Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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प्राचीन चरित्रकोश
सीरध्वजादि आप्त, प्रतर्दनादि मित्र, एवं तीन सौ मांडलिक | कि, एक गेबी अपनी स्त्री को अपने घर से निकाल रहा राजाओं के उपस्थिति का निर्देश प्राप्त है (वा. रा. उ. | है। उस समय धोबी ने अपनी पत्नी से कहा, 'मै राम ३७-४०)। इस समारोह के समय, सुग्रीव आदि को छः की तरह नहीं हूँ, जिन्होंने दीर्घकाल तक दूसरे के घर में महिने तक अतिथि के रूप में रख कर आदरपूर्वक बिदा किया | रहनेवाली सीता का पुनः स्वीकार किया' (कथा. ९.१. गया। विभीषण के द्वारा राम को दिया गया पुष्पक | ६६; भागवत. ९.११.९)। विमान कुबेर को वापस भेज दिया गया (वा. रा. उ. कुश-जवजन्म-वाल्मीकि के आश्रम में, सीता ने ४१)। तत्पश्चात् राम ने अत्यधिक कुशलता के साथ राज्य | दो पुत्रों को जन्म दिया, जिनका नाम वाल्मीकि ने कुश किया, जिस कारण आज भी आदर्श राज्य को लोग | एवं लव रख दिया (वा. रा. उ. ६६)। बाद में कुश 'रामराज्य' कहते है (वा. रा. यु. १२८)। एवं लव वाल्मीकि के शिष्य बन गये, जिसने उन्हें समग्र
सीतात्याग--कुछ समयोपरांत सीता गर्भवती हुई, रामायण सिखा दिया। बाद में वे दोनों सभाओं में जा तथा उसने अरण्य में घूमने की इच्छा प्रकट की। उसको कर रामायण का गान करने लगे। किसी दिन राम ने उन अगले दिन तपोवन में भेज देने का आश्वासन दे कर, |
दोनों को अयोध्या के राजमार्ग में रामायण का गान करते राम अपने मित्रों के साथ परिहास की कहानियाँ सुनने
हुए देखा, जब उन्हें महल में ले जा कर इसने भरत आदि बैठा । उस समय, राम ने भद्र नामक अपने मित्र से | भाईयों के साथ रामायण का गान सुना (बा. रा. बा. पूछौं, 'मेरे, सीता, एवं भरत आदि के विषय में लोग क्या कहते है ' ? तब भद्र ने सीता के कारण हो रहे ___अश्वमेधयज्ञ-रावण स्वयं ब्राह्मण था, जिस कारण लोकापवाद, एवं जनता की आचरण पर पड़ने वाले उसके | । जसका वध करने से राम को ब्रह्महत्या का पाप लग गया। कुप्रभाव निर्देश करते हुआ कहा
उस पाप से बचने के लिए, राम ने अगस्य ऋषि के भस्माकमपि दारेषु सहनीयं भविष्यति ।
कथनानुसार अश्वमेधयज्ञ का आयोजन किया (पा. पा.
८-१०; शत्रुघ्न देखिये)। इसके पूर्व, सम ने राजसूय यथा हि कुरुते राजा प्रजास्तमनुवर्तते ॥
यज्ञ करने की इच्छा प्रगट की थी। किंतु भरत के द्वारा, (वा. रा. उ. ४३.१९)
उस यज्ञ के कारण राजवंश के विनाश का भय व्यक्त, (राम के द्वारा सीता का स्वीकार किये जाने के कारण | करने पर, राम ने दस अश्वमेध यज्ञ करने का निश्चय हमको भी अपनी स्त्रियों का वैसा ही आचरण अब सहना किया। लक्ष्मण ने भी उसी सूचना को अनुमोदन दिया पड़ेगा । क्यों कि, जैसा आचरण राजा करता है, वैसा ही (वा. रा. उ. ८३-८४)। आचरण प्रजा करती है)। .
___ अश्वमेध यज्ञ करते समय पत्नी की उपस्थिति आवश्यक लोकापवाद की यह कथा सुन कर, राम अत्यधिक रहती है, अतएव इसने सीता की स्वर्णमूर्ति बनवा कर व्याकुल हुआ। दूसरे दिन इसने लक्ष्मण को बुला कर एवं उसे अपने पास रख कर यज्ञानुष्ठान किया (बा. सीता को गंगा नदी के उस पार छोड़ आने का आदेश रा. उ. ९९.७)। इसी अश्वमेध यज्ञ के समय, कुशलय दिया। तदनुसार, तपोवन दिखलाने के बहाने लक्ष्मण के साथ ले कर वाल्मीकि ऋषि उपस्थित हुए, एवं उन्होंने सीता को रथ पर ले गया, एवं उसने सीता को वाल्मीकि उनके द्वारा रामायण का गान करा, राम से कुशलव का ऋषि के आश्रम के समीप छोड़ दिया। उस समय, परिचय करवाया (कुश-लब देखिये)। लक्ष्मण ने बडे दुःख के साथ सीता को बताया कि, उपर्युक्त यज्ञ के अतिरिक्त, राम के द्वारा वाजपेय, लोकापवाद के कारण राम ने उसका त्याग किया है (वा. | अग्निष्टोम, अतिरात्र आदि यज्ञ करने का निर्देश भी प्राप्त रा. उ. ६९)।
है (वा रा. उ. ९९.९-१०)। कालिदास के रघुवंश में प्राप्त सीतात्याग की कथा में सीता का भूमिप्रवेश-अश्वमेध यज्ञ के अवसर पर, भद्र को राम का मित्र नही, किंतु गुप्तचर बताया गया है | अपने पुत्रों को देख कर, राम ने बाल्मीकि के द्वारा सीता (रघु. १४) । कथासरित्सागर एवं भागवत में एक धोबी को भी बुलावा भेज दिया । इस पर सीता को साथ ले का उदाहरण दे वर लोकापवाद की यह कथा प्रस्तुत की कर वाल्मीकि रामसभा में उपस्थित हुए, एवं उसने सीता गयी है। एक बार गुप्तवेश में घुमते हुए राम ने देखा के सतीत्व की साक्ष दी। तदनंतर राम के द्वारा सीता
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