Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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मदनिका
प्राचीन चरित्रकोश
मद्रक
गरुड के वंशज कंधर ने विद्यद्रप राक्षस का वध किया। मदोत्कट-एक शिवगण। तदोपरान्त यह कंधर की पत्नी बनी, जिससे इसे ताी मद्र-मद्र देश में रहनेवाले लोगों के लिए प्रयुक्त नामक कन्या उत्पन्न हुई (मार्क.२)।
| सामुहिक नाम । बृहदारण्यक उपनिषद में इन लोगों का मदयन्ती-मित्रसह कल्माषपाद राजा की पत्नी । निर्देश प्राप्त है (बृ. उ. ३.३.१, ७.१) । उपनिषदों में इसे वसिष्ठ ऋषि से अश्मक नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था | वर्णित मद्रगण कुरुओं भाँति मध्यदेश के कुरुक्षेत्र नामक (म. आ. १६८.२५, १७३.२२; शां. २२६.३०)। | स्थान में बसे हुए थे। उस समय पतंचल काप्य नामक
उत्तंक नामक सुविख्यात ऋषि अपने गुरु वेद ऋषि की | आचार्य इन्ही के बीच रहता था। आज्ञा के अनुसार, इसके कुण्डल माँगने के लिए इसके ऐतरेय ब्राह्मण में उत्तर मद्र लोगों का निर्देश प्राप्त है, यहाँ आये थे। इसने उन्हे कुण्डल दे कर संतुष्ट किया | जिन्हे हिमालय पर्वत के उस पार ('परेण हिमवन्तम् ') था (म. आश्व. ५७.५८; उत्तंक देखिये)।
उत्तर कुरुओं के पड़ोस के रहिवासी बताया गया है (ऐ. २. कृष्ण की एक सखी (पन. पा. ७४)।
ब्रा. ८.१४.३)। सिमर के अनुसार, ये लोग काश्मीर मदालसा--काशी देश के ऋतुध्वज राजा की पत्नी, के रावी एवं चिनाब के मध्यवर्ति भूभाग में रहते थे जिसके पुत्र का नाम अलर्क था । यह अत्यंत ब्रह्मनिष्ठ | (आल्टिन्डिशे. लेबेन. १०२)। थी। एक बार पातालकेतु नामक राक्षस ने इसका हरण
महाभारतकाल में इन लोगों का राजा शल्य था,. किया । पश्चात् ऋतुध्वज राजा ने पातालकेतु को परास्त
जिसकी बहन माद्री कुरुवंशीय राजा पाण्डु को विवाह में, . कर इसकी मुक्तता की।
दी गयी थी। उस समय भीष्म अपने मंत्री, ब्राह्मण, एवं मदिरा-एक स्त्री, जो देवदैत्यों ने किये समुद्रमंथन |
सेना को साथ ले कर इस देश में आये थे, एवं उसने.. से निकले हुए चौदह रत्नों में से एक थी । इसे 'सुरा' पाण्डु के लिए माद्री का वरण किया (म. आ. १०५. नामान्तर भी प्राप्त था।
४-५)। २. श्रीकृष्ण पिता वसुदेव की अनेक पत्नियों में से
___ युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के समय, पाण्डुपुत्र नकुल ने एक । वसुदेव की मृत्यु के पश्चात् देवकी, भद्रा एवं रोहिणी
इन लोगों पर प्रेम से विजय प्राप्त किया था, एवं ये लोग नामक अन्य वसुदेवपत्नियों के साथ यह सती हो गयी
युधिष्ठिर के लिए भेंट ले कर आये थे (म. स. २९. . (म. मौ. ८.१८)।
१३, ४८.१३)। . . मदिराश्व--(सू. इ.) एक इश्वकुवंशीय राजा, जो दशाश्व राजा का पुत्र था। यह परमधर्मात्मा, सत्यवादी,
__ महाभारत के पूर्वकाल में, सती सावित्री का पिता तपस्वी, दानी एवं वेद तथा धनुर्वेद में पारंगत था (म.
अश्वपति म्द्र देश का नरेश था (म. व. २९३.१३)।
कर्ण ने मद्र एवं वाहीक देशों को आचारभ्रष्ट बता कर अनु. २.७-८)।
उनकी निंदा की थी (म. क. ३०.९, ५५, ६२, ६८इसे द्युतिमत् नामक पुत्र, तथा सुमध्यमा नामक कन्या थी (म. अनु. २.८)। अपनी कन्या को हिरण्यहस्त
७१)। नामक भाषि को विवाह में प्रदान कर, यह स्वर्गलोक चला
२: अनुवंशीय 'मद्रक' राजा के लिए उपलब्ध गया (म. शां. २२६.३४; अनु. १३७.२४)।
पाठभेद । २. मत्स्यनरेश विराट का भाई। इसके नाम के लिए |
३. स्वारोचिष मन्वन्तर का एक देव । 'मदिराक्ष' पाठभेद भी प्राप्त है (म. उ. १६८.१४)। मद्रक--(सो. अनु.) एक राजा, जो विष्णु एवं
त्रिगों के द्वारा गोहरण के समय इसने कवचधारण वायु के अनुसार शिबि राजा का पुत्र था। इसके नाम कर उनसे युद्ध किया था।
के लिए 'मद्र' पाठभेद प्राप्त है। ___ भारतीय युद्ध में राजा विराट के चक्ररक्षक के रूप २. एक मद्रदेशीय योद्धा, जो भारतीय युद्ध में कौरव में यह पाण्डवों के पक्ष में शामिल था (म. वि. ३२. | पक्ष में शामिल था (म. भी. ७.७)। ३०)। यह एक उदाररथी, सम्पूर्ण अस्त्रों का ज्ञाता, एवं ३. एक राजा. जो क्रोधवश नामक दैत्य के अंश से मनस्वी वीर था (म. उ. १६८.१५)। भारतीय युद्ध में | उत्पन्न हुआ था। इसके नाम के लिए 'नंदिक' पाठभेद द्रोण ने इसका वध किया।
| प्राप्त है (म, आ. ६१.५५)। ६.२