अष्टप्रधानों में से एक । राम दाशरथि हरण किया । कालोपरांत दम ने महानंद का वध कर, के वनवास के समय, यह उसे भागीरथी नदी तक पहुँचाने एवं वपुष्मत् को पराजित कर इससे विवाह किया ( मार्क. । आया था। १३०)।
राम दाशरथि के राज्यकाल में यह उसका भी अमात्य २. च्यवन ऋषि की कन्या, जिसके पति का नाम सोम- | था। राम के अश्वमेध यज्ञ के समय, अश्वरक्षणार्थ नौ शर्मन् था।
पराक्रमी वीरों का एक दल तैयार करने की आज्ञा राम ३. मधु नामक राजा की पत्नी, जिसके पुत्र का नाम | ने इसे दी थी (पद्म. पा. ११)। वीरजन था।
। २. दशरथ का एक सारथि (म. वि. ११.२४२५ )। १०६८