Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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राम
प्राचीन चरित्रकोश
रामायण (पद्म. पा. ११२ ); रामचरित्र ( पद्म. उ. २६९ - २७१ ) ।
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अध्याय है । जयद्रथ के द्वारा द्रौपदी का हरण किये जाने पर युधिष्ठिर की मनःशांति के लिए मार्केडेय ऋषि ने उसे प्राचीन राम कथा सुनाई, जो 'रामोपाख्यान ' में समाविष्ट की गयी है (म.व. २५८-२७६ ) ।
(१४) नृसिंहपुराण - जिसमें वाल्मीकि रामायण के प्रथम छः काण्डों की कथा संक्षेप में दी गयी है (नृसिंह इसके अतिरिक्त महाभारत वनपर्व में संक्षेप रामायण ४७ - ५२ ) । प्राप्त है, जो हनुमत ने भीमसेन को सधन किया था रामभक्ति- सांप्रदाय भागयतादि पुराण में राम ग्रंथों ( म. व. १४७. २३ - ३८ ) । महाभारत में प्राप्त षोडश एवं कृष्ण को विष्णु का अवतार माना गया है। किन्तु राजकीय उपाख्यान' में भी राम दाशरथि का निर्देश फिर भी रामोपासना कृष्णोपासना की अपेक्षा काफी प्राप्त है। उत्तरकालीन प्रतीत होती है । यद्यपि राम को विष्णु का पुराणों में रामकथा — निम्नलिखित पुराण-ग्रन्थों में अवतार मानने की कल्पना ईसा की पहली शताब्दी में रामकथा प्राप्त है:प्रस्थापित हो चुकी थी, फिर भी इस सांप्रदाय की प्रतिष्ठा (1) ब्रह्मांडपुराण राम, विष्णु का अवतार (ब्रह्मांड. ग्यारहवीं शताब्दी के बाद ही प्रस्थापित होती सी प्रतीत ३.७३ ); सीताजन्म (ब्रह्मांड. ३.६४ ) । होती है (डॉ. भांडारकर, वैष्णविजम १४० ) । राम(२) विष्णुपुराण-संक्षिप्त रामकथा ( विष्णु. ४.४) पंचायतन की प्रतिमा, जिसमें राम, लक्ष्मण, भरत, सीता सीताजन्म (विष्णु. ४.५) । एवं हनुमत् समाविष्ट किये जाते हैं, वह भी इसी काल में उत्पन्न प्रतीत होती है।
(३) वायुपुराणसंक्षिप्त रामकथा (वायु. ८८. १८३ - १९६ ); सीताजन्म ( वायु. ८९.२२ ) ।
(४) भागवतपुराण - - रामकथा ( भा. ९.१०११) ।
(५) कूर्मपुराण - - राक्षसवंशवर्णन ( कूर्म. पूर्व. १९), सूर्यवंश के अंतर्गत रामकथा ( कूर्म. पूर्व. २१ ); पतिव्रतोपाख्यान में सीताचरित्र ( कूर्म. उत्तर. ३४ ) ।
( ६ ) वराहपुराण - - रामजन्म ( वराह. ४५ ) । (७) अग्निपुराण - रामकथा, जो बाल्मीकि रामायण केसात खण्डों का संक्षेप है ( अनि ५-११) ।
(८) ६६.२५-२६) । (९) नारदपुराण - संक्षिस रामकथा ( नारद, १. ७५)।
राम
(१०) ब्रह्मपुराण - - रामचरित्र, जो संपूर्णतः हरिवंश से उद्धृत किया गया है ( ब्रह्म. २१२ ) रावणचरित्र ( ब्रह्म. १७६ ); रामतीर्थ माहात्म्य (ब्रह्म. ७० - १७५ ) ।
रामभकिप्रभावित उपनिषद ग्रन्थ निम्नलिखित तीन उपनिषद ग्रंथ रामभक्ति सांप्रदाय से प्रभावित माने जाते हैं: - १. रामपूर्वतापनीय; २. रामोत्तरतापनीय; ३. रामरहस्य । इन तीनो ग्रंथों में रामयंत्र, राममंत्र एवं सीतामंत्र का निर्देश प्राप्त है, एवं इन ग्रंथों में राम एवं सीता को क्रमशः परमपुरुष एवं मूल प्रकृति माना गया है।
निम्नलिखित वैष्णवोपदनिषदों में भी रामकथा का निर्देश प्राप्त है :- १. कल्लिसंतरण २. गोपाखोत्तरराप्ति रामकथा (लिंग. पूर्व, तापनीयः २. तारसार ४. त्रिपाद विभूति महानारायण ५. मुकिर इनके अतिरिक्त शाक्तोपनिषदों में भी 'सीतोपनिषद् का निर्देश प्राप्त है।
-- संक्षिप्त
रामभक्ति का विकास -- रामभक्ति के विकास के साथ साथ रामकथा को भक्ति सांप्रद्राय के ढाँचे में बिठाने की आवश्यकता निर्माण हुई, जिसके फलस्वरूप अनेकानेक सांप्रदायिक रामायणों का निर्माण हुआ । इन सांप्र दायिक रामायणों में अध्यात्म, आनंद एवं अद्भुत ये तीन रामायण ग्रंथ प्रमुख माने जाते हैं ।
(११) गरुडपुराण - - रामकथा ( गरुड. १४३ ) | ( १२ ) स्कंदपुराण - - रावणवध (स्कंद. माहेश्वर - ); दशरथ का जन्म (स्कंद २०-२५ ) वाल्मीकि की जन्मकथा (स्कंद वैष्णव, २०-२५ ) सेतुबंधन की कथा (स्कंद, ब्राह्म. २-४७ ); कालनिर्णय रामायण (स्कंद, धर्मारण्य. ३०-३१) |
(१३) पद्मपुराण - राम का अवमेघ यश (पद्म पा, १-६८ ); लोमश रामायण (पद्म. पा. ३६ ); जांबुवत् । ग्रंथ प्रमुख माने जाते हैं:
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आधुनिक भारतीय भाषाओं में लिखित रामायण ग्रंथों में तुलसी द्वारा विरचित 'रामचरितमानस एक अद्वितीय ग्रंथ है, जिसमें रामचरित्र की सर्वांगीण शौकि आदर्शात्मक रूप में प्रस्तुत की गयी है।
सांप्रदायिक रामायण ग्रन्थ-इन ग्रंथों में निम्नलिखित