Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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सत्यतपस् ।
प्राचीन चरित्रकोश
सत्यभामा
जायेगी, यह जान कर इस सत्यप्रतिज्ञ मुनि ने मौन ३. पांचालराज द्रपद का एक पुत्र, जो भारतीय युद्ध धारण किया।
में द्रोण के द्वारा मारा गया (म. क. ४.८१)। २. एक ऋषि, जिसने अपने तप को भंग करने के ४. (सो. वसु.) एक राजा, जो विष्णु के अनुसार लिए आयी हुई अप्सरा को वेर का वृक्ष बनने का शाप | सारण राजा का पुत्र था (विष्णु. ४.१५.२१)। दिया था। आगे चल कर उन अप्सराओं का भरत ऋषि | ५. (सो. ऋक्ष.) ऋक्षवंशीय सत्यधृत राजा का नामांतर ने उद्धार किया (पद्म. उ. १७८; भरत १०. देखिये)। (सत्यधत देखिये)।
३. एक कृष्णभक्त ऋषि, जो अपने अगले जन्म में ६. (सू. निमि.) एक राजा, जो विष्णु के अनुसार भद्रा नामक गोपी बन गया।
| महावीर्य राजा का पुत्र था। वायु एवं भागवत में इसे सत्यतर-एक आचार्य, जो वायु एवं ब्रह्मांड के | सुधृति कहा गया है। अनुसार व्यास की ऋक् शिष्यपरंपरा में से सत्यहित नामक | ७. बलराम के पुत्रों में से एक (ब्रह्मांड. ३.७१. आचार्य का पुत्र एवं शिष्य था (वायु. ६०.२९)। । १६६)। सत्यदृष्टि-पृथुक देवों में से एक।
सत्यधृति क्षौमि--पाण्डवपक्ष का एक योद्धा, जो क्षेम सत्यदेव--कलिंग देश का एक योद्धा, जो कलिंगराज | राजा का पुत्र था (म. द्रो. २२.४८)। अतायु का चक्ररक्षक था । भारतीय युद्ध में भीमसेन ने सत्यधृति वारुण--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. इसका वध किया (म. भी. ५०.६९)।
१०.१८५)। सत्यदेवी-देवक राजा की कन्या, जो वसुदेव की ।
सत्यधृति सौचित्य-पाण्डव पक्ष का एक महारथी सात पत्नियों में से एक थी (मत्स्य. ४४.७३)।
योद्धा, जो सुचित्त राजा का पुत्र था (म. उ. परि. १.१४. सत्यधर्म-धर्मसावर्णि मनु के पुत्रों में से एक। |
१२)। पाण्डवपक्ष में इसकी श्रेणि 'रथोदार' थी, एवं स्वयं सत्यधर्मन-एक राजा, जिसकी कथा गंगास्नान एवं भीष्म ने भी इसके युद्धकौशल्य की स्तुति की थी। यह नामस्मरण का माहात्म्य बताने के लिए पद्म में दी. गयी | अस्त्रविद्या, धनुर्वेद एवं ब्राह्मवेद में पारंगत था (म. द्रो. है (पझ. क्रि. ९)।
२२.४८)। सत्यधर्मन् त्रैगर्त--त्रिगर्तराज सुशर्मन् का एक द्रौपदी स्वयंवर में यह उपस्थित था। इसके रथ के भाई; जो एक 'संशप्तक.' योद्धा था (म. द्रो. १६.१७ | अश्व लाल रंग के थे, एवं सुवर्णमय विचित्र कवचों से वे । २०)। अर्जुन ने इसका वध किया (म. श. २६.३६)। सुशोभित थे । भारतीय युद्ध के आरंभ में इसने घटोत्कच की सत्यधर्मन् सोमक-सोमकवंशीय राजकुमार, जो ।
सहायता की थी (म. भी. ८९.१२)। अंत में द्रोण भारतीय युद्ध में पाण्डवों के पक्ष में शामिल था (म. उ.
ने इसका वध किया (म. क. ४.८३)।। . ३९.२५)।
सत्यध्वज-(सू. निमि.) विदेह देश का एक राजा, जो
ऊर्जवह राजा का पुत्र था। भागवत एवं वायु में इसे सत्यधृत--(सो. ऋक्ष.) एक राजा, जो विष्णु के
क्रमशः 'सनद्वाज' एवं 'सुतद्वाज' कहा गया है । इसके पुत्र . अनुसार पुष्पवत् राजा का पुत्र, एवं सुधन्वन् राजा का
का नाम शकुनि था। पिता था । भागवत एवं वायु में इसे 'सत्यहित', एवं मत्स्य | . में 'सत्यधृति' कहा गया है।
सत्यनेत्र--वैवस्वत मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक। सत्यधृति--(सो. द्विमीढ.) एक राजा, जो भागवत | सत्यपाल--युधिष्ठिर की सभा में उपस्थित एक ऋषि के अनुसार कृतिमत् राजा का, तथा मत्स्य एवं वायु के | (म. स. ४.१२)। अनुसार धृतिमत् राजा का पुत्र था (भा. ९.२१.२७; | सत्यभामा--श्रीकृष्ण की रानी, जो यादवराजा मत्स्य. ४९.७०)।
सत्राजित् (भङ्गकार) की कन्या थी। सत्राजित् राजा ने २. एक ऋषि, जो शतानंद ऋषि का पुत्र, एवं शरद्वत् स्यमंतक मणि के चोरी का झूटा दोष कृष्ण पर लगाया । गौतम ऋषि का पिता था (भा. ९.२१.३५)। भागवत में | इस संबंध में कृष्ण संपूर्णतया निर्दोष है, इसका सबूत प्राप्त प्राप्त इस निर्देश से यह शरदूत गौतम ऋषि का नामान्तर | होने पर सत्राजित् ने कृष्ण से क्षमा माँगी, एवं अपनी प्रतीत होता है।
| ज्येष्ठ कन्या सत्यभामा उसे विवाह में अर्पित की। इसके प्रा. च. १२७]
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