Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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धूम्रकेतु
प्राचीन चरित्रकोश
धृतराष्ट्र
धूम्रकेतु-(स्वा. प्रिय.) भरत तथा पंचजनी का | एवं द्विधा स्वभाव का अंध एवं अपंग पुरुष मान पुत्र ।
| कर, श्रीव्यास ने 'महाभारत' में धृतराष्ट्र का २. (सू. दिष्ट.) भागवतमत में तृणबिंदु तथा अलंबुषा | चरित्रचित्रण किया है। अंध व्यक्तिओं में प्रत्यहि का पुत्र ।
दिखनेवाली लाचारी, परावलंबित्व एवं प्ररप्रत्येयनेय बुद्धि धूम्रकेश-कश्यप तथा दनु का पुत्र ।
के साथ, उसका संशयाकुल स्वभाव एवं झूटेपन, इन २. (स्वा. प्रिय.) वेनपुत्र पृथु तथा वेनकन्या अर्चि सारे स्वभावगुणों से धृतराष्ट्र का व्यक्तिमत्त्व ओतप्रोत के पाँच पुत्रों में से तीसरा (भा. ४.२२.५४)। पृथु की | भरा हुआ था। इस कारण, यद्यपि यह मूह से, 'पांडव मृत्यु के पश्चात् , उसके ज्येष्ठ पुत्र विजिताश्व ने इसे दक्षिण | एवं कौरव मेरे लिये एक सरीखे है, ऐसा कहता था, दिशा का स्वामित्त्व प्रदान किया (भा. ४.२४.२)। | फिर भी इसका प्रत्यक्ष आचरण कौरवों के प्रति सदा
३. कृशाश्व तथा दक्षकन्या अर्चि का पुत्र (भा. ६.६. | पक्षपाती ही रहता था। अपंगत्व के कारण मेरा राज्यमुख २०)।
चला गया, मेरे पुत्रों का भी यही हाल न हो,' यह एक धूम्रलोचन-शुंभनिशुंभ दैत्यों का एक प्रधान ।। | ही चिंता से यह रातदिन तड़पता था । इस कारण, वृद्ध कालिका देवी ने इसका वध किया।
एवं अपंग हो कर भी, इसके प्रति अनुकंपा एवं प्रेम नहीं धूम्रा-दक्ष प्रजापति की कन्या, एवं धर्म नामक वसु | प्रतीत होता है। की पत्नी । इसे धर एवं ध्रुव नामक दो पुत्र थे (म. आ.
कुरुवंश का सुविख्यात राजा विचित्रवीर्य का धृतराष्ट्र ६०.१८)।
'क्षेत्रज' पुत्र था। विचित्रवीर्य राजा निपुत्रिक अवस्था में धूम्राक्ष--धूम्राश्व का नामांतर ।
मृत हो गया। तत्पश्चात् कुरुवंश का क्षय न हो, इस हेतु से २. रावण का प्रधान । हनुमानजी ने इसका वध किया
सत्यवती की आज्ञानुसार, विचित्रवीर्य की पत्नी अंबिका (वा. रा. यु. ५२.१; म. व. २७०.१४)।
के गर्भ से, व्यास ने इसे उत्पन्न किया । गर्भाधान प्रसंग में .३. (सू. दिष्ट.) भागवत मत में हेमचंद्र का पुत्र ।
व्यास का तेज सहन न हो कर, अंबिका ने आँखे मूंद ली । इसे धूम्राश्व नामांतर भी प्राप्त है। ,
इसीलिये धृतराष्ट्र जन्म से अंधा पैदा हुआ (म. आ.१. धुम्रानीक-(स्वा. प्रिय.) मेधातिथि का पुत्र । ९८)। हँस नामक गंधर्व के अंश से इसका जन्म हुआ
धम्राश्व-(सू. दिष्ट.) वैशाली के सुचंद्र राजा का | था (म. आ. ६१.७-८:९९-१००% भा. ९.२२.२५) । पुत्र । इसे धूम्राक्ष भी कहते थे। धूम्रित-कश्यप एवं खशा का पुत्र । .
धृतराष्ट्र का पालनपोषण तथा विद्याभ्यास भीष्म की धूर्त-प्रियव्रत राजा का प्रधान (गणेश. २.३२.१४)।
खास निगरानी में हुआ (म. आ. १०२.१५-१८)। २. एक प्राचीन क्षत्रिय नरेश (म. आ. १.१७८)।
जन्मतः बुद्धिवान् होने के कारण, यह शीघ्र ही वेदशास्त्रों धूर्तक--कौरव्यकुल में उत्पन्न एक नाग । जनमेजय
में निष्णात हुआ । शिक्षा पूर्ण होने के बाद, भीष्म ने सुबल के तर्पसत्र में यह जल कर मारा गया (म. आ. ५२.१२)।
राजा की कन्या गांधारी से इसका विवाह कर दिया (म. धृत-(सो. द्रुह्यु.) धर्म का पुत्र । धृत वा द्युत इसीके
आ. १०३)। गांधारी के सिवा, इसे निम्नलिखित स्त्रियाँ ही पाठभेद है।
थी:-सत्यव्रता, सत्यसेना, सुदेष्णा, सुसंहिता, तेजःश्रवा, धृतक-(सो. इ.) वायुमत में रुरूक का पुत्र । वृक
सुश्रवा, निकृति, शंभुवा तथा दशार्णा (म. आ. १०४इसका पाठभेद है।
| १११३ परि, पंक्ति. ५)। धृतदेवा-(सो. वृष्णि.) देवक राजा की कन्या । यह गांधारी से धृतराष्ट्र को दुर्योधनादि सौ पुत्र, तथा दुःशला वसुदेव से ब्याही गयी थी। इसे विपृष्ट नामक एक पुत्र | नामक एक कन्या हुई (म. आ. १०७.३७) । दुःशला था (भा. ९.२४)।
| का विवाह सिंधुराज जयद्रथ से किया गया था (म. आ. धृतधर्मन्-प्रतर्दन देवों में से एक।
१०८.१८)। इन अपत्यों के अतिरिक्त, इसे युयुत्सु नामक धृतराष्ट्र--(सो. कुरु.) दुर्योधन, दुःशासन आदि | एक दासीपुत्र भी था (म. आ. १०७.३६)। कौरवों में सौ कौरवों का जन्मांध पिता, एवं महाभारत की | दुर्योधन, दुःशासन, विकर्ण तथा चित्रसेन प्रमुख थे (म. अमर व्यक्तिरेखाओं में से एक । अशांत, शंकाकुल | आ. ९०.३२)।
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