Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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भूमिंजय
प्राचीन चरित्रकोश
भूरिश्रवस्
२. एक कौरवपक्षीय योद्धा, जो द्रोणाचार्य के द्वारा भूरिद्युम्न--एक प्राचीन राजा, जो यमसभा में निर्मित गरुडव्यूह के हृदयस्थान पर खड़ा था (म. द्रो. | उपस्थित था (म. स. ८.१८, २०, २५, शां. १२६. १९.१३-१४)।
१४)। इसके पिता का नाम वीरद्युम्न था। भूमित्र--कण्ववंशीय भतिमित्र राजा के नाम के लिए यह दुर्भाग्य के कारण विनष्ट हुआ था। किन्तु कृशतनु उपलब्ध पाठभेद (भूतिमित्र देखिये )।
नामक ऋषि ने अपने तपोबल से इसे पुनः जीवित किया भूमिनी--पूरुवंशीय अजमीढ राजा की पत्नी।।
(कृशतनु देखिये )। गोदान करने के कारण, इसे स्वर्ग
प्राप्ति हो कर यह यमसभा में उपस्थित हुआ (म. अनु. भूमिपति--एक प्राचीन राजा (म.उ. ११५.१४ )।
७६.२५)। 'संभव है, यह किसी व्यक्ति का नाम न होकर, उपाधि के
२. कृष्णभक्त एक ऋषि, जिसने शान्तिदूत बन कर रूप में प्रयुक्त किया होगा।
हस्तिनापुर जाते समय मार्ग में श्रीकृष्ण की दक्षिणावर्त भूमिपाल-एक प्राचीन नरेश, जो क्रोधवश नामक
परिक्रमा की थी (म. उ. ८१. २७)। दैत्यं के अंश से उत्पन्न हुआ था (म. आ.६१.५६-६१)।
। ३. दक्षसावणि मनु के पुत्रों में से एक। भारतीय युद्ध में यह पांडवों के पक्ष में शामिल था
४. ब्रह्मसावर्णि मनु के पुत्रों में से एक । (म. उ. ४.२.१ )।
भूरिबल-(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र के शतपुत्रों में से - भूमिशय--एक . प्राचीन नरेश, जिसे अमूर्तरयस्
एक । यह भीम के द्वारा मारा गया (म. श. २५.१२)। राजा से खङ्ग की प्राप्ति हुी थी। आगे चल कर, उस
इसके नाम के लिए भीमबल पाठभेद प्राप्त है। खड्ग को इसने भरत दौष्यांति राजा को प्रदान किया था
भूरियशस्--पांचालदेशीय एक राजा, जिसके पुत्र (म. शां. १६०.७३)।
का नाम पुरुयशस् था ( पुरुयशस् देखिये)। भूयसि--अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ।
__भूरिश्रवस्--एक कुरुवंशीय राजा, जो सोमदत्त राजा भूयोमेधस्--सुमेधस् देवों में से एक ।
का पुत्र था (म. आ. १७७.१४)। इसे यूपकेतु एवं - भूरि-(सो. कुरु.) एक कुरुवंशीय सम्राट, जो |
| यूपध्वज नामान्तर भी प्राप्त थे (म. द्रो. २४.५३; स्त्री. सोमदत्त राजा का पुत्र था। इसे भूरिश्रवस् एवं शल |
२४.५)। नामक दो भाई थे।
| इसे भूरि एवं शल नामक और दो बंधु थे। अपने भारतीय युद्ध के समय, यह कौरव पक्ष में शामिल | पिता एवं बन्धुओं के साथ, यह द्रौपदीस्वयंवर में उपस्थित था । उस युद्ध में हुए रात्रियुद्ध में, यह सात्यकि के | था (म. स. ३१.८)। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में भी द्वारा मारा गया (भा. ९.२२.१८; म. द्रो. १४१.१२)। | यह उपस्थित था। अपनी मृत्यु के पश्चात् , यह एवं इसके भाई विश्वेदेवों भारतीय युद्ध में यह कौरवपक्ष में शामिल था। अपनी में सम्मिलित हो गये (म. स्व. ५.१४)।
एक अक्षौहिणी सेना के सहित, यह दुर्योधन की २. (सो. कुरु. भविष्य.) एक कुरुवंशीय राजा, जो | सहाय्यता के लिए युद्ध में प्रविष्ट हुआ (म. उ. १९. मत्स्य के अनुसार विविक्षु राजा का पुत्र था । विष्णु एवं | १२)। यह रथयुद्ध में अत्यंत प्रवीण था, एवं इसकी वायु में इसे 'उष्ण', तथा भागवत में इसे 'उक्त' कहा | श्रेणि 'रथयूथपयूथप ' थी (म. उ. १६५. २९)। गया है
भारतीय युद्ध में शंख, धृष्टकेतु, भीम, शिखण्डिन् भूरिकीर्ति--एक राजा, जो कुश एवं लव का श्वशुर | आदि के साथ इसका युद्ध हुआ था। मणिमत् नामक था । इसे चंपिका एवं सुमति नामक दो नातनें थी जो | राजा का इसने वध किया था (म. द्रो. २४.५१)। क्रमशः कुश एवं लव को विवाह में दी गयी थी, (आ. भूरिश्रवस्-सात्यकि-युद्ध-भारतीय युद्ध में यादव रा. विवाह. १)।
| राजा सात्यकि के साथ इसका अत्यंत रौद्र युद्ध हुआ। भरितेजस्-एक प्राचीन नरेश, जो क्रोधवश नामक | कुरुवंशीय भरिश्रवस् एव यादववंशीय सात्यकि का शत्रुत्व दैत्य के अंश से उत्पन्न हुआ था (म. आ. ६१.५८- वंशपरंपरागत था । भूरिश्रवस् के पिता सोमदत्त एवं सात्याकि ६१)। भारतीय युद्ध में यह पांडवों के पक्ष में शामिल | के पिता शिनि दोनो देवकी के स्वयंवर में उपस्थित थे, था (म. उ. ४. २३)।
एवं उस समय से इन दो कुलों में वैर का अग्नि सुलग ५८३