Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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युधिष्ठिर
प्राचीन चरित्रकोश
युधिष्टिर
४. उत्तरी पश्चिम भाग के देश--अभिसार देश, जो । २. मध्यदेश के देश--कोसल, वत्स एवं शूरसेन । इस काश्मीर के दक्षिणी पश्चिम दिशा में स्थित था। पार्गिटर के | समय कोसल देश का राजा बृहद्वल था। अनुसार, इसी प्रदेश में स्थित केकय देश भी पांण्डवों के ३. उत्तरीपश्चिम भारत के देश--सिन्धुसौवीर, गांधार पक्ष में शामिल था।
त्रिगर्त, केकय, शिबि, मद्र, वाह्निक, क्षुद्रक, मालव, अंबष्ठ, ५. दक्षिण भारत के देश-पाण्डय देश एवं कर्नाटक | एवं कंबोज । इनमें से सिन्धुसौवीर, गांधार, त्रिगर्त, में रहनेवाली कई द्रविड जातियाँ।
मद्र, अंबष्ठ एवं कंबोज देशों के राजा क्रमशः जयद्रथ, उपर्युक्त नामावली से प्रतीत होता है कि, पाण्डवों के शकुनि, सुशर्मन् , शल्य, श्रुतायु एवं सुदक्षिण थे । पार्गिटर पक्ष में दक्षिण मध्यदेश के सारे देश, जैसे कि, मत्स्य, |
के अनुसार, इन देशों में रहनेवाली वन्य जातियाँ भी चेदि. करुष, काशी एवं पांचाल, पूर्व भारत के पश्चिम | कौरवों के पक्ष शामिल थी। मगध आदि देश; गुजराथ के सारे यादव; एवं दक्षिणी
| ४. मध्यभारत के देश-माहिष्मती, भोज-अंधकभारत के पाण्डय राजा शामिल थे।
वृष्णि, विदर्भ, निषाद, शाल्व एवं अवंती देशों के यादव ___ पाण्डवों के पक्ष में पांचाल देश का राजा द्रुपद,चेदिराज
राजा। इन देशों में से माहिष्मती, भोज-अंधकवृष्णि एवं धृष्टकेतु, मगधदेशाधिपति जयत्सेन, यमुना-तीर
अवंती देशों के राजा क्रमश नील, कृतवर्मन् एवं विंदनिवासी पाण्ड्य एवं याइव राजा सात्यकि प्रमुख थे।
अनुविंद थे । पार्गिटर के अनुसार, आधुनिक बड़ौदा नगर इनमें से द्रुपद पाण्डवों का, श्वशुर था एवं सात्यकि श्रीकृष्ण
के दक्षिण एवं दक्षिणीपूर्व प्रदेश में रहनेवाले सारे यादव का रिश्तेदार था। नकुलसहदेव का मामा मद्रराज शल्य
राजा, दखन प्रदेश में रहनेवाली वन्य जातियाँ, एवं मध्य एक अक्षौहिणी सैन्य ले कर पाण्डवों के सहाय्यार्थ निकला
भारत में स्थित कुन्तल देश भी कौरवों के पक्ष में शामिल था। किन्तु रास्ते में उसका विपुल आदरातिथ्य कर दुर्योधन
था। ने उसे अपने पक्ष में शामिल करा लिया।
___ उपर्युक्त नामावलि से प्रतीत होता है कि, कौरवों के विदर्भ देश का राजा रुक्मिन् ससैन्य पाण्डवों | पक्ष में उत्तर, उत्तरीपश्चिम, मध्य एवं पूर्व भारत के प्रायः की सहाय्यार्थ आया था । किन्तु उसका कहना | सारे देश शामिल थे। उन देशों में उत्तर एवं दक्षिणी पूर्व था, 'यदि पाण्डव मेरी सहाय्य की याचना | भारत के सारे देश; बंगाल एवं पश्चिमी आसाम के सारे करेंगे, तो ही मैं उनकी सहाय्यता करूंगा । इस | देश; बंगाल के दक्षिण में गोदावरी तक का फैला हुआ पर अर्जन ने उसे कहा, 'यह युद्ध एक रणयज्ञ है। जिसकी | सारा प्रदेश; मध्यदेश के शूरसेन, वत्स एवं कोसल जैसी इच्छा हो, उस पक्ष में हर एक राजा शामिल | देश; उत्तरी भारत के शाल्व, मालव आदि सारे देश, एवं हो सकता है । किसी की हम याचना करने के लिए मध्य-भारत के अवन्ति आदि सारे देश समाविष्ट थे। तैय्यार नहीं है । बलराम पाण्डवों का रिश्तेदार था,किन्तु कौरवों के पक्ष में शकयवनादि देशों का राजा, माहिष्मती उसकी सारी सहानुभूति दुर्योधन की ओर थी। इस | का राजा नील, केकया धिपति केकय, प्राग्ज्योतिषपुर उलझन से झुटकारा पाने के लिए, वह किसी के पक्ष में | का राजा भगदत्त, सौवीर देश का राजा जयद्रथ, त्रिगर्तशामिल न हो कर तीर्थयात्रा के लिए चला गया। राज सुशर्मन् , गांधारराज बृहद्बल, कौरव राजा भूरिश्रवस्,
कौरवपक्ष के देश---भारतीय युद्ध में कौरवों के पक्ष अंगराज कर्ण आदि राजा प्रमुख थे। इनमें से जयद्रथ, में निम्नलिखित देश शामिल थे:
| सुशर्मन् एवं कर्ण का पाण्डवों से पुरातन शत्रुत्व था, जिस १. पूर्व भारत के देश-प्राचीन मगध साम्राज्य के कारण वे कौरवों के पक्ष में शामिल हो गये थे। पश्चिम मगध छोड़ कर बाकी सारे देश,जैसे कि, पूर्व मगध, इस प्रकार, कौरव एवं पाण्डवों के बीच हुआ भारतीय विदेह, अंग, वंग, कलिंग, जिन सारे देशों पर अंगराज | युद्ध वास्तव में एक ओर दक्षिण मध्य देश एवं पांचाल देश कर्ण का स्वामित्व था; प्राग्ज्योतिष (चीन एवं किरात | एवं दूसरी ओर बाकी सारा भारत देश इन के बीच हुआ जातियों के साथ)। इस समय प्राग्ज्योतिष का राजा
था। इस तरह सेनाबल के दृष्टि से कौरवों का पक्ष भगदत्त था । पार्गिटर के अनुसार, उत्कल, मेकल, आंध्र |
उकल मेक्ल. आंध्र पाण्डवों से कतिपय बलवान् था। एवं उन सारे प्रदेशों में रहनेवाली वन्य जातियाँ भी कई अभ्यासकों ने वांशिक दृष्टि से इस युद्ध को उभ्य कौरवों के पक्ष में शामिल थी।
| पक्षीयों का अध्ययन करने का प्रयत्न किया है। किन्तु
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