Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna

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Page 1194
________________ अग्नि पुराण प्राचीन चरित्रकोश गौडपाद अग्नि पुराण--ई. स. ६००-९०० (हजरा); रचनाकाल ई. पू. ४००० ई.पू. १५००; ऋक्ससंहिता ई. स. ५००-५५० (पु. नि. १०२); ई. स. ८००- का संहिताकरण (कृष्णद्वैपायन व्यास के द्वारा)- ई. पू. ९०० (ह. प्र. १४७ )। २०००-ई. पू. १५००)। अपराकृत याज्ञवल्क्यस्मृतिभाष्य--ई. स. | एकाघ्र पुराण (ओरिसा)--१० वीं-११ वीं शताब्दी ११००-११३० (डॉ. काणे)। अष्टांगहृदय-६ वी शताब्दी । ऐतरेय ब्राह्मण--ई. पू. ४०००-ई. पू. १०००। अथर्ववेद संहिता-ई. पू. ४०००-ई. पू. १०००; | कपिलकृत सांख्यसूत्र-ई. पू. ६ वी शताब्दी । कई सूक्त ई. पू. ४००० के पूर्व । कल्कि पुराण--१८ वी शताब्दी (हजरा)। आदि पुराण--ई. स. १२०३-१२२५ (हजरां)। आपस्तंब गृह्य, धर्म एवं श्रौतसूत्र-ई. पू. ८०० कपिल संहिता-ई. स. ११००-१२०० (ह. प्र. -४०० (डॉ. काणे); ई. पू. ३ री शताब्दी के पूर्व २१८)। (गी. र. ५६१-५६२ ); ई. पू. १४२० (चिं. वि. वैद्य, | कल्हणकृत राजतरंगिणी--ई. स. ११५०-ई. स. संस्कृत वाङ्मय का इतिहास (अंग्रेजी), ३.७३)। । ११६०। आर्यभटकृत 'आर्यभटीयम् -- ई. स. ४७६- | कात्यायन वररुचिकृत वार्तिक--ई. पू. ३०० ई. पू. २०० (पाणिनिकालीन भारतवर्ष, डॉ. अगरवाल); आश्वलायन गृह्य एवं श्रौतसूत्र-ई.स. पू.८०० ई. पू. ५००-इ. पू. ४०० (पु. नि. २९१); ई. पू. ४००; ई. स. पू. १०० (म. उ. ५३)। ६००-ई. पू. ४०० (डॉ. बेलवलकर )। ईश्वरकृष्णकृत सांख्यकारिका- ई. स. २५०- | का-ई. स. २५०- | कात्यायन श्रौतसूत्र (पारस्कर सूत्र)-ई. पू. ३२५। ८००-ई. पू. ४०० (डॉ. काणे); ई. पू. १००० 'उत्पलकृत वराहमिहिर ग्रंथो के भाष्यग्रंथ-ई. | (चिं. वि. वैद्य, संस्कृतवाङ्मय का इतिहास )। स. ७८०-८७० । कात्यायन स्मृति--ई. स. ४००-७०० (डॉ. उपनिषद-उपलब्ध उपनिषद ग्रंथों के कालदृष्टि से | काणे, २१८)। तीन विभाग माने जाते है : कालिका पुराण--ई. स. १००० (हजरा)। (१) ब्राह्मण ग्रंथों के समकालीन उपनिषद ग्रंथ-ई. | काशिका (वामन एवं जयादित्य कृत)--ई. स. पू..१००० के पूर्व; १. ऐतरेय उपनिषद; २. कौषीतकी | ६५०-६६० ।। उपनिषद; ३. तैत्तिरीय उपनिषद, ४. बृहदारण्यक उप- कुमारिलभट्टकृत तंत्रवार्तिक एवं श्लोकवार्तिक निषद; ५. छांदोग्य उपनिषद; ६. केन उपनिषद । इन |-ई. स. ६५०-७०० । उपनिषदों का काल पाणिनि के पूर्वकालीन माना जाता है। कुल्लककृत मनुस्मृतिभाष्य-ई. स. ११५० (२) बुद्ध के पूर्वकालीन उपनिषद-१. कठ; २. | १३००। श्वेताश्वतर; ३. ईश; ४. मुण्डक; ५. प्रश्न ६.महानारायण कूर्म पुराण-ई. स. २ री शताब्दी (ह. प्र. उपनिषद । १८७); ई. स. ५०० के पूर्व (पु. नि. १४७)। (३) बुद्धोत्तरकालोन उपनिषद (सांप्रदायिक उप कौटिलीय अर्थशास्त्र--ई. पू. ३००-ई. पू. निषद ग्रंथ)--१. जाबाल उपनिषद, २. परमहंस उपनिषद; १००। ३. सुबाल उपनिषद आदि । उपवर्षकृत पूर्वमीमांसा एवं वेदांतसूत्र-ई. पू. | . गरुड पुराण-ई. स. ६५०- ई. स. ९५० (हजरा); १००-ई. स. १००। ई. स. ३ री शताब्दी (ह. प्र. १९३)। उशनस्स्मृति-(स्मृति देखिये)। | गर्ग संहिता-ई. पू. १४५ (म. उ. ४७); ई. स. ऋग्वेद-प्राचीनतम सूक्त ई. पू. ४००० (डॉ. काणे); | १० वी शताब्दी (ह. प्र. २१७)। ई. प. २००० ( ब्लुमफिल्ड); ई. पू. २५००-ई. पू. | गौडपादकृत सांख्यकारिकाटीका एवं यक्ति२००० (विन्टरनिट्ज)। ऋग्वेदसंहिता का सर्व सामामान्य | दीपिका--ई. स. ७००-७५०। ११७३

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