Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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प्राचीन चरित्रकोश
नंदिन
गद्दी पर बैठा। इसने महानंदी का वध कर राज्य छीना | नंदपाल---न्यूहवंशीय चन्द्रदेव राजा का पुत्र। इसका था। इसके वंश में सुमाल्यादि आठ पुरुषों ने सौ वर्षोंतक | पुत्र कुंभपाल था (भवि. प्रति. ४.३)। राज्य किया। कौटिल्य ने नंद के आठ राजपुत्रों का वध नंदभद्र-एक धार्मिक वैश्य । काफी वर्षों तक इसे कर, चन्द्रगुप्त को गद्दी पर बैठाया। (भा. १२.१) संतति नहीं हुई। इसकी कपिलेश्वर पर अत्यंत भक्ति थी। ____ कई पुराणों में, 'सुमाल्या ' दि के बदले 'सुकल्पा' दि
वृद्धापकाल में इसे एक पुत्र हुआ, परंतु विवाह होते ही पाठ प्राप्त है (विष्णु. ४.२२-२४; वायु. २.३७; ब्रह्मांड,
कछ दिनो में वह भी मृत हो गया। .३.७४)। नंद के जीवितकाल में ही कौटिल्य का विरोध
| इससे वैराग्य की इच्छा उत्पन्न हो कर, यह अध्यात्मप्रारंभ हो कर, नंद तथा उसके आठ पुत्र कौटिल्य के
ज्ञान संपादन करने का प्रयत्न करने लगा। कुछ दिनों के षड्यंत्र के कारण मारे गये, तथा नवनंदों का नाश हो कर
बाद, एक सात वर्ष का बालक इसे मिला। तथा उसने इसकी चन्द्रगुप्त गद्दी पर बैठा (मत्स्य. २७२)।
अध्यात्मज्ञान की लालसा तृप्त की। बाद में सूर्य तथा
रुद्र की उपासना कर के यह स्वर्ग पहुँच गया (स्कन्द. १. ___ कलि के तीन हजार तीन सौ दस वर्ष समाप्त होने पर, नंदराज्य का प्रारंभ हुआ था (स्कन्द, १.२.४०)।
२.४६)।
नंदवर्धन--मागधवंशीय उदापाश्व राजा का पुत्र । ___६. एक पिशाच । इसके पिशाच योनि में जाने पर
इसका पुत्र नंदसुत (भवि. प्रति. २.६)। मुनिशर्मा नामक ब्राह्मण ने इसका उद्धार किया (पद्म.
२. (प्रद्योत. भविष्य.) भागवत मतानुसार जनक का पा. ९४)।
पुत्र । इसके नाम के लिये नंदिवर्धन तथा वर्तिवर्धन ७. विष्णु का एक पार्षद (भा. ४.१२.२२)।
पाठभेद प्राप्त हैं। ८. एक कश्यपवंशी नाग (म. उ. १०१.१२)।
नंदसुत-नंदवर्धन १. देखिये। ९. स्कंद का एक सैनिक (म. श. ४४.६३)।
नंदा-धर्मप्रजापति के तीसरे पुत्र हर्ष की पत्नी १०. स्कंद का एक सैनिक (म. श. ४४.६४)।
(म. आ. ६०.३२)। भांडारकर संहिता में, इसके नाम नंदक-(सो. करु.) धृतराष्ट्र का पुत्र (म. भी. ६०. | के लिये 'नंदी' पाठभेद उपलब्ध है। ६)। यह द्रौपदी के स्वयंवर में उपस्थित था। भीम ने
२. पाताल के कपोत नाग की कन्या (मार्क. ६८.१९)।
पाताल के कपोतनाग की कन्या ( Er. इसका वध किया।
नंदायनीय--वायुमत में व्यास की ऋशिष्य२. वसुदेव को वृकदेवी से उत्पन्न पुत्र ।
परंपरा के बाष्कलि भारद्वाज का पुत्र तथा शिष्य । ३. एक दुर्योधनपक्षीय योद्धा (म. भी. ६०.२१)। नंदि--धर्म का पौत्र तथा स्वर्ग का पुत्र (भा. ६.६. ४. एक कश्यपवंशीय नाग (म. उ. १०१.११)। ६)। नंदन--(सो. क्रोष्टु.) वायु के मतानुसार मनुवश | २. उत्कल देश का राजा। इसने सुरथ के कोला नामक राजा का पुत्र।
नगरी को घेरा डाला तथा सुरथ को जीता । किंतु अन्त में २. हिरण्यकशिपु का पुत्र। यह श्वेतद्वीप में राज्य | सुरथ ने इसका पराजय किया । पराजित हो कर भागते करता था। शंकर के वर के कारण, यह सबको अजित समय, पुष्पभद्रा नदी तट पर इसकी मुलाकात एक वैश्य हो गया था । दस हजार वर्ष राज्य करने के बाद, कैलास से हुई। उसे ले कर यह मेधसाश्रम गया, एवं उससे इसे में जा कर यह शिवगणों में से एक बन गया (शिव. उ. | मंत्रोपदेश प्राप्त हुआ (ब्रह्मवै. २. ६२; दे. भा. ५.३२२)। ३. मणिभद्र तथा पुण्यजनी का पुत्र ।
___३. एक देवगंधर्व । अर्जुन के जन्मकालिक उत्सव में ४. अश्विनीकुमारों द्वारा स्कंद को दिये गये दो पार्षदो | यह शामिल हुआ था (म. आ. १४४.४५)। *से एक । दूसरे पार्षद का नाम वर्धन था (म. श. नंदिन--भगवान शिव का दिव्य पार्षद एवं वाहन । ४४.३३-३४)।
यह शालंकायनपुत्र शिलाद ऋषि का पुत्र था। इसे ५. स्कंद का एक सैनिक (म. श. ४४.६०)। शैलादि पैतृक नाम प्राप्त है। निपुत्रिक होने के कारण, नंदनोदरदुंदुभि--(सो. कुकुर.) नल राजा का | इसके पिता शिलाद ने पुत्रप्राप्ति के लिये तपस्या की। नामांतर (नल ४. देखिये)।
उस तपस्या से प्रसन्न हो कर शंकर ने उसे पुत्रप्राप्ति का वर ३४३