Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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प्राचीन चरित्रकोश
लांगलि
लंब--एक असुर, जो खर नामक दैत्य का भाई था ३. एक लोकसमूह, जो भारतीय युद्ध में त्रिगर्तराज (मत्स्य. १७३.२२)।
| सुशमन के साथ उपस्थित था, एवं कौरवों के पक्ष में शामिल लंबन--एक राजा, जो ज्योतिष्मत् राजा के सात था। इन्होंने अर्जुन का वध करने की प्रतिज्ञा की थी (म. पुत्रों में से एक था। इसका राज्य 'लंबनवर्ष' पर था, | द्रो. १६.२०)। किंतु अंत में अर्जुन ने इनका संहार जो कुशद्वीप का उपविभाग माना जाता था ( माकै.५०)। | किया (म. क. ४.४६ )।
लंबपयोधरा--स्कंद की अनुचरी एक मातृका अपने उत्तर दिग्विजय के समय, कर्ण ने इन्हें जीता (म. श. ४५.१७)। पाठभेद-लंबा'।
था (म. द्रो. ६६.३८)। - लंबा-प्राचेतस दक्ष की एक कन्या, जो धर्म ऋषि की | लव-राम दाशरथि राजा के दो पुत्रों में से कनिष्ठ पत्नी थी। इसके विद्योत एवं घोष नामक दो पुत्र थे | पुत्र (कुशलव, एवं राम दाशरथि देखिये)। (भा. ६.३.४)।
लवंगा--एक गोपी, जो पूर्वजन्म में पुण्यश्रवस् नामक २: लंबपयोधरा का नामांतर।
कृष्णभक्त ऋषि थी। लंबनी--स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. श. |
लवण-मधुवन निवासी एक राक्षस, जो मधु नामक
राक्षस का पुत्र था। इसकी माता का नाम कुंभीनसी था। लंबाक्ष--तप नामक शिवावतार का शिष्य ।
___ रुद्र की कृपा से इसे एक शूल प्राप्त हुआ था, जो लंबायन-वसिष्ठकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ।
हाथ में रहते यह अमर एवं युद्ध में अजेय रहता था। लंबोदर (आंध्र. भविष्य.) एक आंध्रवंशीय राजा, | इसी शूल से इसने मांधात राजा का उसके सैन्य के जो भागवत के अनुसार पौणिमास राजा का, एवं विष्णु सहित संहार किया था ( वा. रा. उ. ६७.२१; म. अनु. एवं मत्स्य के अनुसार शातकर्णि राजा का पुत्र था। १४.२६७-२६८)। २. तप नामक शिवावतार का शिष्य।
राम दाशरथि की आज्ञा से शत्रुघ्न ने इसपर आक्रमण लय--यमसभा में उपस्थित एक प्राचीन नरेश (म. |
किया, एवं इसे शूलरहित स्थिति में पकड़ कर इसका वध स. ८.१९ पाठ.)।
किया (शत्रुघ्न देखिये)। ललाटाक्ष--एक लोकसमूह, जो युधिष्ठिर के राजसूय
२. रामणीयक द्वीप में रहनेवाला एक असुर, जिसे यज्ञ के समय भेंट ले कर उपस्थित हुआ था (म. स.
नागों ने इस द्वीप में प्रवेश करते समय देखा था (म. ४७.२)।
आ. २३.३०७%)। ललाटाक्षी--एक राक्षसी, जो अशोकवन में सीता
३. (सू. इ.) हरिश्चंद्र के वंश का एक राजा । इसने के संरक्षण के लिए नियुक्त की गयी थी। ललाटि-लालाटि नामक भृगुकुलोत्पन्न गोत्रकार का
कई राजसूय यज्ञ किये थे, जिनके करने के अभिमान के
कारण इसका नाश हुआ (यो. वा. ३.१०४-११५)। ललित--एक गंधर्व, जो शाप के कारण राक्षस हुआ
लवणाश्च-एक ऋषि, जो पाण्डवों के साथ वन में था। 'कामदा एकादशी का व्रत करने के कारण यह | रहता था ( म. व. २७.२३)। शापमुक्त हो गया (पद्म. उ. ४७)।
ला-एक ऋषि, जो भुज्यु ऋषि का पिता था। ललिता-दक्षकन्या सती का एक नामांतर (पम. स.
लाक्षी–कृष्णपत्नी लक्ष्मणा माद्री का नामान्तर । २९)।
लांगलायन मौद्गल्य-ब्रह्मन् मौद्गल्य नामक आचार्य २. कृष्ण की पत्नियों में से एक (पद्म. पा. ७४)। का पैतृक नाम (ऐ.बा.५.३)। लांगल का वंशज होने
ललित्थ--(सो. अज.) एक राजा, जो वायु के | के कारण, उसे यह पैतृक नाम प्राप्त हुआ होगा। अनुसार इंद्रसख अथवा विद्योपरिचरवसु राजा का पुत्र लांगलि--एक शतशाखाध्यायी आचार्य, जो विष्णु, था।
वायु एवं ब्रह्मांड के अनुसार, व्यास की सामशिष्यपरंपरा २. एक राजा, जो भारतीय युद्ध में कौरवों के पक्ष में | में से पौध्य जि नामक आचार्य का शिष्य था। भागवत में शामिल था (म. द्रो. ३३.२५)। इसने अभिमन्यु पर | इसे 'मांगलि' कहा गया है। इसे 'शालिहोत्र' एवं बाणों की वर्षा की थी (म. द्रो, ३६.२५)। | 'सामवेदी श्रुतर्षि' आदि उपाधियाँ भी प्राप्त थी।
प्रा. च. ९९]
नामांतर।