Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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परिशिष्ट ५
पुराणों में निर्दिष्ट राजाओं की तालिका
पौराणिक साहित्य में निर्दिष्ट विभिन्न वंशावलियों का
(३) इन राजाओं में से जिन राजाओं का निर्देश निर्देश इससे पहले ही किया जा चुका है। इन राजाओं की | वैदिक साहित्य में प्राप्त है, उनके आगे (*) चिन्ह जो जानकारी उपलब्ध है, उससे उनका निश्चित कालनिर्णय
लगाया गया है। एवं उनके समकालीन अन्य राजाओं की पर्याप्त जानकारी
(४) तालिकाओं में निर्दिष्ट प्रमुख राजाओं के समप्राप्त होती है। इसी जानकारी को मूलाधार मान कर
कालीनता के प्रमाण जब 'प्राचीन चरित्रकोश' में पौराणिक साहित्य में निर्दिष्ट राजाओं की तालिका अगले
| दिये गये उन व्यक्तियों के चरित्र में प्राप्त हैं, उनके पृष्ठ पर दी गयी है, जहाँ इन राजाओं की नामावलि
नाम अधोरेखांकित किये गये हैं । इसी कारण सूर्य एवं सोम वंशों के विभिन्न उपशाखाओं के अनुक्रम
समकालीनता का स्पष्टीकरण तालिकाओं में नहीं दिया से दी गयी है।
गया है। ___ यह तालिका विभिन्न राजाओं के समकालीनत्व का ख्याल रख कर दी गयी है, एवं हरै एक राजा की पीढ़ी |
(५) तालिका के दाहिनी एवं बायी ओर दिये गये का सष्ट रूप से निर्देश किया गया है, जहाँ वैवस्वत मनु क्रमांक पीढ़ीयों के निर्देशक नहीं, बल्कि अनुक्रम के की पीढ़ी पहली मानी गयी है । इस तालिका के निरीक्षण निर्देशक हैं। के लिए निम्नलिखित सूचनाएँ महत्त्वपूर्व प्रतीत
(६) पौराणिक साहित्य, रामायण एवं महाभारत में होती है:
प्राप्त वंशावलियों में उन्हीं राजपुरुषों के एवं राजाओं के (१) पौराणिक साहित्य में निर्दिष्ट राजाओं की | नाम दिये गये हैं, जो राजगद्दी पर अधिष्ठित थे । तालिका संपूर्ण नहीं है, एवं उनमें बहुत सारे नाम राजपरिवार के अन्य सदस्यों के, अथवा वर्णीतर से अप्राप्य हैं। पौराणिक साहित्य में से सबसे प्रदीर्घ इक्ष्वाकु- ब्राह्मण वैश्यादि हुए राजाओं के नाम वहाँ अप्राप्य वंश भी इस न्यूनता से अलिप्त नहीं है। पौराणिक
है। इसी कारण इक्ष्वाकु, निमि एवं है हय वंश में से साहित्य में अप्राप्य राजाओं के नाम तालिका में (...)
अनेक राजपुरुषों के नाम इस वंशावलि में नहीं दिये इस प्रकार बताये गये हैं।
| गये हैं। (२) जिन राजाओं की समकालीनता स्पष्टरूप से सिद्ध हो चुकी है, उनके नाम तालिका में स्पष्ट अक्षरों में दिये (७) तालिका के चौदहवे स्तंभ में दिये गये संभाव्यगये हैं, एवं जिनकी समकालीनता केवल तर्काधिष्ठित ही काल परंपरागत पौराणिक साहित्य में प्राप्त परंपरा के है, उनके नाम सादे अक्षरों में दिये गये है।
अनुसार दिये गये हैं।
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