Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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पुलस्त्य
प्राचीन चरित्रकोश
पुलह
था।
(३) विश्वामित्र तथा कौशिक शाखा-अगस्त्यों के मृगा जिनदान के विषय में, पुलल्य का एक गद्य उद्धरण साथ, विश्वामित्र एवं कौशिक शाखा के लोग भी 'पौलस्त्य | लिया गया है। ब्रह्मराक्षसों में गिने जाते थे। ये लोग पौलस्त्यवंश में 'पुलस्त्यस्मृति' का रचनाकाल संभवतः ईसा के किस तरह प्रविष्ट हुये, यह नहीं कह सकते, किंतु | चौथी, सातवीं शताब्दी के बीच कहीं होगा)। 'अगस्त्यों' की तरह इन्हे भी 'रात्रिराक्षस' कहा जाता ५. चैत्र माह में धाता नामक आदित्य के साथ घूमने
वाला एक ऋषि (भा. १२.११.३३ । ३. महाभारतकालीन एक ऋषि । अर्जुन के जन्ममहोत्सव पुलह--ब्रह्माजी के आठ मानसपुत्रों में से एक, जो में यह उपस्थित था (म. आ. ११४.४२)। पराशर द्वारा | छः शक्तिशाली ऋषियों में गिना जाता था (म. आ. किये राक्षससत्र का विरोध करने के लिए अन्य महर्षियों के | ६०.४)। साथ, यह भी था। एवं इसने पराशर को समझाकर | स्वायंभुव मन्वंतर में यह ब्रह्माजी के नाभि से अथवा राक्षससत्र बंद करने पर विवश किया (म. आ. 'व्यान' से उत्पन्न हुआ (भा. ४.१.३८)। यह १७२.१०-११)।
स्वायंभुव दक्ष का दामाद तथा शिवजी का साढ़ था। इसने भीष्म को विभिन्न तीर्थों का वर्णन, एवं पृथ्वी दक्ष द्वारा अपमानित होने पर, शिवजी ने इसे दग्ध कर प्रदक्षिणा का महात्म्य कथन किया था (म. व. ८०- | मार डाला । दक्षकन्या क्षमा इसकी पत्नी थी। ८३)। शरशय्या पर पड़े हुये भीष्म से मिलने आये हुये ___भागवत् में, इसके गति नामक और एक पत्नी का. ऋषियों में, यह भी शामिल था (म. शां. ४७.६६*)। निर्देश प्राप्त है। ब्रह्माजी के अन्य मानसपुत्रों के साथ, ४. एक धर्मशास्त्रकार । 'वृद्धयाज्ञवल्क्य ' में प्राप्त
यह भी शिवजी के शाप से मृत हुआ (मत्स्य. १९५)। . स्मृतिकारों की नामावली में इसका निर्देश प्राप्त है। क्षमापुत्र-अपने क्षमा नामक पत्नी से, इसे निम्न- . 'शारीर शौच' के विषय पर, इसके एक श्लोक का लिखित पुत्र उत्पन्न हुए:उद्धरण विश्वरूप ने दिया है (याज्ञ. १.१७ )। श्राद्ध विधि (१) कर्दम-अत्रि ऋषि की आयी 'अति' नामक के समय, ब्राह्मण शाकाहार का, क्षत्रिय तथा शूद्र माँस | कन्या से इसका विवाह हुआ था, जिससे इसे शंखपाद . का, एवं शूद्र शहद का उपयोग करे, ऐसा इसका मत था | एवं काम्या नामक दो सन्ताने हुयीं। उनमें से शंखपाद (याज्ञ. १.२६१)।
दक्षिण दिशा का प्रजापति था । काम्या का विवाह स्वायंभुव 'मिताक्षरा' में, पुलस्त्य के दो श्लोकों का उद्धरण प्राप्त |
मनु का पुत्र प्रियव्रत राजा से हुआ था, जिससे उसे दस
पुत्र, एवं दो कन्यायें उत्पन्न हुयीं। उन दस प्रियव्रतपुत्रों है, जिनमें ग्यारह नशा लानेवाली वस्तुओं के नाम देकर, |
ने आगे चल कर, क्षत्रियत्त्व को स्वीकार किया, एवं वे बारहवें अत्यंत बुरे मादक पदार्थ के रूप में शराब का निर्देश किया गया है (याज्ञ. ३.२५३)।
सप्तद्वीपों के स्वामी बन गये (ब्रह्मांड. २. १२.३०-३५;
प्रियव्रत देखिये)। संध्या, श्राद्ध, अशौच, संन्यासधर्म, प्रायश्चित्त आदि (२) कनकपीठ--अपनी यशोधरा नामक पत्नी से, के संबंध में, 'पुलस्त्य स्मृति' के अनेक श्लोकों का निर्देश | इसे सहिष्णु एवं कामदेव नामक दो पत्र उत्पन्न हए। अपराक ने किया है। ज्ञानकर्मसमुच्चय के संबंध में भी,
एक सबध म भा, (३) उर्वरीवत् (४) सहिष्णु (५) पीवरी पुलस्त्य के दो श्लोक अपराक ने दिये हैं (अपरार्क. याज्ञ.
I n ३.५७) । आह्निक तथा श्राद्ध के विषय में, पुलस्त्य के |
गतिपुत्र--अपने गति नामक पत्नी से, इसे कर्दम, चालीस श्लोक 'स्मृतिचंद्रिका' में दिये गये हैं। रविवार,
उर्वरीवत् एवं सहिष्णु नामक तीन पुत्र उत्पन्न हुए (विष्णु मंगलवार, एवं शनिवार के दिन स्नान करने से क्या पुण्यफल की प्राप्ति होती है, इसके बारे में भी, पुलस्त्य |
२. वैवस्वत मन्वन्तर में पैदा हुआ आद्य पुलह ऋषि का निर्देश 'स्मृति चंद्रिका ' में प्राप्त है।
का पुनरावतार | शिवजी के शाप से मरे हुये ब्रह्माजी राम, परशुराम, नृसिंह तथा त्रिविक्रम आदि के के सारे मानसपुत्र, उसने वैवस्वत मन्वन्तर में पुनः उत्पन्न जपानुष्ठान से क्या लाभ होता है, इस विषय में इसके किये। उस समय, यह अग्नि के लंबे केशों में से उत्पन्न । मत उल्लेखनीय है। चंडेश्वर के 'दानरत्नाकर' में, | हुआ।