Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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सुकेतु
प्राचीन चरित्रकोश
सुगति
४. राम दाशरथि राजा के सुज्ञ नामक प्रधान का पुत्र अष्टावक्र के स्वागत समारोह में नृत्य किया था (म. ( कुशलव देखिये) ।
अनु. १९.४५ ) ।
२. गांधारराज की एक कन्या, कृष्ण की पत्नी थी। जो द्वारका में स्थित इसके प्रासाद का नाम पद्मकूट था ( म. स. परि. १.२१.१२५१ - १२५२ ) । ३. मगधराज केवी की एक कन्या (तृतीय) राजा की, पत्नी थी ( मार्के. १२८ ) । ४. हेति राक्षस की एक कन्या, जो दुर्जय राक्षस की पत्नी थी ( हेति देखिये ) ।
जो मरुत्त
५. तुंबुरु की एक कन्या ( वायु. ६९.४९ ) । सुक्रतु-एक राजा, जिसका निर्देश संजय के द्वारा प्राचीन राजाओं की गणना में किया गया है ( म. आ. १.१७५) ।
सुक्षत्र कोसल देश का एक राजा, जो भारतीय युद्ध में पांडवपक्ष में शामिल था। इसके रथ के अभ अत्यंत सुंदर थे, जिनके उदरभाग का रंग के सदृश वेतवर्णीय था ( मा. द्रो. २२.४७ ) ।
२. (सो. मगध भविष्य.) मगधवंशीय रा का नामान्तर ।
९. सगर राजा का एक पुत्र, जो कपिल ऋषि के शाप से बचे हुए समरपुत्रों में से एक था।
सुक्षेत्र त्रासावर्णि मनु के पुत्रों में से एक। सुख - सावर्णि मन्वन्तर का एक देवगण, जिसमें निम्न१०. एक दानव, जो कश्यप एवं दनु का एक लिखित वीस देव शामिल थे:- तप, दान, त -ऋत, पुत्र था । दाम, देव, ध्रुव, निधि, नियम, यम, वित्त, विधान, वैद्य, शम, सोम, स्थान, हव्य, हुत, होम ( ब्रह्मांड. ४.१२० ) । २. धर्म एवं शान्ति के पुत्रों में से एक ।
५. पाण्डवपक्ष का एक पराक्रमी राजा, जो चित्रकेतु राजा का पुत्र था (म.आ. १७७.९) । यह द्रौपदीस्वयंवर में भी उपस्थित था । भारतीय युद्ध में कृपाचार्य ने इसका
किया (म. क. ३८.२१-२९ ) । पाउमेद- 'अभिगु' । ६. एक राजा, जो अपने सुनामन् एवं सुवर्चस् नामक पुत्रों के साथ द्रौपदी स्वयंवर में उपस्थित था (म. आ. १७७.९) ।
७. शिशुपाल का एक पुत्र जो भारतीय युद्ध में पाण्डवपक्ष में शामिल था । द्रोणाचार्य ने इसका वध किया (म. २.८२ ) । ८. एक राक्षस ताटका राक्षसी का पुत्र एवं सुबाहु राक्षस का भाई था। राम के अश्वमेधयज्ञ के समय, अपने भाई सुबाहु के साथ इसने शत्रुन से युद्ध युद्ध किया था। यह गदायुद्ध में अत्यंत प्रवीण था। शत्रुघ्न युद्ध में इसने सीता के भाई लक्ष्मीनिधि से घमासान युद्ध किया था (पद्म. पा. २५-२६ ) ।
सुकेतुमत्-- भद्रावती नगरी का एक राजा, जिसकी पत्नी का नाम चेपका था 'पुत्रदा एकादशी' के मत का माहात्म्य कथन करने के लिए इसकी कथा पद्म में दी गयी है (पद्म. उ. ४१ ) ।
सुकेश -- एक राक्षस, जो विद्युत् केश राक्षस का पिता था। इसकी माता का नाम सालकका था। इसने शिवपार्वती की कठोर तपस्या की, जिस कारण इसे रुद्रगणों में स्थान प्राप्त हुआ ( वा. रा. उ. ४.२७ - ३२ ) । ग्रामणी नामक गंध की कन्या इसकी पत्नी थी, जिससे इसे मालिन्, सुमालिन् एवं माल्यवत् नामक तीन पुत्र उत्पन्न
हुए थे।
सुकेशिन् भारद्वाज -- एक आचार्य, जो आत्मज्ञान प्राप्ति के लिए पिप्पलाद नाम आचार्य के पास गये हुए पाँच आचार्यों में से एक था ( प्र. उ. १.१ ) । ' पोंडष कल पुरुष ' के संबंध में इसने पिप्पलाद से पृच्छा की थी।
३. एक पक्षी, जो गरुड एवं शुकी के पुत्रों में से एक था (ब्रह्मांड २.७.४५० ) |
सुखद -- पितरों में से एक । सुखदाकंद की अनुचरी एक मातृका (म. श. ४५ ) ।
सुखसंगित - एक गंधर्व, जिसकी कन्या का नाम प्रमोदिनी था ( पद्म उ. १२८ ) ।
सुखामन एवं सुखासीन असावमिन्वन्तर का देवगणद्वय ।
सुखीनल -- (सो. कुरु. भविष्य.) एक राजा, जो भागवत एवं वायु के अनुसार चक्षु राजा का एक एवं परिप्लव राजा का पिता था ( भा. ९.२२.४१ ) | विष्णु एवं मत्स्य में इसे 'सुखीवल' कहा गया है।
सुगति - ( स्वा. वि.) एक राजा, ओ गया ए
सुकेशी - अलकापुरी की एक अप्सरा, जिसने । गयंति के पुत्रों में से एक था ( भा. ५.१५.१४ ) ।
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