Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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शत्रुघ्न
प्राचीन चरित्रकोश
शनि
३३) । अपनी इस पत्नी से इसे शत्रुघातिन् एवं सुबाहु | हरण के समय, अर्जुन के द्वारा यह मारा गया (म. व. नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए थे। भागवत एवं विष्णु में इसके | २४९.१०)। पुत्र शत्रुघातिन् का नाम क्रमशः 'श्रुतसेन' एवं 'शूरसेन ६. एक त्रैगर्त योद्धा, जो अर्जुन के द्वारा मारा गया दिया गया है (भा. ९.११.१३-१४; विष्णु. १.१२.४ )। (म. क. १९.१०)। वायु में भी इसके प्रथम पुत्र का नाम शूरसेन बताया गया ७. सौवीर देश के कणिक राजा का नामांतर, जिसे है (वायु. ८८.१८६)।
भरद्वाज ऋषि ने राजधर्म एवं कूटनीति का उपदेश किया था अपनी मृत्यु के पूर्व इसने सूबाह एवं शत्रघातिन् को (म. शां. १३८.४)। क्रमशः मथुरा एवं शूरसेन देश का राज्य दिया था शत्रुजया--स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. (वा. रा.उ. १०७.१०८) । वायु के अनुसार दोनों ही श. ४५.६)। पुत्रों को इसने मथुरा का ही राज्य प्रदान किया था।
शत्रुतपन--एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों
में से एक था (म. आ. ५९.२८)। २. लंका का एक रावणपक्षीय राक्षस (वा. रा. यु. ४३)।
शतप-दुर्योधन की सेना का एक राजा, जो कर्ण ३. (सो. क्रोष्ट.) एक यादव राजकुमार, जो श्वफल्क
का भाई था। अर्जुन ने 'उत्तर-गोग्रहण' के समय, यादव के तेरह पुत्रों में से एक था (भा. ९.२४.१७)।
इसका वध किया (म. वि. ४९.१३)। ४. अकर यादव के पुत्रों में से एक (मत्स्य, ४५.२९)।
शत्रुमर्दन--एक राजा, जो ऋतुध्वज एवं मदालसा ५. एक यादव राजकुमार, जो भङ्गकार एवं नरा के
का तृतीय पुत्र था (मार्क. २३.२६)। पुत्रों में से एक था। अक्रूर ने इसका वध किया (वायु.
शत्रुसह--(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का एक पुत्र, जो ९६.८५)।
भारतीय युद्ध में कर्ण का शरीरसंरक्षक था। भीमसेन के शत्रुजित्-(सो. विदू.), एक राजा, जो शोणाश्व
द्वारा यह मारा गया (म. द्रो. ११२.४०)। राजा का पुत्र था (मत्स्य. ४४.७९)।'
शत्रुसूदन-दशरथ राजा के सूज्ञ नामक मंत्री का पुत्र । ' २: (सू. इ. ) एक राजा, जो मत्स्य के अनुसार
शधीय--एक आचार्य, जो ब्रह्मांड के अनुसार, मांधातू राजा का पुत्र था (मत्स्य १२.३५)। भागवत, | व्यास के सामशिष्य परंपरा में से हिरण्यनाभ नामक विष्णु, एवं वायु में इसे 'अंबरीष' कहा गया है।
| आचार्य का शिष्य था। ३.(सू. इ.) एक राजा, जो ध्रुवसंधि राजा एवं शनि--एक पापग्रह, जो नौ ग्रहों में से एक प्रमुख लीलावती का पुत्र था।
ग्रह माना जाता है (मत्स्य. ९३.४४) । इसे ' शनैश्चर' ४. प्रतर्दन राजा का नामांतर (विष्णु. ४.८.१२)। | नामांतर भी प्राप्त था । लोहे से बने हुए रथ से यह .५ कुवलयाश्व राजा का नामांतर (भा. ९.१७.६)। | समस्त ग्रहमंडल का परिभ्रमण तीस माह में पूरा करता है
शत्रुजय---धृतराष्ट्र का एक पुत्र । भारतीय युद्ध में | (भा. ५.२२.१६)। इस पर भीष्म के रक्षण का भार सौंग गया था (म. पौराणिक साहित्य में--इस साहित्य में इसे महाभी. ४७.८) । भीमसेन ने इसका वध किया (म. द्रो. तेजस्वी एवं तीक्ष्ण स्वभाववाला ग्रह कहा गया है। इसे ११२.३०)।
छाया एवं विवस्वत् (मार्तड ) का पुत्र कहा गया है . २. कौरवपक्ष का एक योद्धा, जो कर्ण का छोटा | (भा. ६.६.४१; विष्णु. १.८.११)। इसके भाई का भाई था। अर्जुन ने इसका वध किया था (म. द्रो. नाम सावर्णि था (विष्णुधर्म. १.१०६)। आगे चल ३१.५९)।
कर अपने पिता सूर्य की आज्ञा से यह ग्रह बन गया। ३. द्रुपद राजा का एक पुत्र, जो अश्वत्थामन् के द्वारा कालिकापुराण में भी इसे सूर्यपुत्र कहा गया है, मारा गया था ।
एवं सती की मृत्यु के पश्चात् शिव के आँखों से जो आंसू ४. कौरवपक्ष का एक योद्धा, जो अभिमन्यु के द्वारा | टपके, उसीके कारण इसके कृष्णवर्णीय बनने की कथा मारा गया था (म. द्रो. ४७.१५)।
वहाँ प्राप्त है (कालि. १८)। आगे चल कर यह मनुष्यों ५. सौवीर देश का एक राजकुमार, जो जयद्रथ के | को अत्यंत त्रस्त करने लगा, जिस कारण शिव ने मेषादि भाइयों में से एक था। जयद्रथ के द्वारा किये गये द्रौपदी- | राशि इसके अधिकार में दी, एवं पूजा करनेवाले लोगों