Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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सुशर्मन्
प्राचीन चरित्रकोश
सुश्रुत
भाई अर्जुन के द्वारा मारे गये (म. द्रो. २७; श. सुशोभना--मण्डूक राज की कन्या, जो इक्ष्वाकुवंशीय २६.४४)।
परिक्षित् राजा की एक पत्नी थी। इसके शल, दल एवं संशप्तक योद्धा--महाभारत के द्रोणपर्व में 'संशप्तक | बल नामक तीन पुत्र थे। पर्व' नामक एक उपपर्व है, जहाँ इसे एवं इसके पाँचों । २. चेदिराज की कन्या, जो मरुत आविक्षित की पत्नी भाइयों को 'संशप्तक योद्धा' कहा गया है (म.द्रो. १६- | थी (मार्क. १२८)। ३१)। रण में अपने गिशिष्ट प्रतिपक्षी का वध करने की, सुश्यामा--एक अप्सरा, जो आर्टिषेण पुत्र प्रतिध्वज एवं उनमें यशस्वितता प्राप्त न होने पर आत्महत्या करने | की पत्नी थी। इसकी कन्या का नाम वृद्धा था (ब्रह्म. की प्रतिज्ञा करनेवाले वीरों को 'संशप्तक योद्धा' कहा | १०७; वृद्धा देखिये)। जाता था (म. द्रो. १६.३९)। इन योद्धाओं की यह
। सुश्रम-(सो. मगध. भविष्य.) मगध देश का एक प्रतिज्ञा होमहवन के साथ, एवं अग्निदेवता की साक्षी में
| राजा, जो विष्णु के अनुसार धर्म का, एवं ब्रह्मांड के ली जाती थी। प्रतिज्ञाग्रहण के पश्चात् ये वीर दर्भ से
अनुसार नृपति राजा का पुत्र था। बने हुए वस्त्र धारण करते थे, एवं अपने वस्त्रों पर अग्नि
सुश्रवस्--एक राजा, जिसने एक साथ साट राजाओं चर्चित घृत का प्रयोग करते थे (म. द्रो. १६. |
के साथ युद्ध किया था। इसी युद्ध में इंद्र ने इसकी रक्षा २१-३७))
की थी (ऋ. १.५३.९)। जयद्रथवध के समय अर्जुन ने भी इसी प्रकार की
२. एक आचार्य, जो उपगु सौश्रवप्त नामक आचार्य प्रतिज्ञा की थी, किन्तु वहाँ उसे संशप्तक नहीं कहा गया है का पिता था (पं. ब्रा. १४.६.८)। (म. द्रो. ५१.३४-३७)।
। ३. देवताओं का एक गुप्तचर, जिसने कात्यायन ऋषि सुशर्मन् वार्धक्षेमि--पांचाल देश का एक योद्धा,
| के तप की वार्ता सरस्वती को बतायी थी। इसपर सरस्वती जो भारतीय युद्ध में पाण्डव पक्ष में शामिल था (म. उ.ने कात्यायन को दृष्टान्त दे कर कहा, 'जिस ज्ञान की १६८.१६) । वृद्धक्षेम का पुत्र होने के कारण, यह
तुम्हें अपेक्षा है, वह सारस्वत मुनि तुम्हें बतायेंगे' (स्कंद, 'वार्धक्षेमि' नाम से ही अधिक सुविख्यात था ( वाधक्षमि | १२२। १. देखिये )।
४. अभूतरजस् देवों में से एक। सुशर्मन् शांशपायन--एक आचार्य, जो वायु के
५. एक प्रजापति, जो ब्रह्मा के मानसपुत्रों में से एक अनुसार, व्यास की पुराणशिष्यपरंपरा में से रोमहर्षण
| था (वायु. ६५.५३ )। नामक आचार्य का शिष्य था (वायु. ६५.५६)। सुशांति--(सो. अज.) एक राजा, जो विष्णु एवं सुश्रवस् कौश्य-एक आचार्य, जो कुश्रि वाजश्रवस
नामक आचार्य का समकालीन था (श. वा. १०.. भागवत के अनुसार शांति राजा का पुत्र, एवं पुरुज राजा का पिता था (भा. ९.२१.२१)। २. (सो. नील.) एक राजा, जो मत्स्य एवं वायु के
सुश्रवस वार्षगण्य-एक आचार्य, जो प्राप्तरह अनुसार नील राजा का पुत्र था (मत्स्य. १५०.१)।
नामक आचार्य का शिष्य, एवं साति औष्ट्राक्षि नामक
| आचार्य का गुरु था (वं. बा.१)। ३. उत्तम मन्वन्तर का इंद्र। सुशारद शालंकायन--एक आचार्य, जो ऊर्जवत् सुश्रवा-एक विदर्भ राजकन्या, जो कुरुवंशीय औपमन्यव नामक आचार्य का शिष्य, एवं श्रवणदत्त कोहल जयत्सेन राजा की पत्नी थी । इसके पुत्र का नाम अवाचीन नामक आचार्य का गुरु था (वं. बा. १)।
था (म. आ. ९०.१७ पाट.)। सुशील--एक गंधर्व (पा. स्व. २२; उ. १२८)। सुश्रवा सोबला---गांधारराज सुबल राजा की कन्या,
सुशीला--स्वर्वेदी नामक गधर्व की कन्या (पद्म, जो धृतराष्ट्र की पत्नियों में से एक थी। स. २२)। पद्म में अन्यत्र इसे सुशील गंधर्व की कन्या सुश्रुत-एक सुविख्यात शल्यचिकित्साशास्त्रज्ञ, जो कहा गया है (पद्म. उ. १२८)।
'सुश्रुत संहिता' नामक विख्यात ग्रंथ का रचियता माना २. दशपुर में रहनेवाले कृष्णदेव नामक ब्राह्मण की जाता है । यह गाधि राजा का पौत्र, एवं विश्वामित्र का पुत्र पत्नी (पन्न. ब्र. १२)।
| था (म. अनु. ४.५५)। यह शल्यचिकित्सा के आद्य १०७८