Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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भीमाश्वी
पश्चात् इसने इस स्त्री के मुख का खोज किया, एवं उसे तीर्थ में डुबों दिया, जिस कारण उस स्त्री को सुंदर संभव है, इस वंश में निम्नलिखित राजा समाविष्ट मनुष्याकृति मुख की प्राप्ति हो गई। पश्चात् इस राजा ने उस स्त्री के साथ विवाह किया (स्कंद ७.२.२ ) । भोजक - एक सूर्यपूजक राजा (भवि. ब्राह्म. १. ११७ ) ।
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भोजपायन - कश्यपकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ।
भोज
राजा को उशीनर से एक खङ्ग की प्राप्ति हुई थी ( म. शा. १६६.८९ ) ।
प्राचीन चरित्रकोश
(१) विदर्भाधिरति भीष्म -- इसे महाभारत में भोज कहा गया है ( म.उ. १५५.२ ) ।
( २ ) कुकुरवंशीय आहुक - इसे हरिवंश में भोज कहा गया है (ह. . १.३७.२२ ) ।
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( ३ ) विदर्भाधिपति रुक्मिन् -- इसने 'भोजकट (भोजों का नगर ) नामक नयी राजधानी की स्थापना की थी ( रुक्मिन् देखिये ) ।
( ४ ) महाभोज -- यह यादववंशीय सात्वत राजा का पुत्र था । भागवत के अनुसार इसके वंशज भोज कहलाते थे (मा. ९.२४.७-११) ।
५. मार्तिकावत् ( मृत्तिकावती ) नगरी का एक राजा, जो द्रौपदी के स्वयंवर में उपस्थित था (म. आ. १७७. ६) । फलिंगराज चित्रांगद राजा की कन्या के स्वयंवर में भी यह उपस्थित था (म. शां. ४.७ ) | महाभारत में कई जगह, इसे 'मार्तिबतक भोज' कहा गया है, एवं युधिष्ठिर की राजसभा का एक राजर्षि नाम से इसका वर्णन किया गया है।
भारतीय युद्ध में वह कौरव पक्ष में शामील था, एवं अभिमन्यु के द्वारा इसकी मृत्यु हो गयी थी (म. द्रो. ४७.८ ) ।
६. एक राजवंश, जो हैहयवंशीय तालजंघ राजवंश में समाविष्ट था ।
७. (सो.वि.) एक राजा, जो मत्स्य के अनुसार, प्रतिक्षत्र राजा का पुत्र था अन्य पुराणों में इसका 'स्वयंमोज' नामांतर दिया गया है, एवं इसे फोटुवंशीय कहा गया है।
८. कश्यपकुलोत्पन्नगोत्रकार।
९. कान्यकुन देश का एक राजा एक बार इसे एक सुंदर स्त्री का दर्शन हुआ, जिसका सारा शरीर मनुष्याकृति होने पर भी केवल मुख हिरणी का था ।
इस विचित्र देहाकृति स्त्री को देखने पर इसे अत्यधिक आर्य हुआ, एवं इसने उसकी पूर्वकहानी पूछी। फिर इसे पता चला की, वह स्त्री पूर्वजन्म में हिरनी थी। उस हिरनी के शरीर का जो भाग तीर्थ में गिरा, उसे मनुष्याकृति प्राप्त हुई एवं केवल मुल तीर्थस्पर्श न होने से हिरणी का ही रह गया
भोज्या सौवीरराज की सर्वांगसुंदर कन्या, जिसका सात्यकि ने अपनी रानी बनाने के लिये हरण किया था (म. द्रो. ९.२९ ) । पाठभेद ( भांडारकर संहिता) - * मोठा ।
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२. वीरव्रत नामक राजा की पत्नी ( वीरव्रत देखिये) । २. आर्यक नामक नाग की कन्या, जिसे मारिषा नामान्तर भी प्राप्त है। इसका विवाह शूर राजा से हुआ था, जिससे इसे वसुदेवादि पुत्र उत्पन्न हुयें ।
४. मोज देश की राजकन्या, जिसका यादववंशीय ज्यामघ राजा ने रानी बनाने के लिये हरण किया था। किंतु पश्चात् ज्यामघ ने अपने पुत्र विदर्भ से इसका विवाह संपन्न कराया ( ज्यामत्र देखिये) ।
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भौजपायन- - कश्यपकुलोत्पन्न गोत्रकार ऋषिगण । इसके नाम के लिये 'भीमपायन' पाउमेद प्राप्त है।
भौत्य- एक राजा, जो चौदहा मनु माना जाता है। इसे 'इंद्रसावर्णि एवं 'चंद्रसावणि नामांतर भी प्राप्त थे (मनु देखिये) ।
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यह भूति नामक ऋषि का पुत्र था, जिस कारण इसे भौत्य नाम प्राप्त हुआ था भूति ऋषि को बहुत दिनों तक पुत्र न था। पश्चात् उसके शान्ति नामक शिष्य ने अपने गुरु को पुत्र प्राप्ति हो, इस हेतु से आगे की उपासना की, जिस कारण अनि के प्रसाद से इसकी उत्पत्ति हो गयी । भौम-नरकासुर का नामांतर ( नरकासुर देखिये) । २. शिवपुत्र मंगल का नामान्तर ( मंगल २. देखिये ) | ३. एक राक्षस, विप्रचित्ति एवं सिंहिका पुत्र था। जो इसे ' नल' एवं 'नभ' नामान्तर भी प्राप्त है ( विप्रचित्ति २. देखिये) । परशुराम ने इसका वध किया (ब्रह्मांड. २.६.१८-२२ ) ।
भौमतापायन - गौरपराशरकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ।
भौमाश्वी शैव्या औशीनरी उशीनर देश की - राजकन्या, जिसे द्रौपदी के सदृश पाँच पति थे। नितं राजा के पाँच पुत्रों से इसका एकसाथ विवाह हुआ था,
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