Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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सवित
प्राचीन चरित्रकोश
सहदेव
छाया ( सवर्णा) नामक अन्य एक स्त्री उत्पन्न की, एवं उसे २. दक्षसावर्णि मन्वन्तर का एक देवगण । इसकी सेवा में भेज कर वह तपस्या करने चली गयी । इसे सस आत्रेय--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. ५.२१)। छाया से श्रुतश्रवस् ( सावर्णि मनु), श्रुतकर्मन् (शनि), सस्मित–उत्तम मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक । एवं तपती नामक तीन संतान उत्पन्न हुए (संज्ञा देखिये)। २. तामस मन्वन्तर का एक योगवर्धन ।
आगे चल कर छाया का त्याग कर यह पुनः एक बार सह--स्वायंभुव मनु के पुत्रों में से एक । अपनी संज्ञा नामक पत्नी के पास गया, जिससे इसे
२. प्राण नामक वसु के पुत्रों में से एक । अश्विनीकुमार ( नासत्य एवं दस्त्र ), एवं रेवन्त नामक दों
३. उत्तम मनु के पुत्रों में से एक। पुत्र उत्पन्न हुए (विष्णु. ३.२; भवि, ब्राह्म. ७९; मार्क.
४. आभूतरजस् देवों में से एक । ७५) । अन्य पुराणों में इसके पुत्रों की नामावलि निम्न
५. ( सो. पूरु.) धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में से एक, जो प्रकार दी गयी है:--१. संज्ञापुत्र--वैवस्वत मनु
भारतीय युद्ध में मारा गया ( म.क. ३५.१४)। पाठभेद (श्राद्ध देव), यम एवं यमुना, २. छायापुत्र--सावर्णि
(भांड रकर संहिता)- 'सम'। मनु, शनि, तपती एवं विष्टि २. अश्विनीपुत्र-अश्विनी
६. कृष्ण एवं लक्ष्मणा के पुत्रों में से एक । कुमार, रेवन्त; ४. प्रभापुत्र--प्रभातः ५. राज्ञीपुत्र--
७. एक अग्नि, जो समुद्र में छिप गया था। इसके रेवत; ५. पृमिपुत्र--सावित्री, व्याहृति, त्रयी, अग्निहोत्र,
शरीर के अवयवों से धातुओं की उत्पत्ति हुई। आगे पशु, सोम, चातुर्मास्य, पंचमहायज्ञ (भा. ६.१८.१)।
चल कर देवताओं के द्वारा प्रार्थना किये जाने पर, यह इसकी संतानों में से यम एवं यमुना, तथा अश्विनीकुमार
अग्नि पुनः एक बार पृथ्वी पर प्रकट हुआ। जुड़वी संतान थीं (मत्स्य. ११: पन. सृ. ८; विष्णु. ३.५;
सहज--चेहि एवं मत्स्य.देश का एक कुलांगार नरेश, ब्रह्म. ६; भवि. ब्राह्म. ७९, म. आ. ६७; भा. ८.१३)।
जिसने अपने दुर्व्यवहार के कारण, अपने स्वजनों का एवं .कई अन्य पुराणों में इसके इलापति एवं पिंगलापति
परिवार के लोगों का नाश किया (म.उ.७२.११-१७)। मामक अन्य दो पुत्र दिये गये हैं, एवं उन्हें 'संज्ञापुत्र' |
सहजन्य--एक यक्ष, जो आषाढ माह में सूर्य के कहा गया है (भवि. प्रति. ४.१८; पद्म. सृ. ८)।
| साथ भ्रमण करता है (भा. १२.११.३६ )। रूपकात्मक वर्णन--भविष्य पुराण के अनुसार इसकी पत्तियों एवं परिवार का अन्य पुराणों में प्राप्त वर्णन रूप
सहजिन्यु--एक अप्सरा, जो हिरण्यकशिपु के प्रिय कात्मक है। इस रूपक में संज्ञा एवं छाया नामक इसकी | अप्सराओं में से एक थी (पद्म. सू. ४५.)। दो पत्नियाँ क्रमशः अंतरिक्ष ( द्यौः ) एवं पृथ्वी हैं। इन सहदेव--(सो. कुरु.) हस्तिनापुर के पाण्डु राजा के दोनों पत्नियों के पुत्र क्रमशः 'जल' एवं 'सस्य' हैं। | पाँच पुत्रों में से एक (सहदेव पाण्डव देखिये)। ग्रीष्म ऋतु में यह जल का शोषण करता है, एवं वही जल २. (सू. इ.) एक राजा, जो दिवाक (दिवाकर) वर्षाऋतु में पृथ्वी पर गिरा कर उससे सस्य (अनाज) की | राजा का पुत्र, एवं बृहदश्व राजा का पिता था ( भा. ९. निर्मिती करता है। इसी कारण इसे समस्त सृष्टि का पिता | १२.११)। माना गया है (भवि. ब्राह्म. ७९)। इसी पुराण में अन्यत्र
३. (सू. इ.) एक राजा, जो विष्णु एवं वायु के इसे चंद्र एवं नक्षत्रों का पिता, एवं स्वामी कहा गया है ।
अनुसार संजय राजा का पुत्र, एवं कृशाश्व राजा का पिता ३. अट्ठाईस व्यासों में से एक ।
था (वायु, ८६.२०)। भागवंत में इसे संजय राजा का सवेदस्--भृगुकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ।
पुत्र कहा गया है (सहदेव साञ्जय देखिये)। . सवैलेय--अत्रिकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । पाठभेद--
४. एक राजा, जो भागवत विष्णु एवं वायु के अनुसार 'सचैलेय'।
सुदास राजा का पुत्र, एवं सोमक राजा का पिता था (भा. सव्य आंगिरस--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. १. | ९.२२.१ )।
५.(सो. मगध.) मगध देश का एक राजा, जो सव्यसिव्य--एक सैहिकेय असुर, जो विप्रचित्ति एवं | जरासंध राजा का पुत्र था। इसकी अस्ति एवं प्राप्ति सिंहिका के पुत्रों में से एक था । परशुराम ने इसका वध नामक दो बहने थीं, जो मथुरा के कंस राजा को विवाह में किया (ब्रह्मांड. ३.६.१८-२२)।
| दी गयी थीं। १०२७