Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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विषयसूचि
(इस सूचि में विशेष महत्त्वपूर्ण विषयों का ही केवळ अंतर्भाव किया गया है ) ।
अग्नि के तीन प्रकार - अन्वाहार्य आहवनीय एवं याज्ञवल्क्य वाजसनेय ६८९ - ६९०; वामदेव गौतम ८२५; गार्हपत्य (सत्यकाम जाबाल ) १००८ | शुक वैयासकि ९७५; सत्यकाम जाबाल १००७; सत्यत्रत १०१२ ।
अयोनिसंभव (संतान) - स्त्रीगर्भ के बिना जन्म हुई व्यक्ती ( धृष्टद्युम्न, द्रोण द्रौपदी ) ३०७ । --अग्नि से ( सीता ) १०४३; यज्ञ से ( द्रौपदी, धृष्टद्युम्न ३१० ); कुंभ से (अगस्त्य, एवं वसिष्ठ ) ८०८; जंघा से (और्व ) १०५; द्रोण में से (द्रोण ) ३०७ रक्तबिंदु से ( अंधक, सीता ) २३; १०४३; कान की मैल से ( मधुकैटभ) ६३०; अश्रुबिंदुओं से ( बिंदुमती, मंगल ) ५१० ५९६; घर्मबिंदु से ( अंधक, मकरध्वज, मंगल, मधुकैटभ) २३; ५९६; ६०३ /
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-- ब्रह्मा के शरीर के विभिन्न अवयवों से ( विभिन्न पशु ) ५२८-५२९; ब्रह्मा के वामांग से ( शतरुपा ) ९४०; · मृत्तव्यक्ति के बाहिने हाथ एवं दाहिनी जंघा के मंथन से ( पृथु बैन्य, निषाद) ९०७; मछली से (सत्यवती) - १०११; सरस्वती नदी से ( सारस्वत ) १०३७ ।
अर्थस्य पुरुषो दासः -- तात्त्विक अर्थ ( भीष्म ) ५७८ असुर संघ - कालकेय १३८; त्रिपुर २५२; वृत्र ८९७; सैंहिकेय १०८५ | अरत्र—अग्नि अस्त्र (सगर) १००१; आग्नेय ( और्य; द्रोण ) १०५; ३०७; ऐषिक (अश्वत्थामन्) ८२; -- नारायण ( अश्वत्थामन्, भीम ) ४६ ५६२ ; ब्रह्म ( रुक्मिन्, हनुमत् ) ७५३; ११००; --महावीर्य ( वेदशिरस् ) ९०६; मायावी ( बभ्रुवाहन ) ४३०; वारुण ( भीम) ५६२; वैष्णव (भगदत्त ) ५३४; सुदर्शन ( इंद्रद्युम्न २. ) ७५ ॥
आख्यान -- आख्यानकथन ( लोमश ) ७९०; कुणप - आख्यान ( संवर्त आंगिरस ) १००; यायात आख्यान (पूर्व एवं उत्तर ) ६८०; वीरक आख्यान ( वीरभद्र ); शुनःशेप आख्यान (रोहित) ७७५; हरिश्चंद्र आख्यान ( विश्वामित्र) ९७८ ।
आत्मसमर्पण -- दधीचि २६४; यम वैवस्वत ६७५ । आत्मज्ञान (परमज्ञान ) की प्राप्ति - गौतम बुद्ध ११२७; दत्त आत्रेय २६१; महावीर वर्धमान ११२०;
आश्रमस्थान - जामदग्न्य ३९४; परशुराम ३९४; दत्त आत्रेय २६१; भृगु (भृगुतुंग ) ५८७; लोमश ७९०; वसिष्ठ ( वसिष्ठशिला; कृष्णशिला ) ८०७; वामन ८२६; वाल्मीकि ८३३; विश्वामित्र ८७३; विश्रवस् ८६६; शतयूप
७०७ ।
आसुरी सांप्रदाय ८६१ |
ऋग्वेद के सूक्त --आप्री सूक्त ( विश्वेदेव ) ८७७ नदी सूक्त (विश्वामित्र ) ८७६; खिल सूक्त ( वालखिल्य ) ८२८; निद्रा सूक्त ८०९; महामृत्युंजय सूक्त ८०९ ।
ऋषिसमूह -- यायावर ६९४; वातरशन ८१९६ वालखिल्य ८२८; विभिदुकीय ८५४; विश्वसृज ८७०; वेदव्यास ९०६ ; वैखानस ९०८; स्वस्त्यात्रेय १०९५ ।
कामशास्त्रकार - बाभ्रव्य पांचाल ५०७ वात्स्यायन ८२०-८२२; वात्स्यायन के पूर्वाचार्य - कुचुमार; गोणिकापुत्र गोनर्दीय; घोटकमुख; चारायणाचार्य; दत्तका - चार्य; नंदिन् ८२१; श्वेतकेतु औद्दालकि ९९७ ।
कालगणना- - पुराणों की १०६९-१०७०; ब्रह्मा की ५३ ।
कालनिर्णय - कालनिर्णय कोश १९६९-११८०; ग्रंथों का कालनिर्णय ११७२; व्यक्तियों का कालनिर्णय ११७८ । -- कौटिलीय अर्थशास्त्र ८८९; पतंजलि ३८२; पाणिनि ४०६; भरत ५४३; मनुस्मृति ६१५; महाभारत १०८८; याज्ञवल्क्य वाजसनेय ६८८; लगध ७८४; वात्स्यायन ८२१; वाल्मीकि रामायण ८३६; व्याडि दाक्षायण ९१६; श्वतकेतु औद्दलकि आरुणेय ९९५ ।
कुलपांसन नरेश - अजबिंदु १३ ; अर्कज ५०१; जनमे - जय नीप (६.) २२; दुःशासन २७०; धारण ३२३; धौतमूलक ३३२; पुरूरवस् ( २ ) ४३६; बाहु ( ३ ) ५०९; वरप्र ७९७ विगाहन ८४०; शम (६.) ९४५ सहज १०२७; हयग्रीव १९०४ ।
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