Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
View full book text
________________
मृळिक वसिष्ठ
प्राचीन चरित्रकोश
मेघहास
मृळिक वसिष्ठ--एक वैदिक सूक्तद्रष्ठा (ऋ. ९.९७. | मेघवर्ण--घटोत्कच का पुत्र, जिसे 'मेघनाद' एवं २५-२७; १०.१५०)।
'मेघनिनाद' नामांतर प्राप्त थे। पाण्डवों के अश्वमेध यज्ञ मृषा--अधर्म की पत्नी, जिसे दम्भ एवं माया नामक | के समय, यह अश्वरक्षणार्थ अर्जुन के साथ उपस्थित था। दो सन्तानें थी (भा. ४.८.२)।
| २. एक यक्ष, जो मणिवर एवं देवजनी के पुत्रों में से 'मेकल-एक लोकसमूह, जो पहले क्षत्रिय था, किन्तु | एक था। ब्राह्मणों के साथ ईर्ष्या करने से नीच हुआ (म. अनु. | मेघवर्णा--स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. श. ३५.१७-१८)। भारतीय युद्ध में ये लोग कोसलनरेश | ४५.२८)। पाठभेद -'एकचक्रा'। बृहद्बल के साथ उपस्थित थे, एवं भीष्म की रक्षा करते | मेघवासस्-वरुण की सभा का एक असुर (म. स. थे (म. भी. ४७.१३)।
९.१४)। ...२. (भविष्य.) एक राजवंश, जो वायु के अनुसार | मेघवाह-जैगीषव्य नामक शिवावतार का एक शिष्य। पट्टमित्र राजा के पश्चात् उत्पन्न हुआ था।
मेघवाहन--जरासंध का अनुयायी एक नृप (म. स. मेघ-तारकासुर के पक्ष का एक असुर ।
१३.१२)। २. स्वायंभुव मनु के पुत्रों में से एक।
| २. एक दैत्य, जो विष्णु के पदप्रहार से मृत हुआ ३. (भविष्य.) एक राजवंश, जो कोमल नामक नगरी | (कंद. ७.१.२४)। में राज्य करता था । ब्रह्मांड के अनुसार इस वंश में नौ | मेघवाहिनी-स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म, राजा, एवं वायु के अनुसार सात राजा थे (नल देखिये)। | श. ४५.१७)। पाठभेद-'मेघवासिनी'।
मेघकर्णा-कंद की अनुचरी एक मातृका (म. श. | मेघवेग-कौरव पक्ष का एक वीर, जो अभिमन्यु के ४५.२६)।
द्वारा मारा गया (म. द्रो. ४८.१६)। मेघजाति-(सो. पुरुरवस्.) एक राजा, जो वायु के | | मेघशर्मन्–एक सूर्यभक्त ब्राह्मण, जिसने सूर्य का अनुसार पुरूरवस् राजा का पुत्र था।
जाप कर शन्तनु के राज्य में पर्जन्यवृष्टि करायी (भवि. 'मेघनाद-रावणपुत्र 'इंद्रजित्' का नामांतर
प्रति. ४.८)। (इंद्रजित् १. देखिये)।
- मेघसंघि--(सो. मगध. भविष्य.) मगध देश का २. घटोत्कचपुत्र मेघवर्ण' का नामांतर (मेघवर्ण १. |
एक राजकुमार, जो जरासंध का पौत्र, एवं सहदेव राजा देखिये)।
का पुत्र था। पुराणों में इसके 'मार्जारि', 'सोमाधि' ____३. स्कंद का एक सैनिक (म. श. ४४.५७)।
एवं 'सोमापि' आदि नामांतर प्राप्त हैं।
अपने पिता सहदेव के साथ यह द्रौपदीस्वयंवर में मेघनिनाद-घटोत्कच का पुत्र ‘मेघवर्ण' का नामां
उपस्थित था (म. आ. १७७.७) । पाण्डवों के अश्वमेध तर (मेघवर्ण १. देखिये)।
यज्ञ का अश्व इसने रोंका था, एवं अर्जुन से युद्ध भी २. रावणपुत्र 'इंद्रजित् ' का नामांतर (इंद्रजित् १. |
किया था । किंतु इस युद्ध में अर्जुन ने इसे पराजित देखिये)।
किया (म. आश्व. ८३)। मेघपृष्ठ-(स्वा. प्रिय.) एक राजा, जो घृतपृष्ठ राजा | मेघस्वना--स्कंद की अनुचरी एक मातृका (म. श. का पुत्र था।
४५.८)। मेघमाला-कंद की अनुचरी एक मातृका (म. श. | मेघस्वाति-(आंध्र. भविष्य.) एक आंध्रवंशीय ४५.२८)।
राजा, जो भागवत के अनुसार चिबीलक राजा का, विष्णु - मेघमालिन्-खर राक्षस का एक अमात्य । के अनुसार दिवीलक राजा का, एवं मत्स्य के अनुसार
२. स्कंद का एक पार्षद, जो उसे मेरु के द्वारा प्रदान | अपीतक राजा का पुत्र था। किया गया था। दूसरे पार्षद का नाम 'कांचन' था (म. मेघहन्तृ--सुमेधस् देवों में से एक। श. ४४.४३)।
मेघहास-राहू का एक पुत्र। अपने पिता का मेघवत्-एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में | श्रीविष्णु के द्वारा शिरच्छेद हुआ, यह सुन कर इसने से एक था।
गौतमी नदी के तट पर घोर तपस्या की। इस तपस्या से, ६६१