Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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विकुंभ
प्राचीन चरित्रकोश
विचित्र
- विकुंभ-एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में | विगाहन-मुकुटवंश में उत्पन्न एक कुलांगार राजा, से एक था।
जिसने अपने दुर्युवहार के कारण अपने जातिबांधवों विकृत-ब्राह्मण का वेश धारण किया हुआ कामदेव, का एवं स्वजनों का नाश किया (म. उ.७२.१६)। जिसने इसी वेश में इक्ष्वाकु राजा के साथ संवाद किया | विग्रह--एक स्कंदपार्षद, जो समुद्र के द्वारा स्कंद था (म. शां. १९३.८३-११६)।
| को दिये गये दो पार्षदों में से एक था। दूसरे पार्षद का विकृति--(सो.क्रोष्ट.) एक यादव राजा. जो भागवत, | नाम संग्रह था (म. श. ४४.४६ )। विष्णु एवं वायु के अनुसार जीमूत राजा का पुत्र था। विघन--रावणपक्ष का एक राक्षस (वा. रा.सु. ६)। इसके पुत्र का नाम भीमरथ था । मत्स्य में इसे 'विमल' विघ्न-वध नामक राक्षस का पुत्र (वायु.६९.१३०)। कहा गया है।
२. नरमांसभक्षक एक राक्षस, जो कालि एवं अयोमुखी
नामक राक्षस का पुत्र था (ब्रह्मांड, ३,५९.१०)। २. रुद्रगणों में से एक। विक्रम-धृतराष्ट्रपुत्र बलवर्धन का नामांतर ।।
विघ्नेश--श्रीगणेश नामक देवता का नामांतर । ब्रह्मांड विक्रमशील--एक राजा, जिसकी पत्नी का नाम |
.. में इसके इक्कावन नामान्तर दिये गये हैं (ब्रह्मांड. ४. कालिंदी, एवं पुत्र का नाम दुर्गम था (मार्क. ७२)।
४४.६३-६६)।
विचकाक्ष-एक राजा, जिसने मांसभक्षण का त्याग विक्रमित्र--शुंगवशीय वज्रमित्र राजा का नामांतर |
किया था (म. अनु. १७७.७१)। ... (वायु. ९९.३४१)।
विचक्षण ताण्ड्य--एक आचार्य, जो गर्दभीमुख विक्रांत--(सू. दिष्ट.) एक प्रजाहितदक्ष राजा, जो शांडिल्यायन नामक आचार्य का शिष्य था। इसके शिष्य दम राजा का पुत्र था। इसके पुत्र का नाम सुधृति था का नाम शाकदास भाडितायन था (वं. बा. १.)। (बायु. ८६.१३)।
विचक्षुष--वसिष्ठकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । पाठभेद२. एक प्रजापति, जो वालेय गंधों का जनक माना | 'विवर्धक।
| विवधक। जाता है ( वायु. ६५.५३; ६९.१८)।
. विचख्नु--एक राजा, जो 'यज्ञकर्म में अहिंसावत विक्षम-कश्यपकुलोत्पन्न गोत्रकार ।
का पालन करना चहिए' इस तत्व का प्रतिपादक था। विक्षर--एक असुर, जो कश्यप एवं दनायु के चार
अपने इस मत के प्रतिपादन के लिए इसने 'विचख्नु पुत्रों में से एक था । इसके अन्य तीन भाइयों के नाम
गीता' की रचना की थी, जो भीष्म ने युधिष्ठिर को बल, वीर एवं वृत्र थे (म. आ. ५९.३२)। आगे चल
निवेदित की थी। पाठभेद- 'विचख्यु' (म. शां. कर, यही पृथ्वी पर वसमित्र राजा के रूप में अवतीर्ण
२५७.१)।
विचारिन् काबन्धि--एक आचार्य, जो मांधातृ हुआ (म. आ. ६१.३९)।
राजा के यज्ञ में उपस्थित था ( गो. ब्रा. १.२.९; १८)। विक्षोभण--एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों
कबन्ध का वंशज होने से इसे 'काबन्धि' पैतृक नाम में से एक था।
प्राप्त हुआ होगा। विखनस--एक कृष्णयजुर्वेदी आचार्य, जिसका निर्देश विचारु-कृष्ण एवं रुक्मिणी के पुत्रों में से एक 'वैखानसधर्मप्रश्न' नामक ग्रंथ में एक पूर्वाचार्य के | (भा. १०.६१.९)। नाते किया गया है (वै. ध. २.५.९, ३.१५.१४)। विचित्र--रोच्य मनु के पुत्रों में से एक (वायु, वसिष्ठधर्मसूत्र में भी इसके सूत्र का निर्देश प्राप्त है| १००.१०८)। (व.ध. ९.१०), जहाँ इसने वानप्रस्थाश्रम लेने के २. देवसावर्णि मनु के पुत्रों में से एक (भा. ८. अनेकानेक विधि बताये हैं। अनुलोम एवं प्रतिलोम | १३.३०)। विवाह की संतति के लिए कौनसे व्यवसाय सुयोग्य है, ३. एक राजा, जो क्रोधवश नामक दैत्य के अंश से इस संबंध में भी इसके उद्धरण प्राप्त हैं।
उत्पन्न हुआ था (म. आ. ५१.५६)। भारतीय युद्ध में विख्यात–एक राक्षस, जो तेरह सैहिकेयों में से यह कौरवों के पक्ष में शामिल था। पाठभेद-'विचित्य' । एक माना जाता है।
। ४. यम का एक लेखक (स्कंद. ७.१.१४३)।