Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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विमद
प्राचीन चरित्रकोश
विरजा
थे। लदविंग के अनुसार, वत्स काण्व एवं आश्वियों का | ४. सावर्णि मनु के पुत्रों में से एक। कृपापात्र विमद दोनों एक ही थे (लुडविग, ऋग्वेद अनुवाद | ५.(स्वा.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार पूर्णिमत ३.१०५ ) । ऋग्वेद की एक ऋचा में विमद एवं वत्स का | राजा का पुत्र था। एकत्र निर्देश प्राप्त है (ऋ. ८.९.१५)।
६. एक आचार्य, जो व्यास की ऋकशिष्य परंपरा में विमनप्या-एक अप्सरा, जो कश्यप एवं मुनि की | से जातकण्य नामक आचार्य का शिष्य था (भा. १२.६. कन्याओं में से एक थी (ब्रह्मांड. ३.७.५)। विमर्द--एक किरात राजा, जिसका शिवपूजा के |
| विरजस्-भगवान् नारायण का एक मानसपुत्र, कारण उद्धार हुआ (कंद. ३.३.४ )।
जिसने अपना राज्य छोड़ कर संन्यासव्रत की दीक्षा ली। विमल-दक्षिणापथ का एक राजा, जो इल (सुद्यम्न)
इसके पुत्र का नाम कीर्तिमत् था (म. शां. ५९.९४-९६)। राजा का पुत्र था (भा.९.१.४१)। २. (सो. कोष्ट.) एक राजा, जो जीमूत राजा का पुत्र,
२. नारायण नामक शिवावतार का एक शिष्य ।
३. लोकाक्षि नामक शिवावतार का एक शिष्य । एवं भीमरथ राजा पिता था (मत्स्य, ४४.४१)। पाठ, | 'विकृति'।
४. चाक्षुष मन्वन्तर का एक ऋषि, जो वसिष्ठ एवं ऊर्जा ३. हिमालय की तलहटी में रहनेवाला एक ब्राह्मण,
के सात पुत्रों में से एक था (भा. ४.१.४१)। जिसे ब्रह्मा की तपस्या के कारण पुत्रप्राप्ति हुई थी (पन.
५. वशवर्तिन् देवों में से एक । उ.२०७)।
६. एक नाग,जो कश्यप एवं कद्र के पुत्रों में से एक था। ४. रत्नातट नगरी का एक राजा, जिसने राम के ७. (सो. कुरु.) धृतराष्ट्र के शतपुत्रों में से एक । अश्वमेध यज्ञ के समय शत्रुघ्न को सहाय्यता की थी भीम ने इसका वध किया (म. द्रो. ११३.११३५७, पंक्ति. (पन. पा. १७)।
२-५)। . एक यक्ष, जो मणिवर एवं पुण्यजनी के पत्रों में से ८. एक प्रजापति, जो वारुणि कवि नामक ऋषि के आठ एक था।
पुत्रों में से एक था। इसके अन्य सात भाईयों के नाम - विमलपिंडक--एक नाग, जो कश्यप एवं कद्र के |
निम्न प्रकार थे:--कवि, काव्य, धृष्णु, उशनम् , भृगु, पुत्रों में से एक था।
विरजस् एवं का शि । इसकी विरजा एवं नड्बला नामक दो ' विभला--एक गाय, जो मुरभित्री रोहणी के दो कन्याएँ, एवं सुधन्वन् नानक एक पत्र था। इनमें से विरजा कन्याओं में से एक थी। दूसरी कन्या का नाम अनला था का विवाह क्ष वानर से, एवं नवला का विवाह चाक्षुष (म. आ.६०.४१*)।
मनु से हुआ था । वैराज नामक पितर भी इसीके ही अनला से पिण्डाकार फल देने वाले सात वृक्ष निर्माण पुत्र कहलाते हैं (ब्रह्मांड. ३.७.२१२)। हुए (म. आ. ६०.६६)।
विरजस्क--सावर्णि मनु के पुत्रों में से एक । विमुख--दक्षिण भारत में रहनेवाला एक ऋषि (वा. विरजा--विरजस् नामक प्रजापति की कन्या, जों रा.उ.१)।
शुकपुत्र ऋक्ष वानर की पत्नी थी । इसे इंद्र एवं सूर्य से विमौद्गल--अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। क्रमशः वालिन् एवं सुग्रीव नामक पुत्र उत्पन्न हुए (ब्रह्मांड. वियति-एक राजा, जो भागवत एवं विष्णु के ३. ७.२१२-२१५)। वाल्मीकिरामायण के दाक्षिणात्य अनुसार नहुष राजा का पुत्र था (भा. ९.१८.१; विष्णु. पाठ में, वालि एवं सुग्रीव को स्त्रीरूपधारी ऋक्षरजम ४.१०.१)।
वानर के पुत्र कहा गया है ( वालिन् देखिये)। विरज--(स्वा. नाभि.) एक राजा, जो त्वष्ट एवं २. सुस्वधा नामक 'आज्यप' पितरों की कन्या, जो विरोचना के पुत्रों में से एक था। इसकी पत्नी का नाम नहुष की पत्नी, एवं ययाति की माता थी (मत्स्य.१५.२३)। विशुचि था, जिससे इसे शत जित् आदि सौ पुत्र एवं एक ३. एक राक्षसी, जिसने अदितिपुत्र महोत्कट का कन्या उत्पन्न हुई।
वेष धारण किये हुए श्रीगणेश को भक्षण किया। २. चाक्षुप मन्वन्तर का एक ऋपि।
महोत्कटरूपी श्रीगणेश इसका उदर विदीर्ण कर बाहर ३. सावर्णि मन्वन्तर का एक देवगण ।
आया । अन्त में उसीके ही स्पर्श से इसे मुक्ति प्राप्त हुई। प्रा. च. १०८]
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