Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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भगवद्गीता
प्राचीन चरित्रकोश
वायु पुराण
भगवद्गीताकथन की तिथि-- मार्गशीर्ष शुक्ल १३ , माठरकृत माठरवृत्ति-(सांख्यकारिकाभाष्य) ई. (भारतसावित्री, नीलकंठी टीका ); मार्गशीर्ष शुक्ल ११ स. ४००-५००। (ज. स. करंदीकर ); मार्गशीर्ष अमावास्या (ध. र.)। मार्कडेय पुराण-ई. स. ३००-६०० (हजरा );
भविष्य पुराण--६ वी-७ वी शताब्दी (हजरा)। 'सप्तशती' आख्यान-ई. स. ९९८ । शंकराचार्य, बाणभविष्योत्तर पुराण--ई. स. १०० (हजरा)। भट्ट एवं मयुरभट्ट ने अपने ग्रन्थों में इस पुराण का निर्देश
भागवत--५ वीं-१० वीं शताब्दी (हजरा); ५ वीं किया है। शताब्दी के मध्य में (कृष्णमूर्ति शर्मा ); ९ वीं शताब्दी मेधातिथिकृत मनुस्मृतिभाष्य--ई. स. ८२५(डॉ. काणे); ई. स. ८०० के पूर्व में (पु. नि. ९०); ९००। ई. स. ३९८ (ध. र.)।
मैत्र्युपनिषद-ई. पू. १९०० (चिं. वि. वैद्यकृत भासकृत नाट्यकृतियों-ई, स. २००-३०० । संस्कृत वाङ्मय का इतिहास)। (गी. र. ५५५); ई. पू. २००-३०० (पं. गणपति- यमस्मृति-(स्मृति देखिये)। शास्त्री)।
यास्ककृत निरुक्त-ई. पू. ७००। मत्स्य पुराण-ई. स. २००-४०० (हजरा ); ई. याज्ञवल्क्य स्मृति-ई. पू. ३००-ई. स. १०० (डॉ. स. २ री शताब्दी के पूर्व में (ह. प्र. १९१; पु. काणे. १८४); ई. पू. १०२ (ध. र. २२७)। नि. १५२)।
युक्तिदीपिका (सांख्यकारिकाभाष्य)-ई. स. ६००मनु स्मृति-ई. पू. २००-ई. स.१०० (डॉ. काणे); | ६५०। ई. पू. १५२ (स्मृति देखिये)।
लगधकृत ऋग्वेदी वेदांगज्योतिष-- ई.प. महाभारत-ई. पू. १४०० (हिस्ट्री ऑफ इंडियन १२६९-११८१ (लो. टिळक-ओरायन ३७-३८); कल्चर अँड पीपल), जो कालनिर्णय पुराणों में प्राप्त ई. पू. १४०० (भा. ज्यो. ८८)। कलियुगीन राजाओं की वंशावलि, एवं आचार्यों की लिखित स्मृति-ई. पू. ४०२-२०२ (डॉ. काणे,
नामावलि के आधार पर तय किया गया है । इसी ग्रंथों २३७)। . के आधार से पार्गिटर ने भारतीय युद्ध का काल ९५० ई.
वररुचिकृत प्राकृतप्रकाश-ई. स. ६ वीं शताब्दी। प. तय किया है। किन्तु इस कालनिर्णय की अपेक्षा ई. पू.
वराह पुराण-ई.स.१० वीं शताब्दी के पूर्व (हजरा)। १४०० ही अधिक सुयोग्य प्रतीत होता है।
वराहमिहिरकृत 'बृहज्जातक,' 'बृहत्संहिता,' ज्योतिषशास्त्रीय अनुमान-आर्यभट के अनुसार एवं पंचसिद्धांतिका'-ई. स. ५००-५७५।। भारतीय युद्ध का काल ई. पू. ३१०२ तय किया गया
वसिष्ठ धर्मसूत्र--ई. पू. ५००-३०० (डॉ. काणे) है। वृद्धगर्ग, वराहमिहिर एवं कल्हण के अनुसार
वसिष्ठ स्मृति--ई. पू. ६०० (डॉ. काणे)। २४४९ ई. पू. माना गया है।
वाग्भट--ई. स. ४ थी शताब्दी। डॉ. जायसवाल के अनुसार महाभारत की आधार
वाचस्पतिकृत योगसूत्रभाष्य-ई. स. ८२०भूत सामग्री यद्यपि प्राचीन है, फिर भी उसका उपलब्ध
९००। संस्करण ई. पू. १५० में तैयार किया गया है, एवं ई. स. ५०० तक उस संस्करण में अनेकानेक नई सामग्री का
वात्स्यायन कामसूत्र--ई. स. ३०० (चकलदार)। जोड़ देने का कार्य शुरू था।
वात्स्यायन न्यायसूत्रभाष्य--ई. स. ४०० (डॉ. __डॉ. सुखटणकर के अनुसार, महाभारत की रचना
| विद्याभूषण)। सर्वप्रथम बद्रिकाश्रम में हुई, एवं ई. पृ. ३ री --२ री वामन पुराण--ई. स. ६००-९०० (हजरा); ई. शताब्दी तक भृगुवंशीय ब्राह्मणों के द्वारा उसके संपादन, स. २ री शताब्दी (ह. प्र. १८३)। परिवर्तन एवं संशोधन का कार्य होता ही रहा। चिं. वि. वायु पुराण--ई. स. ३५०-५५० (हजरा); मूलग्रंथ वैद्य एवं जयचन्द्र विद्यालंकार के अनुसार, महाभारत का. की रचना ई. पू. २०३८ (ध. र. १६४); उपलब्ध मूल रचनाकाल ३५० ई. पू. एवं ५०० ई. पू. माना ! संस्करण ई. स. ६२० (पार्गि. ५०); ई. स. ४०० (पु. जाता है।
| नि. ७०)। ११७५