Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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सुरथ
प्राचीन चरित्रकोश
सुराम
४)। जयद्रथ के द्वारा किये गये द्रौपदीहरण के युद्ध | का अधिपति बन गया (दे. भा. ५.३२-३, ब्रह्मवै. २. में नकुल ने इसे परास्त किया (म. व. २५५.१८-२२)। ६२, मार्क. ७८-१०; शिव. उ. ४५)।
४. एक पांचाल राजकुमार, जो द्रुपद राजा का पुत्र था। १४. ( सू. इ. भविष्य.) एक राजा, जो भागवत के भारतीय युद्ध में यह अश्वत्थामन् के द्वारा मारा गया | अनुसार रणक राजा का, विष्णु के अनुसार कुंडक राजा (म. द्रो. १३१.१२६; श. १३.३९)।
का, वायु के अनुसार क्षुलिक राजा का, एवं मत्स्य के ५. कृपाचार्य का एक चक्ररक्षक (म. वि. ५२.९२८% अनुसार कुलक राजा का पुत्र था। भागवत एवं विष्णु में पंक्ति. ८)।
इसके पुत्र का नाम 'सुमित्र' दिया गया है (भा. ९.१२. ६. यमसभा में उपस्थित एक राजा (म. स. १५; विष्णु ४.२२.९-१०)। ८.११)।
सुरथा-उशीनर राजा की पत्नी, जो शिबि राजा की ७. चंपकनगरी के हंसध्वज राजा के पांच पुत्रों में से माता थी। एक । अर्जुन के अश्वमेध-दिग्विजय के समय उसने
२. मत्स्यनरेश विराट की प्रथम पत्नी । इसका शिरच्छेद किया था (जै. अ. २०-२१)। सुरपुरंजय-(किलकिला. भविष्य.) एक नागवंशीय
८. कुंडल नगरी का एक राजा, जिसने राम दाशरथि राजा, जो ब्रह्माण्ड के अनुसार वैदेश देश का राजा था। का अश्वमेधीय अश्व पकड़ रक्खा था। इसने हनुमत् , सुरप्रवीर--तप नामधारी पांचजन्य अग्नि का एक सुग्रीव आदि को कैद कर रखा था, एवं शत्रुघ्न को | पुत्र, जो यज्ञ में विघ्न डालनेवाले पंद्रह घिनायकों में से एक . मूछित किया था । पश्चात् स्वयं राम ने युद्ध भूमि में | माना जाता है (म. व. २१०.१३)। प्रविष्ट हो कर, इसे परास्त किया। इसके पुत्र का नाम
सुरभ--सारस्वत नगरी के वीरवर्मन् राजा का पुत्र । बलमोदक था (पन. पा. ४९.५२; बलमोदक देखिये)।
सुरभि-कामधेनु नामक गौ का नामान्तर, जो प्राचेतस् ९. (सो. ऋक्ष.) एक राजा, जो जह्न राजा का पुत्र, दक्षप्रजापति एवं असिनी की कन्या मानी जाती है । महाएवं विदूरथ राजा का पिता था (मस्य. ५०.३४)। भारत में इसके समुद्र से प्रकट होने का निर्देश प्राप्त है
१०. सुरथद्वीप नामक देश का एक राजा, जो कुश- (म. आ. २६९४)। इसी ग्रंथ में अन्यत्र प्रजापति के द्वीपाधिध ज्योतिष्मत् राजा का पुत्र था (मार्क. ५०.२६)। सुरभिगंधयुक्त श्वास से इसकी उत्पत्ति का वर्णन प्राप्त है
११. एक राजा, जो विदर्भ देश के सुदेव राजा का (म. अनु. ७७.१७)। .. पुत्र था (वा. रा. उ. ७८)।
इसका निवासस्थान गोलोक में था, जो स्वर्ग से भी १२. एक राजा, जो नाभाग राजा की पत्नी सुप्रभा का बढ़ कर अधिक श्रेष्ठ था। इसने ब्रह्मा की उपासना कर पिता था। गंधमादन पर्वत पर तपस्या करते समय, यह अमरत्व की प्राप्ति की थी (म. अनु. २९.३९)। कश्यप कन्या इसे प्राप्त हुई थी।
ऋषि से इसे नंदिनी नामक गाय कन्या के रूप में प्राप्त १३. स्वारोचिष मन्वंतर का एक राजा, जो देवी की हुई थी, जो आगे चल कर वसिष्ठ ऋषि की होमधेनु उपासना करने के कारण अपने अगले जन्म में सावर्णि | बन गयी (म. आ. ९३.८)। इस संसार के सारे गाय मनु नामक राजा बन गया था।
एवं बैलों की यह जननी मानी जाती है। इसने कार्तिकेय __एक बार म्लेच्छों में इसके राज्य पर आक्रमण किया, | को एक लाख गायें भेंट के रूप में प्रदान की थी। जिस कारण राज्यभ्रष्ट हो कर यह सुमेधस् ऋषि के आश्रम | सुरभि-इंद्रसंवाद-महाभारत में इसने इंद्र के साथ किये में रहने पर विवश हो गया। आगे चल कर इसे एवं समाधि | एक संवाद का निर्देश प्राप्त है, जहाँ अपने पुत्र वृषभ बैल नामक वैश्य को सुमेधस् ऋषि ने देवी की उपासना करने के साथ एक किसान के द्वारा अत्यंत क्रूरता से व्यवहार का आदेश दिया। तदनुसार आराधना करने पर देवी ने | करने की वात्सल्यपूर्ण शिकायत की गयी है । पत्रस्नेह समाधि वैश्य को स्वर्ग, एवं इसे राज्य पुनः प्राप्त होने से भरपूर इस संबाद का कथन व्यास ने धृतराष्ट्र से किया का आशीर्वाद दिया।
__ था (म. व. १०)। देवी के आशीर्वाद के कारण, अपने अगले जन्म में | २. कश्यप एवं क्रोधा की कन्या, जो रोहिणी एवं यह विवस्वत् आदित्य का सावर्णि नामक पुत्र बन गया, | गंधर्वी नामक दो कन्याओं की माता मानी जाती है (म • एवं वैवस्वत मन्वंतर के पश्चात् उत्पन्न हुए सावर्णि मन्वंतर | आ. ६०.५९)।
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