Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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मार्कंडेय
प्राचीन चरित्रकोश
मालव
इस पर अनुर
उप-
है, उसी स्थान
प्रयत्न किया। किंतु इसकी तपस्या अटूट रही । अंत में 'मातोंड' का शब्दशः अर्थमृत होता है। कई अभ्यासकों नरनारायणों ने प्रसन्न हो कर, इस पर अनुग्रह किया। के अनुसार, पृथ्वी के जिस स्थान पर सूर्य सात महिनों • २. एक ऋषि, जो अयोध्या के दशरथ राजा के उप- तक क्षितिज में रहता है, एवं आठवें माह में अस्तंगत ऋत्विजों में से एक था (बा. रा. बा. ७.५)। राम | होता है, उसी स्थान में इस आदित्य का निवास होता है । दाशरथि राजा के आठ धर्मशास्त्रियों में से यह एक था मार्तिकावत-एक लोकसमूह, जो समुद्र के किनारे (वा. रा. उ. ७४.४)। सीतास्वयंवर के समय यह राम अबु पहाडी के प्रदेश में निवास करता था। परशुराम ने के साथ मिथिला गया था (वा. रा. बा. ६९.४)। पन इस देश के क्षत्रियों का संहार किया था (म. द्रो. परि. के अनुसार, इसने राम को 'अवियोगद कूप' नामक | १.८.८४७)। इस देश का सुविख्यात राजा शाल्व था, पवित्र कुआँ दिखाया था (पश्न. सृ. ३३)। जिसका श्रीकृष्ण ने वध किया था (म. व. १५-१६;
वाल्मीकि रामायण में प्रायः सर्वत्र इसका निर्देश- | शाल्व देखिये)। भारतीय युद्ध के समय, इस देश का 'दीघायु ' नाम से प्राप्त है, जिससे प्रतीत होता है कि. | राजा भोज मार्तिकावत था। भोज मार्तिकावत के साथ माकंडेय इसका पैतक नाम था, एवं मृकंड का पुत्र होने | अभिमन्यु का युद्ध हुआ था (म. द्रो. ४७.८)। से इसे यह नाम प्राप्त हुआ था।
मार्तिकावतक-मार्तिकावत के राजा शाल्व का ३. एक आचार्य, जो वाय के अनसार व्याप की | नामान्तर (म. द्रा. ४७.८)। ऋशिष्यपरंपरा में से इंद्रप्रमति ऋषि का शिष्य था।
| २. चित्ररथ गंधर्व का नामान्तर। H D
मार्दमर्षि-विश्वामित्र ऋषि के ब्रह्मवादी पुत्रों में से एक प्राप्त है (व्यास देखिये)।
(म. अनु. ४.५७)। मार्गणप्रिया-कश्यप एवं प्राधा की कन्याओं में से।
माष्टपिंगलि--अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार |
मार्टि--(सो. वसु.) एक राजा, जो विष्णु के अनुसार मार्गपथ-भृगुकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ।
सारण राजा का पुत्र था।
मार्टिबत्--(सो. वसु.) एक राजा, जो विष्णु के मार्गवेय--मृगवुपुत्र राम नामक आचार्य का मातृक |
अनुसार सारण राजा का पुत्र था। नाम (राम मार्गवेय देखिये)।
मालतिका--स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. श. मार्गय--भृगुकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । इसके नाम के
४५.४)। लिए 'भार्गेय ' पाठभेद प्राप्त है।
मालती--इक्ष्वाकुवंशीय शत्रुधातिन् राजा की पत्नी । मार्जार--एक राजा, जो प्रजापतिपुत्र जांबवत् का
२. मद्र देश के अश्वपति राजा की पत्नी । इस के नाम .. पुत्र था । ब्रह्मांड के अनुसार, आगे चल कर, इसीसे |
के लिए 'मालवी' पाठभेद प्राप्त है (मालवी देखिये)। मार्जार जाति उत्पन्न हुयी (ब्रह्मांड ३.७.३०६)।
सत्यवान् राजा की पत्नी सावित्री इसीकी ही कन्या थी - मार्जारास्या--केसरी वानर की पत्नी । आनंद
(सावित्री देखिये)। रामायण के अनुसार, इसे निति धर्धरस्वन नामक पुत्र
मालय-गरुड की प्रमुख सन्तानों में से एक (म. उ. उत्पन्न हुआ (आ. रा. सार. १३)।
९९.१४)। पाठभेद-'मलय'। मार्जारि--(सो. मगध. भविष्य.) मगध देश का मालयनि--भृगुकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । एक राजा, जो भागवत के अनुसार जरासंध का पौत्र, एवं मालव-पश्चिम भारत में रहनेवाला एक लोकसमूह । सहदेव राजा का पुत्र था। अन्य पुराणों के अनुसार, नकुल ने अपने पश्चिम दिग्विजय में इनका पराजय किया इसे 'सोमाधि' अथवा 'सोमापि' नामांतर भी प्राप्त थे। था (म. स. २९.६)। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय इसके पुत्र का नाम श्रुतश्रवस् था।
ये लोग उपस्थित थे, एवं इन्होने विपुल धनराशि युधिष्ठिर माताड--एक आदित्य, जो द्वादशादित्यों में से | को अर्पण की थी (म. स. ३१.११, ५२.१४ )। आठवाँ माना जाता है (म. आ. ७०.१०; भा. ५.२०. भारतीय युद्ध में ये लोग कौरव पक्ष में शामिल थे। ४४, ब्रह्मांड. ३.७.२७८-३८८)। महाभारत में इसे | भीष्म की आज्ञा के अनुसार, इन लोगों ने अर्जुन से कामधेनु का पति कहा गया है (म. अनु. ११७.११)। मुकाबिला किया था (म. भी. ५५.७४)। किंतु अन्त में प्रा. च. ८२]
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