Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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वृष्णि
प्राचीन चरित्रकोश
वेंकटेश
वंश में उत्पन्न महारथि, महारथ, रथ एवं मंत्रिपुंगवों की ४. धृतराष्ट्रकुल में उत्पन्न एक नाग, जो जनमेजय के सविस्तृत जानकारी प्राप्त है:
| सर्पसत्र में मारा गया था (म. आ. ५२.१६ )। (१) महारथ--कृतवर्मन् , अनाधृष्टि, समीक, समि- ५. एक सुविख्यात दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों तिंजय, कह (कंस), शंकु, निदान्त (म. स. १३. में से एक था (म. आ. ५९.२३)। पृथ्वी पर यह केकय ५७-५८)।
| राजकुमार के रूप में अवतीर्ण हुआ था (म. (२) महारथ-प्रद्युम्न, अनिरुद्ध, भानु, अकर, | आ. ६१.१०)। सारण, निशठ, गद (म. स. १३.१५९*)।
६. एक दैत्य, जो शाल्व का अनुयायी था । कृष्ण(३) रथ-आहक, चारुदेष्ण, चक्रदेव, सात्यकि, शाल्व युद्ध में शामिल था, जहाँ कृष्णपुत्र सांब के द्वारा कृष्ण, रौहिणेय (बलराम), सांब, शौरि (म. स. यह मारा गया (म. व. १७.२०)। १३.५६)।
| वेगवाहन--तक्षककुलोत्पन्न एक नाग, जो जनमेजय (४) मंत्रिपुंगव -वितद्रु, झल्लि, बभ्रु, उद्धव, विडूरथ, | के सर्पसत्र में दग्ध हुआ था (म. आ. ५२.९)। वसुदेव एवं उग्रसेन (म. स. १३.१५९००)।
वेंकटेश- एक भारतीय वैष्णव देवता, जो दक्षिण ३. (सो. वृष्णि.) वृष्णिवंशीय पृष्णि राजा का भारत में श्रीपर्वत अथवा शेषाचल (तामील 'तिरुमलै') नामान्तर (पृष्णि ४. देखिये)।
नामक पर्वतीय स्थान पर स्थित है । स्कंद में इस देवता ४. (सो. कुकुर.) कुकुरवंशीय धृष्ट राजा का का निर्देश 'श्रीनिवास' नाम से किया गया है, एवं नामान्तर (धृष्ट. ५. देखिये)। इसके कपोतवर्मन् एवं| इसकी पत्नी का नाम पद्मिनी दिया गया है ( स्कंद. २.१. धृति नामक दो पुत्र थे (मत्स्य. ४४.६२)।
४-८)। उत्तर भारत में यही देवता बालाजी नाम से ५. (सो. सह.) एक राजा, जो मधु राजा के सौ | सुविख्यात है जो मुख्यतः वैश्य एवं व्यापारी लोगों की पुत्रों में से एक था । यह एक अत्यंत सुविख्यात राजा | देवता माना जाता है। था, जिसके कारण इसका वंश सुविख्यात हुआ। दक्षिण भारत में स्थित विठ्ठल एवं वेंकटेश ये विष्णु के
वृष्णिमत-(सो. कुरु. भविष्य.) एक राजा, जो ही साक्षात् स्वरूप माने जाते है, एवं विष्ण के अन्य विष्णु के अनुसार शुचिरथ राजा का, एवं मत्स्य के | अवतारों से इनका स्वरूप पूर्णतया विभिन्न हैं। . अनुसार शुचिद्रव राजा का पुत्र था। भागवत एवं वायु वेंकटेश का शब्दशः अर्थ : पापनाशक' (वेंक -पाप; में इसे क्रमशः 'घृष्टिमत्' एवं 'रुतिमत् ' कहा गया है। | कट-नाशक) है। इसी कारण स्वयं वेंकटेश देवता एवं जिस इसके पुत्र का नाम सुषेण था (मत्स्य. ५०.८०; विष्णु. पर्वत पर यह स्थित है, वह वेंकटाद्रि अत्यंत पवित्र माने ४.२१.१२)।
जाते हैं। वहंगिरस्-एक राजा, जो मनु एवं वरस्त्री के पुत्रों जिस प्रकार वेंकटेश श्रीविष्णु का रूप माना जाता है; ' में से एक था।
उसी प्रकार वेंकटाद्रि शेषनाग का स्वरूप कहलाता है। . वेगदर्शिन--रामसेना का एक वानर । राम के वेंकटाद्रि का तामिल नाम 'तिरुमलै' (तिरु = श्री; मलै राज्याभिषेक के समय इसने जल लाया था (वा. रा. =पर्वत) है, एवं वह 'श्री-पर्वत' एवं 'शेषाचल' इन यु. १२८.५२ )।
संस्कृत शब्दों का तामिल रूप प्रतीत होता है। दक्षिण वेगवत्-(सू. दिष्ट.) एक राजा, जो विष्णु के भारत में स्थित वेंकटेश मंदिर सात पर्वतों के एक समूहमें अनुसार धुंधुमत् राजा का, एवं भागवत तथा वायु के स्थित है, जहाँ पहुँचने के लिए सात मील चढ़ान अनुसार बंधुमत् राजा का पुत्र था। इसके पुत्र का नाम | चढ़नी पड़ती है। बंधु था (भा. ९.२.३०)।
___ उपासना-स्कंद में 'वेंकटेश महात्म्य' विस्तृत रूप २. एक यादव राजकुमार, जो कृष्ण एवं सत्या के | में प्राप्त है । बलराम-तीर्थयात्रा वर्णन में भी वेंकटेश का पुत्रों में से एक था।
निर्देश प्राप्त है (भा. ५.१९.१६, १०.७९.१३)। ३. एक यादव, जो कृष्ण और नामजिती राजा का वैजयंती कोश में भी 'वेंकटाद्रि' का निर्देश प्राप्त है (वैज पुत्र था (भा. १०.६१.१३)।
| ४१.१०)। ९०४