Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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व्यास
इन पुराणों के नाम, उनके अधिष्ठात्री देवता, श्लोकसंख्या एवं निवेदनस्थल आदि की जानकारी 'महापुराणों की तालिका' में दी गयी हैं । इस तालिका में जिन पुराणों के नाम के आगे ‘*’चिन्ह लगाया गया है, उनके महापुराण होने के संबंध में एकवाक्यता नहीं है।
महापुराण
४. नारद
५. पद्म
1
६. ब्रह्म
७. ब्रह्मवैवर्त
८. नृसिंह* ९. ब्रह्मांड
१०. भविष्य
११. भागवत
१. अग्नि (सर्व - अंगिरस् (अग्नि- अग्नि विद्यायुक्त ) २. कूर्म
वसिष्ठ संवाद )
३. गरुड
(अ) विष्णु (ब) देवी *
१२ मत्स्य १३. मार्कंडेय
१४. लिंग
१५. वराह
१६. वामन
१७. वायु *
१८. विष्णु १८-अ विष्णुधर्मोत्तर
वक्ता
१९. शिव *
२०. स्कंद
व्यास
हरि
नारद
ब्रह्मन् (रोमहर्षेण पुत्र प्रोक्त) ब्रह्मन - मरीचि
संवाद सावर्णि - नारद
संवाद
व्यास
मार्कंडेय
तंडिन्
मार्कडेय
व्यास
व्यास
पराशर
महापुराणों की तालिका
देवता गुण
व्यास
शिव
शिव
विष्णु
विष्णु
ब्रहान्
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ब्रह्मन् राजस
सूर्य
विष्णु
शिव
व्यास
तंडन्
राजस
सुमन्तु शतानीक शिव राजस
शुक
विष्णु
| देवी
शिव
शिव
शिव
प्राचीन चरित्रकोश
शिव
शिव
शिव
विष्णु
शिव शिव
राजस
व्यास
उपपुराणों की नामावलि – उपपुराणों की संख्या भी अठारह बतायी गयी है, किन्तु विभिन्न पौराणिक ग्रंथों में से कौन-कौन से ग्रंथों का 'अठारह उपपुराणों' की नामावलि में समाविष्ट करना चाहिये, इस संबंध में मतैक्य नहीं हैं। विभिन्न पुराणों में प्राप्त उपपुराणों के नाम नीचे दिये
| तामस १५,४०० अपूर्ण
सात्विक
१७,००० अपूर्ण
सात्विक १९,००० अपूर्ण सात्विक २५,००० अपूर्ण
सात्विक
५५,००० अपूर्ण
श्लोक सख्या
अपूर्ण या
पूर्ण
१०,००० पूर्ण
१८,००० पूर्ण
(प्रक्षेपयुक्त)
१२,००० पूर्ण १४,५०० अपूर्ण
सात्विक १८,००० पूर्ण
१६००० विष्णुध.
९२६
तामस
राजस
राजस
१४,००० अपूर्ण ९,००० अपूर्ण ११,००० पूर्ण सात्विक २४,००० अपूर्ण १०,००० अपूर्ण २४,००० पूर्ण सात्विक ७००० वि.
राजस
पूर्ण
प्रसंग एवं स्थल
नैमिषारण्य
नैमिषारण्य सत्र नैमिषारण्य
नैमिषारण्य, सिद्धाश्रम
नैमिषारण्यं,
नैमिषारण्य, द्वादशवार्षिकसत्र.
नैमिषारण्य
तामस
| २३००० २४,००० तामस | ८१,००० अपूर्ण कुल श्लोकसंख्या ४,२५,०००/
(अग्नि. २७२; ३८३; कूर्म. पूर्व. १.१३ - १५; नारद अनुक्रमणिका; ब्रह्मवै. कृष्ण. २.१३३.११-२१; भा. १२.१३.४-८ संख्यायुक्त; मत्स्य. ५३.११ - ५६; वराह. ११२; वायु. १०४.२- १०, विष्णु. ३.६.१९-२३; स्कंद. प्रभास. २; रोमहर्षण देखिये) ।
सुत भारद्वाज संवाद, प्रयाग नैमिषारण्य, सहस्रवार्षिकसत्र शतानीकनृपसभा
सहस्रवार्षिकसत्र
नैमिषारण्य, दीर्घसत्र
नैमिषारण्य | पृथ्वी - वराह संवाद
दृषद्वती तीर दीर्घसत्र हिमालय राक्षससत्र
| प्रयाग महासत्र नैमिषारण्य, दीर्घसत्र