Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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बस
वसु का नाम
( १ ) अनल (२) अनिल
(३) अप् (अहं)
(४) पर
(५) ध्रुव (६) प्रत्यूष ( ७ ) प्रभास
( ८ ) सोम
(चंद्र)
माता
शांडिल्या
श्वासा
रता
धूम्रा
धूम्रा
प्रभाता
प्रभाता
मनखिनी
प्राचीन चरित्रकोश
अष्टवसुओं का परिवार
पत्नी
शिवा (कृत्तिका ) कल्यागिनी
मनोहरा
८. सोम की अनुचरी देवताओं में से एक। ९. दक्षसावर्णि मन्यन्तर का एक ऋषि
वरस्त्री आंगिरसी (बृहस्पतिभगिनी)
पुत्र
कंड शाख, विशाल, नैशमेय । स्कंद, मनोजव, जीव, अविज्ञातगति । रमण, शिशिर ।
वैतण्ड्य (दंड); श्रम (शांत्र, शम), श्रांत (शांत ); मुनि ( ध्वनि, मणिवक ), ज्योति ।
शिशिर, रमण ( द्रविण ), प्राण,
हव्यवाह |
काल । देव |
विश्वकर्मन् ।
(ब्रह्मांड. ३,३.२१ - २९; वायु. ६६.२० - २८; विष्णु. १.१५.१११-१२०, मत्स्य. ५.१७-२७; अझ ३.३६-४४९ ६. सं. १.३. म. आ. ६०
१०-२६ ) ।
१५. (सो. ऋक्ष ) चेदि देश के उपरिचर वसु राजा का नामांतर (उपरिचर देखिये ) । भागवत एवं विष्णुमें
वर्चस्, बुध, धर (धार), ऊर्मि, कालिछ ।
इसे क्रमश: ' कृति एवं 'कृतक' राजा का पुत्र कहा गया है ।
१०. सावर्णि मनु का एक पुत्र ( मत्स्य. ९.३३; मनु आदिपुरुष देखिये) ।
१२. एक राजा, जो मत्स्य के अनुसार पुरूरवस् एवं उर्वशी का पुत्र था ( मत्स्य. २४.३३ ) । पाठभेद - 'अमाय'।
१६. (स्वा. उतान. ) एक राजा, जो उत्तानपाद राजा का पुत्र था। इसकी माता का नाम सुनता था। एक बार ११. स्वायंभुव मनु का एक पुत्र ( मत्स्य ९.५; मनु पशुयज्ञ के संबंध में वादविवाद का निर्णय देने के लिए आदिपुरुष देखिये) । कई ऋषि इसके पास आये उस समय इसने पशुयश हिंसक, अतएव त्याज्य होने का अपना मत प्रकट किया, जिस कारण ऋषियों ने इसे रसातल में जाने का शाप दिया। आगे चल कर तपस्या के कारण, इसे स्वर्गलोक की प्राप्ति हो गयी ( मत्स्य. १४३.१८ - २५ ) ।
१३. (स्वा. उत्तान. ) एक राजा, जो भागवत के अनुसार वत्सर राजा का पुत्र था। इसकी माता का नाम स्वथि था।
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१४. (सो. अमा.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार कुरा राजा के चार पुत्रों में से एक था। विष्णु एवं वायु में इसे क्रमशः 'अमावसु' एवं 'यशोवसु कहा गया है। इसने गिरिज नामक नगरी की स्थापना की, जो रामायणकाल में 'वसुमती' नाम से सुविख्यात थी ( वा. रा. बा. ३२.७ ) ।
इसकी कन्या का नाम अग्छ मास्यगंधा सत्यवती था, जिसे पराशर ऋषि से व्यास नामक पुत्र उत्पन्न हुआ (मःस्व. १४.१४) । स्कंद के अनुसार, इसके पीछे से एक मत्स्थी के गर्भ से सत्यवती अथवा मत्स्यगंधा नामक कन्या का जन्म हुआ था (५.१.९७ ) ।
१७. ( इ.) एक राजा, जो नृग राजा का पुत्र था। १८. (सू. नृग.) एक राजा, जो सुमति राजा का पुत्र था। १९. (सो. वसु. ) एक राजा, जो वसुदेव एवं देवराक्षिता के पुत्रों में से एक था। कंस ने इसका वध किया ।
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