Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
View full book text
________________
युवनाश्व
प्राचीन चरित्रकोश
यौयुधान
राजा को प्रदान किया था (म. शां. १६०.७६ )। यह | कल्पान्तर्गत वैवस्वत मन्वन्तर में, द्वापर युग शुरू होने के एक सुविख्यात दानी राजा था, जिसने अपनी सारी | पहले अवतीर्ण हुआ था। पत्नियाँ एवं राज्य ब्राह्मणों को दान में दिया था (म. शां. | २. विष्णु का एक अवतार, जो देवसावर्णि मन्वन्तर में २१६. २५)।
बृहतीपुत्र देवहोत्र के रूप में अवतीर्ण हुआ था ( भा. ८. ३. (सू. इ.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो युवनाश्व १३.३२)। (तृतीय) नाम से सुविख्यात था। यह मांधातृपुत्र अंबरीष | ३. रोच्य मन्वन्तर का एक देवावतार । राजा का पुत्र था। मांधातृ एवं इसके वंशज क्षत्रिय ब्राह्मण | ४. एक देवता का समूह,जो कलियुग के श्वतकली नामक कहलाते थे, जिस कारण इसे भी यही उपाधि प्राप्त थी। प्रथम खण्ड में उत्पन्न हुआ था। इसमें निम्नलिखित देवता यह एवं इसका पुत्र हरित, अंगिरस ब्राह्मण कुल में प्रविष्ट | सम्मिलित थे:-१. रुद्र, २. सुतार, ३. तारण, ४. सुहोत्र, हुये थे । एक वैदिक सूक्तद्रष्टा के नाते से इसका उल्लेख | ". कंकण, ६. लोक, ७. जैगीषव्य, ८. दधिवाहन, ९. ऋषभ, प्राप्त है (ऋ. १०.१३४)। इसे अंगिरस कुल का एक | १०. उग्र, ११. अत्रि, १२. गौतम, १३. वेदशीर्ण, मंत्रकार भी कहा गया है । इसके पितामह मांधातृ ने एक | १४. गोकर्ण आदि (स्कंद. १.२.४०)। प्रवर के नाते इसका स्वीकार किया था (भा. ९.७.१)।। ५. एक सुविख्यात योगीसमूह, जो भागवत धर्म के ४. (स्वा. प्रिय.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार
सर्वश्रेष्ठ ज्ञाता माने जाते हैं । ये ऋषभ ऋषि के पुत्र थे, पृथु राजा का पुत्र था।
एवं नग्न अवस्था में सर्वत्र घूमते थे। इस समूह में निम्न
लिखित योगी शामिल थे :- कवि, हरि, अंतरिक्ष, प्रबुद्ध, ५. शूलिन् नामक शिवावतार का एक शिष्य ।
पिप्पलायन, अविर्होत्र, द्रुमिल, चमस एवं करभाजन। . यूथग-चाक्षुष मन्वन्तर का देवगण ।
इस योगीसमूह में मिथिलानरेश निमि के यज्ञ में. यूथप-धूम्रपराशरकुलोत्पन्न एक ऋषि । -
भाग ले कर, उसे भागवतधर्म का उपदेश किया था . यूपकेतु-इक्ष्वाकुवंशीय शत्रुघातिन् राजा का | (भा. ११.२-५)। नामान्तर (शत्रुघातिन् देखिये)।
योजनगंधा--व्यासमाता सत्यवती का नामान्तर २. कुरुवंशीय भूरिश्रवस् राजा का नामान्तर (म. द्रो. | (सत्यवती देखिये)। २४.५३)।
यौगंधरि-साल्व लोगों का एक नामान्तर (मंत्रपाठ यूपध्वज--भूरिश्रवस् राजा का नामान्तर (म. स्त्री. २.११-१२)। युगंधर के वंशज होने से इन्हे यह नाम २४.५)
| प्राप्त हुआ होगा। यूपाक्ष--रावण का एक सेनापति, जो हनुमत् के ___ यौधयान-कश्यपकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । द्वारा मारा गया था (वा. रा. सुं, ४६.३२)।। | यौधेय--(सो. कुरु.) युधिष्ठिर का एक पुत्र, जो
२. एक राक्षस, जो रामरावण युद्ध में मैंद नामक उसे शैब्य गोवासन राजा की कन्या देविका से उत्पन्न हुआ वानर के द्वारा मारा गया (वा. रा. यु. ७६.३४) था (म. आ. ९०.८३)।
योग-एक ऋषि, जो धर्म एवं क्रिया के पुत्रों में से २. (सो. कुरु.) एक राजा, जो मत्स्य के अनुसार एक था (भा. ४.१.५१)। यह तपस्वी, जितेंद्रिय एवं प्रतिविंध्य रांजा का पुत्र था। त्रैलोक्य में सुविख्यात था (म. अनु. १५०.४५)। । ३. एक जातिविशेष, जो युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में
योगदायन-कश्यपकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। भेंट ले कर उपस्थित हुयी थी ( म. स. ५२. १४)।
योगवती-मेना की तृतीय कन्या, जो जैगीषव्य ऋषि यौन-यवन जाति का नामान्तर ( यवन देखिये)। की पत्नी थी (पद्म. सृ. ९)।
यौयुधान अथवा यौयुधानि-यादव राजा सात्यकि योगसू नु-(सो. पूरु.) पूरुवंशीय युगदत्त राजा का का एक पुत्र, जो यादवों के हत्याकांड से बचे हुये वीरों नामान्तर (युगदत्त देखिये।
में से एक था। युधिष्ठिर ने इसे सरस्वती नदी के तट पर योगीश--जैगीषव्य नामक शिवावतार का एक शिष्य। स्थित इन्द्रप्रस्थ का राज्य प्रदान किया था (म.मौ. ८.
योगेश्वर--शिव का प्रथम अवतार, जो वैवस्वत मनु ६९)। महाभारत के कई संस्करणों में इसकी माता को के रूप में इस पृथ्वी पर अवतीर्ण हुआ था। यह वराह नाम सरस्वती बताया गया है,जो अयोग्य प्रतीत होता है।
७१०
-
याग