Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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विदूरथ
प्राचीन चरित्रकोश
विदेह
___ कुज़ंभ से युद्ध--एक बार यह जंगल में मृगया के हेतु विदेह-विदेह देश के सीरध्वज जनक राजा का गया था, जहाँ इसने बहुत बड़ी दरार देखी, जो कुजंभ नामान्तर (भा. ११.२.१४; जनक देखिये)। राक्षस की जमुहाई से भूमि पर पड़ी हुई दरारों में से एक २. विदेह देश के निमि राजा का नामान्तर (निमि थी। वहाँ पास ही बैठे हुए सुव्रत मुनि ने इसे बताया, | देखिये )। 'कुज़ंभ राक्षस के पास एक दैवी मूसल है, जिसके कारण
के कारण ३. एक लोकसमूह, जिस पर विदेहवंशीय राजा वह अजेय बन कर पृथ्वी के सारे लोगों त्रस्त कर रहा है। राज्य करते थे (बौ. श्री. २.५: २१.१३)। इसकी ___ आगे चल कर कुजंभ ने इसकी कन्या मुदावती का | राजधानी मिथिला नगरी में थी। पाण्डराजा ने अपने हरण किया, एवं उसका वध करने गये सुनीति एवं सुमति दिग्विजय के समय मिथिला पर आक्रमण किया था, नामक इसके दोनो पुत्रों को कैद किया। फिर इसके एवं विदेहवंशीय क्षत्रिय राजाओं को परास्त किया था (म. मित्र भलंदन ऋषि के पुत्र वत्सप्रि ने कुजंभ का वध आ. १०५-११)। इसी वंश में हयग्रीव नामक कुलांगार किया, एवं मुदावती की मुक्तता कर उससे विवाह किया | राजा उत्पन्न हुआ था। (मार्क. ११३)।
वैदिक साहित्य में इन लोगों का सर्वप्रथम निर्देश विदेघ माथव-एक राजा, जो विदेध लोगों का प्रमुख शतपथ ब्राह्मण में प्राप्त विदेघ माथव की कथा में आता था (श. ब्रा. १.४.१.१०)। ये 'विदेघ' लोग ही आगे | है, जहाँ इस देश के पश्चिम में स्थित कोशल देश की चल कर 'विदेह' नाम से सुविख्यात हुए । मथु का | संस्कृति विदेह से श्रेष्ठतर बतायी गयी है। वंशज होने से, इसे 'माथव' पैतृक नाम हुआ होगा। आगे चल कर इस देश के जनक राजा ने विदेह देश
शतपथ ब्राह्मण में-इस राजा के संबंध में एक को नयी प्रतिष्ठा प्रदान की । बृहदारण्यक उपनिषद के काल चमत्कृतिपूर्ण कथा शतपथ ब्राह्मण में प्राप्त है, जिसके | में सांस्कृतिक दृष्टि से यह एक श्रेष्ठ देश मानने जाने लगा अनुसार इसने अपने मुख में अग्नि को बँध कर रखा | (बृ. उ. ३.८.२)। था। मुँह खोलने से अग्नि बाहर आयेगा, इस आशंका | कौषीतकि उपनिषद में विदेह लोगों का निर्देश काशि से यह किसी से भी बात न करता था। इसके पुरोहित | एवं कोसल लोगों के साथ किया गया है, एवं इन तीनों को का नाम रहगण गौतम था, जिसने इसके मुख में बँध रखे | 'प्राच्य ' सामहिक नाम प्रदान किया गया है ( कौ. उ. हए अग्नि को बाहर लाने के लिए अनेकानेक प्रयत्न किये।। ४.१)। इन तीनों देशों का 'जल जातकर्य' नामक एक ही उसनें अग्नि की विविध प्रकार से स्तुति भी की, किन्तु पुरोहित होने का निर्देश प्राप्त है (सां.श्री. १६.२९.५)। उसका कुछ असर न हुआ।
इस देश का पर आटणार नामक राजा कोसल देश के ___एक बार गौतम ने सहजवश 'घृत' शब्द का उच्चारण | हिरण्यनाम राजा का रिश्तेदार ही था (सां. औ. १६. किया, जिससे इसके मुख में बंद किया गया अग्नि अपनी | २९.५ )। शतपथ ब्राह्मणं में पर आटणार को हिरण्यनाम सहस्त्र जिद्दाएँ फैला कर बाहर आया। वह अग्नि सारे का वंशज, एवं कोसल देश का राजा कहा गया है। संसार को जलाने लगा, एवं विदेध एवं गौतम को दग्ध | पंचविंश ब्राह्मण में नमी साप्य नामक विदेह देश के अन्य करने लगा। उसने सृष्टि की नदियाँ भी सुखाना | एक राजा का निर्देश प्राप्त है (पं. बा. २५.१०.१७)। प्रारंभ किया।
___ कोसल एवं विदेह देशों की सीमा सदानीरा (आधुनिक अग्नि के इस दाह को शांत कराने के लिए, विदेघ गण्डक ) नदी से बँध गयी थी। यह नदी नेपाल से निकल राजा ने अपने राज्य की सीमा पर बहनेवाली 'सदानीरा' | कर पटना के पास गंगा नदी को मिलती है। नदी में स्वयं को झोंक दिया, जहाँ अग्नि आखिर शान्त | महाभारत में--पूर्वोत्तर भारत का एक जनपद के नाते हुआ। फिर भी सदानीरा नदी का पानी अविरत बहता | विदेह देश का निर्देश महाभारत में प्राप्त है, जिसे ही रहा। इसी कारण, वह नदी सदानीरा नाम से सुविख्यात | परशुराम, कर्ण एवं भीम आदि वीरों ने जीता था (म. द्रो. हुई (श. ब्रा. १.४.१.१०-१७)।
परि.१.८.८४६; क. ५.१९; स. २६.४)। इस देश का __ सायणाचार्य के अनुसार, आज भी उपर्युक्त नदी सबसे से सुविख्यात राजा सीरध्वज जनक था, जिसकी कन्या कोसल एवं विदेह देश के सीमा पर ही बहती है। सीता का विवाह राम दाशरथि से हुआ था।