Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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प्राचीन चरित्रकोश
शकुनि
३. अठारह राजाओं का एक समूह, जो शिशुनाग एवं इसने द्रुपदनगर में ही पाण्डवों को जड़मूल से समाप्त राजाओं का समकालीन था (मत्स्य. ५०.७६)। करने की दुर्योधन को सलाह दी थी (म. आ. परि. १.
शकट--एक कंसपक्षीय असुर, जो कृष्ण के द्वारा १०३) । युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में भी यह दुर्योधन मारा गया (म. स. परि. १. क्र. २१. पंक्ति. ६५२- के साथ उपस्थित हुआ था, एवं पाण्डवों के प्रति ६५५, भा. १०.७.८; ह. वं. २.६, ५.२०, विष्णु. ५. दुर्योधन की देषाग्नि सुलगाने का प्रयत्न इसने किया था ६.२ पन. व. १३; उ. २४५)।
(म. स. ३१.६, ४२.६०)। २. अगस्त्यकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ऋषिगण । द्यूतक्रीडा--पाण्डयों पर विजय प्राप्त करने के लिए,
शकपूत नामध-एक राजा, जिसे ऋग्वेद के एक एवं युधिष्ठिर का ऐश्वर्य हड़पने के लिए इसने दुर्योधन को सूक्त के प्रणयन का श्रेय दिया गया है (ऋ. १०.१३२)। द्यूतक्रीडा का आयोजन करने की सलाह दी। पश्चात् त अनुक्रमणी में इसे नृमेध राजा का पुत्र कहा गया है। के लिए युधिष्ठिर को निमंत्रित करवा कर, इसने उसे छलइसके द्वारा रचित रक्त में, इराने वरुण से अपनी रक्षा कपट से यत में परास्त किया (म. स. ५३-५४)। मरने के लिए प्रार्थना की है।
इसके साथ द्यूत खेल कर कर युधिष्ठिर अपना सब कुछ • शकुन-गृथुक देवों में से एक (ब्रह्मांड. २.३६.७३)। खो बैठा। पश्चात् इसका युधिष्ठिर के साथ यूत का और .. शकुनि--एक असुर, जो वृकासुर का पिता था। इंद्र एक दाँव हुआ, जिसमें शर्त के अनुसार इसने युधिष्ठिर एवं बलि के दरम्यान हुए युद्ध में, इसने बलि राजा के को बन जाने के लिए विवश किया। पक्ष में भाग लिया था ( भा. ८.१०.२०)।
घोषयात्रा--द्वैतवन में पाण्डव जन वनवास भुगत रहे २. इक्ष्वाक राजा के सी पुत्रो में से एक। दक्षिणापथ थे, तब दुर्योधन एवं इसने ऐसी योजना बनायी कि, उनके पर राज्य करनेवाले अपने पचास भाइयों का यह अधिपति सम्मुख अपने सामथ्य का प्रदर्शन किया जाये । तदनुसार पक्ष था (वायु. ८८.९)।
यह दुर्योधन के साथ घोषयात्रा के लिए गया । किन्तु वहाँ ३. (स. निमि.) एक राजा, जो वायु के अनुसार
दुर्योधन चित्रसेन गंधर्व से परास्त हुआ, एवं वह उन्हीं सुतद्वाज राजा का पुत्र, एवं स्वागत राजा का पिता था | पाण्डवों के द्वारा बचाया गया, जिनके सामने अपने (वायु. ८९.२०)।
| सामर्थ्य का प्रदर्शन करने वह गया था (म. व. २२७४. (सो. क्रोष्टु.) एक यादव राजा, जो भागवत एवं २३०)। विष्णु के अनुसार दशरथ राजा का, वायुके अनुसार एका- भारतीय युद्ध में--भारतीय युद्ध में इसका निम्नदशरथ राजा का, एवं मत्स्य के अनुसार दृढरथ राजा का लिखित पाण्डव पक्षियों से युद्ध हुआ था, जिनमें बहुत सारे पुत्र था। इसके पुत्र का नाम करंभक था (भा. ९.२४. युद्धों में यह परास्त हुआ था :-१. प्रतिविंध्य (म. भी.
४५), २. युधिष्ठिर, नकुल एवं सहदेव (म. भी. १०१. शकुनि सौवल--गांधार देश के सुबल राजा का पुत्र, ८-२४); ३. अर्जुन (म. द्रो.१४६.२५-४१); ४, भीमसेन जो दुर्योधन का मामा था (म. आ. ५५.३९)। सुबल | (म. क. ५५)। राजा का पुत्र होने के कारण इसे 'सौबल' पैतृक नाम प्राप्त भारतीय युद्ध के अंतिम दिन, पाण्डवों के घुड़सवारों हुआ होगा (म. क. ५५)।
ने इस पर आक्रमण किया था। उस समय यह युद्धभूमि यह शुरू से ही अत्यंत दुष्प्रकृति था। देवताओं का से भाग गया (म. श. २२.३९-८७ ) । अन्त में सहदेव कोप होने के कारण यह धर्मविरोधी बन गया, एवं | के द्वारा इसका वध हुआ (म. श. २७.६२) । पौष अनाचारी कार्य करने लगा (म. आ.५७.९३-९४)। अमावास्या के दिन इसकी मृत्यु हुई। यह द्वापर दैत्य के अंश से उत्पन्न हुआ था (म. आ. परिवार--इसके निम्नलिखित ग्यारह भाई थे :६१.७२: आध. ३९.१०)।
| १. वृषक; २. बृहद्वल; ३. अचल; ४. सुभगः ५. विभु; पाण्डवों का द्वेष-गांधारी के साथ धृतराष्ट्र का विवाह | ६. भानुदत्त; ७. गज; ८. गवाक्षः ९. चर्मवत्, १०.आर्जव: इसी के ही मध्यस्थता से हुआ था (म. आ.१०३.१४- ११. शुक । इन भाइयों में से छ: भाई इरावत के द्वारा १५)। यह द्रौपदी स्वयंवर में उपस्थित था (म. आ. (म. भी. ८६.२४-३७), एवं पाँच भीमसेन के द्वारा १७७.५ ) । यह शुरू से ही पाण्डवों का द्वेष करता था, | मारे गये (म. द्रो. १३२.२०-२१) ।