Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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सुधामन्
प्राचीन चरित्रकोश
सुनर्तकनट
३. रैवत मन्वन्तर के सप्तार्षेयों में से एक ।
४. एक ब्राह्मण, जिसकी कथा गीता के ग्यारहवें ४. लोकाक्षि नामक शिवावतार का एक शिष्य । अध्याय का महत्त्व कथन करने के लिए पाम में दी गयी ५. नारायण नामक शिवावतार का एक शिष्य । है ( पद्म. उ. १८५)। ६. ब्रह्मसावर्णि मन्वंतर का एक देवगण ।
सुनंदन-(आंध्र. भविष्य.) एक राजा, जो भागवत ' सुधार्मिक--केरल देश का एक राजा, जिसके पुत्र का | के अनुसार पुरुषभीरु राजा का पुत्र, एवं चकोर राजा का नाम चंद्रहास था।
पिता था (भा. १२.१.२५)। सुधावत्-पितरों में से एक।
सुनंदा-काशिराज सर्वसेन राजा की कन्या, जो सुधिय--तामस मन्वन्तर कः एक देवगण (वायु. दुष्यंतपुत्र सम्राट् भरत की पत्नी थी। इसके पुत्र का नाम ६२.३७)।
भुमन्यु था। इसे 'काशेयी सार्वसेनी' नामान्तर भी प्राप्त सुधृति--(सू.. दिष्ट.) एक राजा, जो विष्णु एवं था (म. आ. ९०.३४)। भागवत के अनुसार राज्यवर्धन राजा का पुत्र, एवं नर २. चेदि नरेश वीरबाहु की कन्या, जिसके भाई का राजा का पिता था (भा. ९.२.२९)।
नाम सुबाहु था। यह दमयंती की मौसेरी बहन थी (म. २. (सू. दिष्ट.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार | व. ६२.४२, दमयंती देखिये)। दम राजा का पुत्र था।
__३. केकय देश की एक राजकुमारी, जो कुवंशीय ३. विदेह देश के सत्यधृति राजा का नामान्तर सार्वभौम राजा की पत्नी थी। इसके पुत्र का नाम जय(सत्यधृति ८. देखिये)। भागवत में इसे महावीर्य राजा | त्सेन था (म. आ. ९०.१६)। का पुत्र, एवं धृष्टकेतु राजा का पिता कहा गया है (भा. |
४. वत्सप्रि राजा की पत्नी मुद्रावती का नामांतर। ९.१३.१५)।
इसके पुत्र का नाम सुनय था (सुनय ३. देखिये )। . सुनक्षत्र-मगध देश के सुकृत्त राजा का नामान्तर ।
५. माहिष्मती नगरी के नीलध्वज राजा का नामांतर भागवत में इसे निरमित्र राजा का पुत्र, एवं बृहत्सेन राजा
(जै. अ. ६१)। का पिता कहा गया है (भा. ९.२२.४७)।
६. एक गोपी, जो सुनंदगोप की कन्या थी ( सुनंद २. (सू. इ. भविष्य.) एक राजा, जो वायु के अनुसार ३. देखिये)। सहदेव राजा का पुत्र था (वायु. ९९.२८४)। मत्स्य,
सुनंदा मागधी-जनमेजय (प्रथम ) राजा की पत्नी, भागवत एवं विष्णु में इसे मरु देव राजा का पुत्र कहा गया
जिसके पुत्र का नाम प्राचीन्वत् था। पाठभेद (भांडारकर है (भा. ९.१२.१२)।
संहिता)-'अनंता'। सुनक्षत्रा-स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. श. सुनंदा शैब्या-शिबि देश की राजकन्या, जो प्रतीप ४५.८)।
राजा की पत्नी थी। इसके देवापि, शांतनु एवं वाह्रीक सुनंद-(प्रद्योत. भविष्य.) एक राजा, जो भविष्य | नामक तीन पुत्र थे (म. आ. ९०.४६ )। के अनुसार प्रद्योत राजा का पुत्र था। सुनंद राजा के सुनय--(सो. कुरु. भविष्य.) एक राजा, जो परिप्लव पश्चात्, भविष्य पुराण में प्राप्त इतिहासकथन समाप्त राजा का पुत्र, एवं मेधाविन् राजा का पिता था (भा. ९, हो कर, भविष्यकथन प्रारंभ होता है।
२२.४३)। इसके पुरोहित का नाम काश्यप प्रमति था इसी राजा के पश्चात् समस्त संसार म्लेंच्छमय होने | (मार्क. ११४)। की आशंका से नैमिषारण्य में रहनेवाले अट्ठासी हज़ार २. (सू. निमि.) एक राजा, जो विष्णु एवं वायु के ऋषि उस अरण्य को छोड़ कर हिमालय की ओर चले | अनुसार क्रतु राजा का पुत्र, एवं वीतहव्य राजा का पिता गये, जहाँ विशाल नगरी में विष्णुपुराण का कथन किया था (वायु. ७.२२)। भागवत में इसे शुनक कहा है (भवि. प्रति. १.४)।
गया है। २. विष्णु का एक पार्षद (भा. २.९.१४)।
३. एक गजा, जो वत्सप्रि भालंदन एवं सुनंदा (मुदा३. एक गोप, जो नंदगोप का मित्र था। इसके घर | वती) का पुत्र था (मार्क. ११४.२)। उग्रतपस् नामक ऋषि ने सुनंदा नामक कन्या के रूप में सुनर्तकनट--शिव का एक अवतार, जो तप जन्म लिया (पन. पा. ७२)।
करनेवाले पार्वती के सम्मुख प्रकट हुआ था। शिव के १०६०