Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna

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Page 1195
________________ गौतम धर्मसूत्र कालनिर्णयकोश भगवद्गीता गौतम धर्मसूत्र -ई. पू. ६००-ई. पू. ४०० (डॉ. निरुक्त (यास्ककृत)---ई. पू. ८००-५०० काणे); ई. पू. ६०० (ध. र. २३०); ई. पू. ३५० पतंजलिकृत योगसूत्र--ई. पू. १००-ई. स. ३००; (डॉ. जायसवाल ); पुनर्सस्करण ई. पू. २००। १५० ई. पू. (डॉ. भांडारकर ) (म. उ. ५८)। चरक संहिता-ई. पू. २ री शताब्दी, जो काल | पतंजलिकृत व्याकरण महाभाष्य-ई. पू. १५०आचार्य चरक कनिष्क राजा के समकालीन होने के कारण | ई. स. १०० (म. उ. ५८); ई. पू. १४० (पु. नि. निश्चित किया गया है । इस ग्रंथ का उपलब्ध संस्करण | २८९)। दृढबल वाग्भट के द्वारा किया गया है, जिसका काल ई. | पद्म पुराण--ई. स. १४ वीं शताब्दी; उत्तरकाण्डपू. १ ली शताब्दी माना जाता है । . ई. स. ९००-१५०० (हजरा)। चार्वाक दर्शन--युधिष्ठिरशक ६६१।। पराशर स्मृति--ई. स, १००-५०० (डॉ. काणे, जातूकर्ण्य स्मृति-ई. स. २००-४०० (डॉ. काणे)। पृ. १५५)। जैन सूत्र-ई. पू. ३०० । इन सूत्रों में निम्नलिखित पाणिनिकृत अष्टाध्यायी--ई. पू. ५००-ई. पू. ग्रंथ समाविष्ट हैं:--१. आचारांग सूत्र; २. सूत्रकृतांग; ३००; ई. पू. १२००-ई. पू. ६०० (पु. नि. २९१३. स्थानांग; ४. समवायांग; ५. भगवती सूत्र;६.ज्ञाताधर्म- | ९२); ई. पू. ४८०-४१० (डॉ. आगरवाल)। कथा; ७. उपासकदशांग; ८. अंतकृद्दशां; ९. अनुत्तरौप- पारस्कर गृह्यसूत्र-ई. पू. ५००; वर्तमान संस्करणपार्तिकदीगः १०. प्रश्नव्याकरण; ११. विपाक; १२. २०० ई. पू. (डॉ. जायसवाल)। . .. दृष्टिवाद। पुलस्त्य स्मृति--ई. स. ४००-७०० (डॉ. काणे, जैमिनि अश्वमेध--ई. पू. १०० (पु. नि. ८२)। | २२८)। जैमिनिकृत पूर्वमीमांसा-ई. पू. ४००-ई. पू. बृहस्पति स्मृति--ई. स. २००-४०० ( डॉ. काणे, . २००। | २१०); ई. स. ७ वीं शताब्दी (सेक्रेड बुक्स ऑफ दी तैत्तिरीय संहिता-ई. पू. ४०००-ई. पू. १०००; ईस्ट, ३३.२७६)। कई सूक्त ई. पू. ४००० के पूर्व (डॉ. काणे); ई. पू. बौधायन धर्मसूत्र--ई. पू. ५००-२०० (डॉ. २३५० (लो. तिलक, ओरायन); ई. पू. १४२६ (वेद- काणे, ३०)। . कालनिर्णय पृष्ठ २६)। ___ बौधायन श्रौतसूत्र--ई. पू. ८००-४०० (डॉ. त्रिपिटक–ई. पू. १ ली शताब्दी । बौद्ध धर्म के ये | नाटक काणे, गीतारहस्य ५६२)। अनुश्रुतिग्रंथ विनयपिटक (७ ग्रंथ ), सुत्तपिटक (५ बौधायन स्मृति--ई. पू. ४०२ (स्मृति देखिये )। संकलन), अभिधम्मपिटक (७ ग्रंथ ) इन तीन विभागों ब्रह्म पुराण--मूल रचना-ई. स. ५ वीं शताब्दी के में विभाजित है। | पूर्व; ई. स. १० वी-१२ वीं शताब्दी; वासुदेवमहात्म्य देवल स्मृति-ई. स. ४००-६०० (डॉ. काणे. पृ. | अ. १७६-२१३-१३ वी शताब्दी (हजरा)। ब्रह्मवैवर्त पुराण--ई. स. ८००-९०० (ह. प्र. देवी पुराण--७ वीं शताब्दी का उत्तरार्ध (हजरा)। | १५९)। धर्मसिंधु (काशीनाथ उपाध्याय कृत)-ई. स. | ब्रह्मांड पुराण--ई. स. ३००-६०० ( हजरा); ई. १७९०। स. ४०० के पूर्व (पु. नि. १४३); ई. स. ४ थी-५ वी नंदी पुराण--८ वीं-९वीं शताब्दी (हजरा)। शताब्दी (ह. प्र.)। नारद पुराण---ई. स. ७००-१००० (हजरा)। | बृहद्धर्म पुराण--१३ वीं-१४ वीं शताब्दी। इस पुराण में अन्य पुराणों की एक सूची प्राप्त है, बृहस्पति स्मृति--ई. स. ३००-५००। जिसका काल ई. स. ५०० के पूर्व का माना जाता है भगवद्गीता-ई. पू. २०० (विंटरनिट्ज); ई. (पु. नि. ९४)। पू. ५०० (गी. र. ५६४); ई. पू. ५००-२०० (डॉ. नारद स्मृति--ई. स. १००-४०० ( डॉ. काणे.)। | काणे.); ई. पू. २०००-१००० चिं. वि. वैद्यकृत संस्कृत नृसिंह पुराण-९ वी शताब्दी (हजरा); ई. स. | वाङ्मय का इतिहास); ई. पू. ११९७ (ध. र. १६६१४०० के पूर्व (ह. प्र.)। ११७५ २२१)।

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