Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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स्वायंभुव
प्राचीन चरित्रकोश
स्वाहा
प्रियव्रत के द्वारा अपने सात पुत्रों में विभाजित किये पौराणिक साहित्य में इस साहित्य में इसे ब्रह्मा का गये सात द्वीपों के नाम,एवं उनका आधुनिककालीन का पुत्र कहा गया है, एवं सृष्टि एवं प्रजा की वृद्धि के संभाव्य भौगोलिक स्थानआदि निम्नलिखित तालिका लिए इसका निर्माण ब्रह्मा के द्वारा किरे जाने का में दिया गया है। प्राचीन-कालीन सप्तद्वीपात्मक पृथ्वी निर्देश वहाँ प्राप्त है (मत्स्य. ३.३१)। इसे विराज की भौगोलिक जानकारी की दृष्टि से यह तालिका अत्यंत नामान्तर भी प्राप्त था (मत्स्य, ३.४५)। महत्वपूर्ण मानी जाती है:
___जन्म के समय यह अर्धनारी देहधारी था। आगे चल
कर ब्रह्मा ने इसे आज्ञा दे कर, इसके शरीर के स्त्री एवं पुत्र का नाम द्वीप संभाव्य आधुनिक स्थान पुरुषात्मक दो भाग किये गये जिसमें से पुरुप देह भाग से
यह, एवं स्त्री देहभाग से इसकी पत्नी शतरूपा बन गयी
(मार्क. ५०, विष्णु. १.७२, भा. ३.१२.५३; वायु. १. अग्निध्र जंबूद्वीप एशिया खण्ड (इसी १.१०)
खण्ड में अग्मिन की बाहिमती नामक नगरी थी)।
स्वायव-कुशांब लातव्य नामक आचार्य का पैतृक इध्मजिह्व प्पक्षद्वीप यूरप खण्ड।
नाम (पं. बा. ८.६.८)। यज्ञबाहु शाल्मलिद्वीप अटलटिस् खण्ड, जहाँ
स्वायष्ट-श्वेतपराशर कुलोत्पन्न एक गोत्रकार ऋषिवर्तमानकाल में अटलँटिक गण। महासागर है।
स्वार-शिव देवों में से एक। हिरण्यरेतस | कुशद्वीप आफ्रिका खण्ड। घृतपृष्ठ क्रौंचद्वीप उत्तर अमरिका खण्ड ।
। स्वाचिष मनु-द्वितीय मन्वन्तर का अधिपति मन,जो . मेधातिथि शाकद्वीप दक्षिण अमरिका खण्ड | अग्नि का पुत्र माना जाता है (भा. ८.१.१९)। माकडेय वीतिहोत्र पुष्करद्वीप दक्षिण ध्रुव खण्ड (अँटा- में इसे स्वरोचियू राजा का वनदेवी से उत्पन्न पुत्र माना गया
टिका खण्ड)।
है। स्वरोचिप का पुत्र होने के कारण, इसे स्वारोचिप पैतृक
नाम प्राप्त हुआ (माक. ६३: स्वरोचिए देखिये)। जंबुद्वीप की जानकारी--आंमध्र को जबूदाप का देवी भागवत में इसे प्रियत्रत का पुत्र कहा गया है। राज्य प्राप्त हुआ, जो आगे चल उसने अपने अपने नौ
इसने अपने बाल्यकाल में ही देवी की मृण्मय मूर्ति बना पुत्रों में विभाजित किया। प्राचीन जंबूद्वीप (रशिया
| कर, एवं केवल सूखे पत्ते खा कर देवी की अत्यंत कठोर खण्ड) के भौगोलिक विभाजन की जानकारी प्राप्त करने
उपासना की, जिस कारण इसे मन्वन्तराधिपत्य प्राप्त की दृष्टि से, अभिध का यह राज्यविभाजन अत्यंत महत्त्व.
हुआ (दे. भा. १०.८)। पूर्ण माना जाता है:
। स्वाह--(सो. क्रोटु.) क्रोष्ट्रवंशीय श्वाहि राजा का
नामान्तर। पुत्र का नाम द्वीपविभाग
स्वाहा--स्वायंभुव मन्वन्तर के दक्ष एवं प्रमृति की एक
कन्या, जो अग्नि की पत्नी थी। इसने अपने पूर्वायुष्य में इलावृत इलावृतवर्ष ।
अत्यधिक तप किया, जिस कारण देवों को हविभाग रम्यक रम्यकवर्ष ।
पहुँचाने का शुभार्य इस पर सौंपा गया। हिरण्य हिरण्यवर्ष ।
___ अग्नि से इसे पावक, पवमान एवं शुचि नामक तीन उत्तरकुरुवर्ष ।
अग्निस्वरूपी पुत्र, एवं खारोचिप मनु नामक मन्वन्तराधिप भद्राश्व भद्राश्ववर्ष ।
राजपुत्र उत्पन्न हुए (ब्रह्मवै. २.४०; भा. ४.१.६०)। किंपुरुप किंपुरुपवर्ष।
____ एक बार इसने सप्तर्षियों की पत्नियां का प धारण नाभि
नाभिवर्ष, जो आगे चल कर अजनाभवर्ष कर आनस संभोग किया, जिस कारण इसे 'बंद' नामक अथवा भारतवर्ष नाम से पुत्र उत्पन्न हुआ (म. व. २१४-२२०; स्कंद . १. सुविख्यात हुआ। देखिये) आगे चल कर कंद ने अपनी माता को
आशीवाद दिया, 'तुम समस्त प्राणिमात्र के लिए पुज्य १०९६