Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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सोमनाथ
प्राचीन चरित्रकोश
सौति
सोमनाथ--शिव का एक अवतार, जो काठियावाड सोमशुष्मन् वाजरत्नायन--एक आचार्य, जिसने प्रदेश में अवतीर्ण हुआ था। इसने चंद्र के सारे कष्ट शतानीक राजा का राज्याभिषेक किया था (ऐ. ब्रा. ८. दूर किये, जिस कारण 'चंद्रकुण्ड' नामक नामक स्थान में | २१.५)। चंद्र ने इसकी पूजा की।
सोमश्रवस्-एक तपस्यापरायण ऋषि, जो जनमे- इसकी पूजा आदि करने से राजयक्ष्मा कुष्ट आदि जंय (द्वितीय) राजा का पुरोहित था (म. आ. ३.१२)। व्याधियाँ दूर होती है ऐसी उपासकों की श्रद्धा है (शिव. | यह श्रुतश्रवस् ऋषि को एक सर्पिणी से उत्पन्न हुआ शत. ४२)। इसके उपलिंग का नाम उपकेश है (शिव. पुत्र था। कोटी. १)।
यह सदैव मूकव्रत से रहता था, एवं ब्राह्मण के द्वारा • सोमप--पितरों का एक समूह, जो मानस ( सूमनस)
माँग किये जाने पर उसे पूरी करने का इसका गुप्त नामक स्वर्ग में निवास करते है। इन्हें ब्रह्मत्व प्राप्त हुआ
व्रत था। जनमेजय के द्वारा इस व्रत को स्वीकार किये था, एवं ये मूर्तिमान् धर्म ही माने जाते है । मनु के सहित
जाने पर ही, इसने उसका पौरोहित्य का कार्य स्वीकृत . सारी चर सृष्टि इन्हींकी ही संतान मानी जाती है।
किया था। इनकी मानसकन्या का नाम नर्मदा था ( मत्स्य. १५,
__ आगे चल कर इसी व्रत के कारण ही, आस्तीक ऋषि पन. सृ. ९; ह. वं. १.१८)।
की माँग पूरी करने के लिए जनमेजय को अपना सर्पसत्र २. रैवत मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक ।
बंद करना पड़ा (म. आ. ३.१८)।
सोमाहुति भार्गव--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. २. ३. जमदग्निपत्नी रेणुका का प्रतिपालक पिता । ४. स्कंद का एक सैनिक ( म. अनु. ९१.३४)।
सोम्य--(आंध्र. भविष्य ) एक राजा, जो मस्त्य के ५. एक सनातन विश्वेदेव (म. अनु. ९१.३४)। अनुसार पुरींद्रसेन राजा' का पुत्र था। सोमभोजन--गरुड का एक पुत्र ।
सोहंजि-(सो. सह.) सहदेववंशीय संवर्त राजा सोमराजन्--एक आचार्य, जो वायु एवं ब्रह्मांड का नामांतर (संवर्त एवं साहजि देखिये)। के अनुसार व्यास की सामशिष्यपरंपरा में से हिरण्यनाभ - सौकारायण--एक आचार्य, जो काशायण नामक -नामक आचार्य का शिष्य था । ब्रह्मांड में इसका 'सोम- आचार्य का शिप्य, एवं माध्यंदिनायन नामक आचार्य का • राजायन' नामान्तर प्राप्त है।
गुरु था (बृ. उ. ४.६.२. काण्व )। शतपथ ब्राह्मण में सोमवाह--अगस्त्यकुलोत्पन्न गोत्रकार।
इसे त्रैवणि नामक आचार्य का शिष्य कहा गया है (श.
ब्रा. १४.७.३.२७)। ... सोमवित्--(सो. अज.) एक राजा, जो मत्स्य के |
सौचकि-भृगुकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । अनुसार सहदेव राजा का पुत्र था (मत्स्य. ५०.३३)। |
सौचित्ति--सत्यधृति नामक पांडवपक्षीय योद्धा का सोमशर्मन--( मौर्य. भविष्य.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार शालिशुक राजा का पुत्र, एवं शतधन्व
पैतृक नाम (म. उ. परि. १.१४.१२; सत्यधृति देखिये)।
सौचीक-अग्नि नामक वैदिक सूक्तद्रष्टा का पैतृक राजा का पिता था (भा. १२.१.१४)।
नाम (ऋ. १०.५१.२)। २. शिकशर्मन् नामक ब्राह्मण का पितृभक्त पुत्र, जो सौजन्य-एक देव, जो भृगु एवं पौलोमी के पत्रों में अपने अगले जन्म में प्रह्लाद बन गगी (पद्म. भू. ४-५)। से एक था (मत्स्य. १९५)।
३. वामनक्षेत्र का एक ब्राह्मण, जिसे विष्णु की कृपा से सौजात आराहि- एक आचार्य, जिसके यज्ञाहुति सुव्रत नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था।
के संबंध के मतों का निर्देश ऐतरेय ब्राह्मण में प्राप्त है। सामील ब्राह्मण जो सौटि-अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । विदेह देश के जनक राजा से आ मिला था (श. ब्रा. सौति रोमहर्षणसुत--एक सुविख्यात पुराण ११.६.२.१)। जैमिनीय उपनिषद ब्राह्मण में प्रवक्ता आचार्य, जो रोमहर्षण सूत नामक पुराणप्रवक्ता निर्दिष्ट सत्ययज्ञ प्राचीनयोग्य नामक आचार्य संभवतः । आचार्य का पुत्र एवं शिष्य था । यह व्यास की पुराणयही होगा (जै. उ. ब्रा. ३.४०.२)।
शिष्यपरंपरा एवं महाभारत परंपरा का प्रमुख आचार्य १०८७