Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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मनु
प्राचीन चरित्रकोश
मनु प्राचेतस
धर्मसावर्णि मन्वन्तर
४. इन्द्र --दिवस्पति ( दिवस्वामिन् )। 1. मनु--धर्मसावर्णि।
५. अवतार--देवहोत्र तथा बृहती का पुत्र अवतार २. सप्तर्षि--अग्नितेजस्, अनघ (तनय, नग, |
होगा। भग), अरुण (आरुणि, तरुण, वारुणि), उदधिष्णन्
६. पुत्र--अनेक क्षत्रबद्ध (अत्रविद्ध, क्षत्रविद्धि, (उरुधिष्ण्य, पुष्टि, विष्टि, विष्णु), निश्चर, वपुष्मत्
क्षत्रवृद्धि), चित्रसेन, तप (नय, नियति), धर्मधृत, (ऋष्टि), हविष्मत् ।
(धर्मभृत, सुव्रत), धृत (भव ), निर्भय, पृथ ( दृढ ), ३. देव-तीस कामग (काम-गम, कामज), तीस
विचित्र, सुतपस् (सुरस ), सुनेत्र । निर्माणरत (निर्वाणरति, निर्वाणरुचि); तीस मनोजव
भौत्य मन्वन्तर (विहंगम)।
१. मनु--भौत्य । ४. इन्द्र-वृष (वृषन् , वैधृत) इन्द्र होगा।
२. सप्तर्षि--अग्निबाहु (अतिबाहु), अग्निध्र (आनीध्र), ५. अवतार--इस मन्वन्तर के अवतार का नाम
अजित, भार्गव (मागध, माधव, वाजित), मुक्त (युक्त), धर्मसेतु है, जो धर्म (आर्यक) एवं वैधृति के पुत्र के शुक्र, शुचि । रूम में जन्म लेनेवाला है।
३. देव--कनिष्ठ, चाक्षुष, पवित्र, भाजित (भाजिर, ६. पुत्र-आदर्श, क्षेमधन्वन् (क्षेमधर्मन्; हेम
भ्राजिर), वाचावृद्ध (धारावृक)। प्रत्येक के साथ पाँच धन्वन् ), गृहेषु (दृढायु), देवानीक, पुरुद्वह (पुरोवह)| पाँच देव होगे।। पौण्ड्रक (पंडक), मत (मनु, मरु), संवर्तक (सर्वग, |
४. इन्द्र--शुचि ही इस समय इन्द्र होगा। सर्वत्रग, सर्ववेग, सत्यधर्म), सर्वधर्मन् (सुधर्मन् ,
५. अवतार--सत्रायण एवं विताना का पुत्र बृहद्भानु : सुशर्मन्)।
अवतार होगा। रुद्रसावर्णि मन्वन्तर
६. पुत्र--अभिमानिन् (श्रीमानिन् ), उग्र (ऊरु; १. मनु--रुद्रसावर्णि।
अनुग्रह ), कृतिन् (जिष्णु, विष्णु), गभीर (तरंगभीरू),. २. सप्तर्षि--तपस्विन् , तपोधन, (तपोनिधि, तमोशन,
गुरु, तरस्वान् (बुद्ध, बुद्धि, ब्रन), तेजस्विन् (ऊर्जस्विन् तपोधृति, तपोमति), तपोमूर्ति, तपोरति (तपोरवि),
ओजस्विन् ), प्रतीर (प्रवीण), शुचि, शुद्ध, सबल, युति (अग्निध्रक, कृति), सुतपस् ।
सुबल)। ३. देव--रोहित (लोहित ), सुकर्मन् (सुवर्ण), सुतार
___ इसके उपरांत प्रलय होगा तथा ब्रह्मा विष्णु के नाभि(तार, सुधर्मन् , सुपार), सुमनस् ।
कमल में योगनिद्रित होंगे (ह. वं. १.७; मार्क. ५०,९७; ४. इन्द्र--उतधामन् नामक इन्द्र होनेवाला है।
विष्णु. ३.१-२, ब्रह्मवै. २.५४, ५७-६५, स्कन्द. ७. ५. अवतार-सत्यसहस् तथा सूनृता का पुत्र स्वधामन्
१.१०५; भवि. ब्राह्म. २;मध्य. २; मत्स्य. ९; भा. ८.१; अवतार होगा।
५,१३; वायु. ३१-३३; १००.९-११८; ब्रह्मांड. २.३६; ६. पुत्र--उपदेव (अहूर), देववत् (देववायु),
३.१; ब्रह्म, ५, पद्म. स.७)। देवश्रेष्ठ, मित्रकृत् (अमित्रहा, मित्रहा), मित्रदेव ( चित्रसेन, मनु आप्स्व--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. ९.१०१ मित्रबिंदु, मित्रविंद), मित्रबाहु, मित्रवत् , विदूरथ, १०-१२)। सुवर्चस् ।
मनु चाक्षुष-चाक्षुष नामक मन्वन्तर का अधिपति रोच्य मन्वन्तर
मनु, जिसके पुत्र का नाम वरिष्ठ था (म. अनु. १८.२०; १. मनु-रोच्य ।
चाक्षुष ६. एवं मनु 'आदिपुरुष' देखिये)। २. सप्तर्षि-अव्यय (पथ्यवत् , हव्याप), तत्व- मनु प्राचेतस-एक राजनीतिशास्त्रज्ञ, जो प्राचेतस दर्शिन् , धृतिमत् , निरुत्सुक, निर्मोक, निष्कंप, निष्प्रकंप, नामक मन्वन्तर का अधिपति मनु था। महाभारत के सुतपस् ।
अनसार, इसने राजधर्म एवं राजशास्त्र पर एक ग्रंथ की ___३. देव--सुकर्मन् , सुत्रामन् ( सूशर्मन् ), सूधर्मन् । रचना की थी (म. शां. ५७.४३: ५८.२)। कौटिल्य के ' प्रत्येक देवगण तीस देवों का होगा।
| अर्थशास्त्र में, एवं राजशेखर के ग्रंथों में इसके राजनीति६१०