Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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संकृति
प्राचीन चरित्रकोश
संजय
२. (सो. पूरु.) एक पूरुवंशीय राजा, जो भागवत | युद्ध के समय अर्जुन के द्वारा मारा गया (म. वि. ५९. एवं विष्णु के अनुसार नर राजा का पुत्र था। वायु में | १८)। इसको 'सांकृति' नामान्तर दिया गया है। इसकी पत्नी का | सचैलेय-सवैलेय नामक अत्रिकुलोत्पन्न गोत्रकार का नाम सत्कृति था, जिससे इसे रंतिदेव एवं गुरु नामक दो | नामान्तर । ' पुत्र उत्पन्न हुए थे (म. व. २७८.१७; द्रो. ६७.१%; सच्य-(स्वा. उत्तान.) एक राजा, जो भागवत के भा. ९.२१.१-२)।
अनुसार हविधान राजा का पुत्र था। ३. क्षत्रवंशीय संस्कृति राजा का नामान्तर ।
सजातंबी-कश्यपकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । संकोच--एक राक्षस, जो प्राचीनकाल में पृथ्वी का
सजीवि-अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । शासक था।
सज्जनाद्रोहक-धर्माकर नामक धार्मिक व्यक्ति का संक्रंदन--भौत्य मनु के पुत्रों में से एक। . नामान्तर । २. विदर्भ देश का एक राजा, जो वपुष्मत् राजा का
| संचारक-स्कंद का एक सैनिक (म. श. ४४.६९)। पिता था। इसके पुत्र वपुष्मत् ने दशार्णाधिपः चारुवर्मन् | संजय-लोकाक्षि नामक शिवावतार का एक शिष्य । राजा की कन्या सुमना का हरण करना चाहा। किन्तु | २. (सो. क्षत्र.) एक राजा, जो वायु के अनुसार नरिष्यंत राजा के पुत्र दम ने उसे परास्त किया (नरिष्यंत | प्रतिपद राजा का, एवं भागवत के अनुसार प्रति राजा का एवं सुमना देखिये )।
पुत्र था। इसके पुत्र का नाम जय था । विष्णु में प्रतिक्षत्र संक्रम--स्कंद का एक पार्षद, जो विष्णु के द्वारा उसे | राजा के पुत्र का नाम 'संजय' नहीं, बल्कि संजय दिया दिये गये तीन पार्षदों में से एक या। अन्य दो पार्षदों के | गया है (विष्णु. ४.९.२६)। नाम चक्र एवं विक्रम थे (म. श. ४४.१३.)।
३. (सो. अनु.) अनुवंशीय संजय राजा का
.. नामान्तर। . संग प्रायोगि--असंग प्रायोगि नामक आचार्य का |
४. (सो. नील) नीलवंशीय पांचाल संजय राजा का नामान्तर (मै. सं. ३.१.९) .
पुत्र (संजय ७. देखिये)। संगन-(मौर्य. भविष्य.) एक मौर्यवंशीय राजा, जो
५. (सू. निमि.) विदेह देश का एक राजा, जो विष्णु सुयशयस् राजा का पुत्र, एवं शालिशूक राजा का पिता था |
के अनुसार सुपार्श्व राजा का पुत्र था। भागवत में इसे ( भा. १२.१.१४)। विष्णु में इसे दशरथ राजा का पुत्र
चित्ररथ कहा गया है। कहा गया है।
६. सौवीर देश का एक राजकुमार, जो विदुला नामक संगर-एक ब्राह्मण, जो गंगास्नान के पुण्य के कारण |
रानी का पुत्र था। इसके पिता की मृत्यु के पश्चात् , इस यज्ञोभद्र नामक राजा बन गया (पद्म. क्रि.३)।।
अल्पवयी राजा पर सिंधुराजा ने आक्रमण कर, इसे रणसंगव-दुर्योधन का गोशालाधिपति, जिसने घोषयात्रा
भूमि से भागने पर विवश किया। उस समय इसकी युद्ध के समय दुर्योधन की सहाय्यता की थी (म. व.
माता विदुला ने बहुमूल्य उपदेश प्रदान कर, इसे २२८.२)। पाठ--'सभंग'।
पुनः एक बार युयुत्सु बनाया। विदुला के द्वारा इसे किया संग्रह-समुद्र के द्वारा दिये गये दो पार्षदों में से एक। | गया राजनीति पर उपदेश महाभारत में 'विदुला-पुत्र दूसरे पार्षद का नाम विग्रह था (म. श. ४४.३३)। संवाद' नामक उपाख्यान में प्राप्त है (म. उ. १३१- संग्रामजित्-कृष्ण एवं भद्रा के पुत्रों में से एक। १३४; विदुला देखिये)। प्रभासक्षेत्र में हुए यादवीयुद्ध में सुभद्र ने इसका वध | ७. एक राजकुमार, जो सिंधु नरेश वृद्धक्षत्र का पुत्र,एवं किया (भा. ३.७१.२५१)।
जयद्रथ के ग्यारह भाइयों में से एक था (म. व. २४९. २. कृष्ण एवं शैब्यकन्या सुदेवी का पुत्र (ब्रह्मांड. ३. | १०)। जयद्रथ के द्वारा किये गये द्रौपदी-हरण के युद्ध ७१.२५१)।
में यह अर्जुन के द्वारा मारा गया (म. व. २५५.२७)। ३. युधिष्ठिरसभा में उपस्थित एक राजा (म. स. ४. ८. धृतराष्ट्र के शतपुत्रों में से एक। - १९)।
९. (सू. इ. भविष्य.) एक राजा, जो वायु, विष्णु . ३. कर्ण का एक भाई, जो विराट के उत्तर-गोग्रहण | एवं भागवत के अनुसार रणंजय राजा का, एवं मत्स्य के
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