Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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सुजातवक्र
प्राचीन चरित्रकोश
सुतंभर
सुजातवक्र--एक आचार्य, जिसका निर्देश ऋग्वेदीय | नामक तामस मनु निर्माण होने का उःशाप इसने उसे ब्रह्मयज्ञांगतर्पण में प्राप्त है (आश्व. ग. ३.३)। प्रदान किया (मार्क. ७१)।
सुजाता--महर्षि उद्दालक की कन्या, जो कहोल ऋषि ३. भरद्वाजकुलोत्पन्न एक ऋषि । इसकी कुल दो की पत्नी, एवं अष्टावक्र की माता थी (म. व. १३२.७)। | पत्नियाँ थीं। उनमें से एक पितृकन्या थी, जिससे इसे ३. सुराष्ट्र राजा की कन्या,जो दुर्गम राजा की पत्नी थी। कल्याणमित्र नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। सुजातेय-विश्वामित्रकुलोत्पन्न, एक गोत्रकार ऋषिगण ।
। इसकी दूसरी पत्नी पर सूर्य ने बलात्कार किया, जिससे सुजानु--एक ऋषि, जो शांतिदौत्य के लिए जाने
इसे अश्विनीसुत नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। अपनी इस वाले श्रीकृष्ण से मार्ग में मिले थे (म. उ. ३८८ पाट)। व्यभिचारिणी पनी का नं
व्यभिचारिणी पत्नी का, एवं उसके पुत्र का इसने त्याग सुज्ञ--दशरथ राजा का मंत्री, जिसके निम्नलिखित दस
किया। किंतु आगे चल कर स्वयं कृष्ण के द्वारा आज्ञा पुत्र थे:--१. जितश्रम; २. धार्मिक, सुकेतु; ४.शत्रुसूदन;
दिये जाने पर, इसने अपने इन स्त्रीपुत्रों को पुनः स्वीकार ५. चंद्र; ६. मद; ७. शल; ८. काल; ९. मल्ल; १०. सिंह |
किया (ब्रह्म. वै. १.११)। (जै. अ. ३४.४३ )।
४. सावर्णि मन्वंतर का एक देवगण । सुज्येष्ठ--(शुग. भविष्य.) एक राजा, जो अग्नि
५. एक मरुत् , जो मरुतों के पहले गण में मित्र राजा का पुत्र, एवं वसुमित्र राजा का पिता था
समाविष्ट था । (भा. १२.१६.१७)।
६. एक प्रजापति, जिसने इस पृथ्वी पर वसुदेव के सुतंजय-त्रिगर्त देश के 'श्रुतंजय' राजा का नामांतर |
रूप में जन्म लिया था (भा. १०.३.३२)। (श्रुतंजय ३. देखिये)।
७. उत्तम मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक। ... सुतद्वाज-(सू. निमि.) विदेह देश के सत्यध्वज
८. तामस मनु के पुत्रों में से एक। . राजा का नामांतर।
९. दक्षसावर्णि मन्वंतर का एक ऋषि । । । सुतनु--आहुक (उग्रसेन) राजा की कन्या, जो
१०. रुद्रसावर्णि मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक । अक्रूर की पत्नी थी (म. स. १३.१२)। मत्स्यादि में इसे
११.रौच्य मनु के पुत्रों में से एक। वसुदेव की पत्नी कहा गया है, एवं इसके पुत्र का नाम
१२. रोच्य मन्वंतर के सप्तर्षियों में से एक। पौण्ड्रक दिया गया है (मत्स्य. ४४.७६; ४६.२१; विष्णु.
१३. (सो. अनु.) एक राजा, जो भागवत, विष्णु, ४.१४.५)।
एवं वायु के अनुसार हेम राजा का पुत्र, एवं बलि राजा २. उग्रसेन राजा का पुत्र (वायु. ९६.१३२)।
का पिता था (भा. ९.२३.४)। मत्स्य में इसे सेन राजा ३. (सो. कुरु.) युधिष्ठिर राजा की कन्या, जिसका | विवाह वज्र राजा के पुत्र अश्वसुत से हुआ था (वाय.
का पुत्र कहा गया है। ९६.२५०)।
१४. (सू . इ. भविष्य.) एक,राजा, जो भागवत के ४. कलापग्राम में रहनेवाले एक ब्राह्मण का पुत्र
अनुसार अंतरिक्ष राजा का पुत्र, एवं अमित्रजित् राजा (स्कंद. १.२.६)।
का पिता था (भा. ९.१२.१२)। वायु, विष्णु, मत्स्य, सुतपस्--सावर्णि मन्वंतर का एक देवगण, जिसमें एवं भविष्य में इसे क्रमशः 'सुपर्ण,' 'सुवर्ण,' 'सुषेण, निम्नलिखित बीस देव शामिल थे:--आर्चिष्मत. एवं 'सुवर्णीग' कहा गया है। कीर्ति, ऋतु, कृतिनेमि, तपस् , तेजस् , द्योतन, धर्म, धृति, १५. (सो. कुरु. भविष्य.) एक राजा, जो मत्स्य के प्रभाकर, प्रभास, बुध, भानु, मासकृत् , यशस्, रश्मि, | अनुसार परिष्णव (परिप्लव) राजा का पुत्र था (मत्स्य. विराज, एवं शुक्र ('ब्रह्मांड. ४.१.१२)।
०.८३)। पाठभेद-सुनय । २. एक ऋषि, जो निवृत्तिचक्षु ऋषि का पुत्र था। एक सुतमित्र-एक मरुत् , जो मरुतो के द्वितीय गण में बार इसने उत्पलावती से संभोग की प्रार्थना की । उसके | से एक था। द्वारा इसकी प्रार्थना अस्वीकार किये जाने पर, इसने सुतंभर---एक व्यक्तिनाम (ऋ. ९.६.५)। उसे मृगी बनने का शाप दिया । उत्पलावती के द्वारा सुतंभर आत्रेय-एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ.५.११उःशाप की माँग किये जाने पर, उसके गर्भ से 'लोल' । १४)। इसके सूक्त में 'नहुषपुत्र' राजा का निर्देश तप्प
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