Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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मत्स्य
प्राचीन चरित्रकोश
मदनिका
थी। इसे सत्यवती नामान्तर भी प्राप्त था ( सत्यवती देखिये) । पूर्वजन्म में यह पितरों की कन्या अच्छोदा थी। इसके पुत्र का नाम कृष्ण द्वैपायन था।
मत्स्यदग्ध - अंगिराकुलोत्पन्न एक प्रवर । मत्स्याच्छाद्य -- अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार | मथन -- तारकासुर के पक्ष का एक असुर, जो विष्णु के द्वारा मारा गया था (मत्स्य १५१) | मथित-भृगुकुलोपन एक गोत्रकार इसके नाम के लिए 'माधव' पाठभेद प्राप्त है।
माथित यामायन-एक वैदिक (१०. १९ ) ।
मद--एक दानव, जो कश्यप एवं नु का पुत्र था। २. ब्रह्मा का एक मानसपुत्र, जो उसके अहंकार से उत्पन्न हुआ था ( मास्या ३.११ ) | ३. रुद्र गणों में से एक ।
इस देश के निवासी जरासंध के भय से अपना देश छोड़ कर दक्षिण भारत की ओर गये थे ( म. स. १३.२७) | भीमसेन ने अपनी पूर्वदिग्विजय के समय इन लोगों को जीता था ( म. स. २७.८ ) । सहदेव ने भी अपनी दक्षिण दिग्विजय के समय मत्स्य एवं अपरमत्स्य लोगों को जीता था (म. स. २८.२-४ )
अपने अशतवास के समय पाण्डवों ने इस देश में निवास किया था। उस समय इनलोगों का राजा विराट था ( म. वि. १.१२-१६)।
भारतीय युद्ध में एक अक्षौहिणी सेना लेकर मत्स्यराज विराट युधिष्ठिर की सहाय्यता के लिए आया था ( म.उ. १९.१२ ) । इन लोगों के अनेक वीरों का भीष्म एवं द्रोण ने यक्ष कीया या (म.मी. ४५.५४) द्रो. १६४.८५ ) । पंचे हुए वीरों का संहार अश्वत्थामा ने भारतीय युद्ध के अंतिम दिन किया था (म. सी. ८. १५० ) ।
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भौगोलिक मर्यादा - संभव है कि, आधुनिक भरतपूर धौलपुर एवं प्रदेश मिलकर प्राचीन मत्स्य भरवार, देश बना होगा। १९४८ इ. स. में भारत सरकार ने मास्ययुनियन नामक राज्य की स्थापना की थी. जिसमें यही प्रवेश शामिल थे। आगे चलकर मत्स्य युनियन का सारा प्रदेश राजस्थान में शामिल किया गया। मंस्य देश की राजधानी विराटनगरी में थी, जो जयपूर के पास बैराट नाम से आज भी प्रसिद्ध है ।
३. (सो. ऋक्ष. ) एक राजा, जो उपरिचर वसु को एक मत्स्यी के द्वारा उत्पन्न जुड़वे संतानों में से एक था । इसे मत्स्यगंधा नामक जुड़वी बहन भी थी (म. आ. ५७.५१) ।
४. एक आचार्य, जो बाबु के अनुसार न्यास की ऋक्शिष्यपरंपरा में से देवमित्र नामक आचार्य का शिष्य था। इसके नाम के लिए 'वास्य' पाठभेद प्राप्त है।
४. राम दाशरथि राजा के सुज्ञ नामक मंत्री का पुत्र । ५. एक राक्षस, जो च्यवन ऋषि के द्वारा उत्पन्न हुआ था। इसके उत्पत्ति की कथा महाभारत में इस प्रकार दी गयी है। एक बार सोमपान करनेवाले देवतागणों ने अश्वियों को सोमपान करने से इन्कार किया। फिर अश्रियो ने च्यवन ऋषि की मदद माँगी । च्यवन ऋषि ने अपने मंत्रों के बल से देवतागणों का परामय किया। पश्चात् इंद्र ने क्रुद्ध हो कर च्यवन ऋषि पर आक्रमण करना चाहा, जिसका प्रतिकार करने के लिए च्यवन ने अग्नि में से एक महाभयंकर राक्षस का निर्माण किया। उसी का ही नाम मद था ।
उत्पन्न होते ही मद ने अपना प्रचंड मुख खोल दिया, जिसमें समस्त देवतागण समा गये एवं इसकी जिव्हा पर तैरने लगे। फिर समस्त देवताओं के साथ, इंद्र व्ययन ऋषि की शरण में गया, एवं उसने अश्वियों को सोमपान में सहभागी करना स्वीकार कर दिया (म.व. १२४.१८१९ अनु. १५०.२७-३२ ) ।
मत्स्यकाल--(सो.क्ष. ) एक राजा, जो वायु के अनुसार, उपरिचर वसु ( इंद्रसत्र ) राजा का पुत्र था । संभव यही है, कि इसका सही नाम मत्स्य था, एवं यह एवं इसकी काली (मत्स्यगंधा) नामक गुड़ी पहनन दोनो के नाम के लिए 'मत्स्यकाल' नाम प्रयुक्त किया गया हो (मत्स्य ३. देखिये ) |
मत्स्यगंध - भृगुकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । मत्स्यगंधा कुरुवंशीय शंतनु राजा की पत्नी, जो उपरिचर व राजश को एक मत्स्वी से उत्पन्न पुत्री | प्रा. च. ७६ ]
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मद्गल -- एक ऋग्वेदी ब्रह्मचारी ।
मदनमा के पुत्र कामदेव का नामान्तर (कामदेव देखिये ) |
२. केरल देश के धृष्टबुद्धि नामक राजमंत्री का पुत्र | मदनमंजरी - नीलपुत्र प्रवीर राजा की पत्नी । मदनसुंदरी — एक गोपी, जो कृष्ण को अत्यधिक
प्रिय थी ।
मदनिका - एक अप्सरा, जो मेनका की कन्या थी । इसका विवाह विद्रूप नामक राक्षस से हुआ था। पचिराज