Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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पुष्करमालिन
पुष्करमालिन -- विदेह देश का राजा ऐंद्रद्युम्न जनक का नामांतर । इसे ' उग्रसेन' नामांतर भी प्राप्त था । महाभारत के अनुसार, पुष्करमालिन् ऐंद्रद्यम्न एवं उग्रसेन एक ही जनक राजा के नामांतर थे, एवं यह राजा वरुणपुत्र बंदिन एवं अष्टावक्र ऋषियों के वाद सभा में उपस्थित था (म. व. १३३.१३; १३४.१; बंदिन् देखिये) ।
पुराणों में प्राप्त वंशावलि में, इनमें से एक भी जनक का नाम प्राप्त नहीं है । इस कारण, इन नामों में से सही नाम कौनसा है, यह बताना कठिन है ।
पुष्करमालिनी -- एक धर्मचारिणी स्त्री, जो विदर्भ देश में ' उंच्छवृत्ति' से रहनेवाले सत्य नामक ऋषि की पत्नी थी। महाभारत में, इसके नाम के लिये 'पुष्करचालिनी' एवं 'पुष्करधारिणी', पाठभेद उपलब्ध हैं ।
प्राचीन चरित्रकोश
अत्यंत व्रतस्थ होने के कारण, यह 'कृशतनु' एवं पवित्र बन गयी थी । यह पति के कथनानुसार आचरण करती थी, एवं वन में सहजरूप ये प्राप्त मोरपंखो से बना • हुआ वस्त्र धारण करती थी। पशुयज्ञ से इसे सख्त नफरत थी (म. शां. २६४.६ ) ।
पुष्कराक्ष - (सु. दिष्ट. ) एक राजा, जो सुचंद्र राजा का पुत्र था। परशुराम जामदग्न्य ने सर से पाँव तक . . विच्छेद कर, इसका वध किया ( ब्रह्मांड. ३.४०.१३, परशुराम देखिये ) ।
पुष्करारुणि- (सो. पूरु. ) एक पुरुवंशीय राजा । भागवत के अनुसार, यह दुरतिक्षय राजा के तीन पुत्रों में से कनिष्ठ था। जन्म से यह क्षत्रिय था, किंतु 'तपस्या के कारण ब्राह्मण बन गया ( भा. ९.२१.२० ) । इसे 'पुष्करिन् ' नामांतर भी प्राप्त था ।
पुष्करिणी – सम्राट भरत की स्नुषा, एवं भरतपुत्र भुमन्यु की पत्नी (म. आ. ८९.२१ ) । इसे कुल छः पुत्र थे, जिनके नाम इसप्रकार थे:- सुहोत्र, दिविरथ, सुहोता, सुहवि, सुजु एवं ऋचीक ।
२. व्युष्ट राजा की पत्नी, जिसे सर्वतेजस् नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था (भा. ४.१३.१४))।
३. उल्मुक राजा की पत्नी । इसे कुल छः पुत्र थे, जिनके नाम इस प्रकार थे:-अंग, सुमनस, ख्याति, ऋतु, अंगिरा एवं गय (भा. ४.१३.१७ ) । पुष्करिन्–(सो. पूरु.) एक पूरुवंशीय राजा । वायु के अनुसार, यह उभक्षय राजा का, एवं विष्णु के अनुसार उरुक्षय राजा का पुत्र था। इसे 'पुष्करारुणि' नामांतर भी प्राप्त था (पुष्करारुणि देखिये) ।
प्रा. च. ५६ ]
पुष्टि
पुष्कल – (सू. इ. ) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो दशरथपुत्र भरत के दो पुत्रों में से कनिष्ठ था। इसकी माता का नाम मांडवी था ( वायु. ८८; ब्रह्मांड. ३.६२. १९०; विष्णु. ४.४७; अग्नि ११.७-८;९;११-१२ ) ।
पद्म पुराण के पातालखंड में, राम दाशरथि के अश्वमेधां यज्ञ का विस्तृत वर्णन प्राप्त है, जिससे इसकी शूरता की प्रचीति मिलती है ( पद्म. पा. १ –६८ ) । राम दाशरथि ने कुल तीन अश्वमेध यज्ञ किये। उन तीनों यज्ञ के समय, अश्व की रक्षा करने का काम शत्रुघ्न के साथ पुष्कल ने ही निभाया था ( पद्म. पा. १.११ ) ।
इस कार्य में अनेक राक्षस एवं वीरों से इसे सामन करना पड़ा। सुबाहुपुत्र दमन को इसने परास्त किया (पद्म. पा.२६) । चित्रांग के साथ हुए युद्ध में, इसने उसका वध किया ( पद्म. पा. २७) । विद्युन्माली एवं उग्रदंष्ट्र राक्षसों से इसका भीषण युद्ध हुआ (पद्म. पा. ३४ ) | रुक्मांगद एवं वीरमणि से भी इसका युद्ध हुआ था ( पद्म. पा. ४१-४६ अन्त में लव ने राम का अश्वमेधीय अश्व रोक करा इसे पराजित किया (पद्म. पा. ६१ ) ।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, पुष्कल ने गांधार देश जीत कर, उस देश में पुष्कलावती अथवा पुष्कलावत नामक नगरी की स्थापना की, एवं उसे अपनी राजधानी बनायी ( वा. रा. उ. १०१.११ ) ।
पद्म के अनुसार इसकी पत्नी का नाम कांतिमती था (पद्म. पा. ६७ ) ।
२. (सु. इ. भविष्य . ) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा मत्स्य के अनुसार, यह शुद्धोदन राजा का पुत्र था । इसे सिद्धार्थ नामान्तर प्राप्त है ( मत्स्य, २७२. १२; सिद्धार्थ देखिये ) । इसे 'राहुल', 'रातुल' एवं ' लांगलिन् ' नामांतर भी प्राप्त थे ।
पुष्टि-- स्वायंभुव मन्वन्तर की कन्या, एवं धर्म की पत्नी ( म. आ. ६०.१३ ) । स्मय इसका पुत्र था ( भा. ४.१.४९ - ५१ ) ।
यह ब्रह्माजी के सभा में रह कर उनकी उपासना करती थी ( म. स. ११.१३२) । अर्जुन जब इंद्रलोक की यात्रा के लिए गया था, तब उसकी रक्षा के लिए द्रौपदी ने इसका स्मरण किया था (म. व. ३८.१४९)।
२. ब्रह्मांड के अनुसार, व्यास की सामशिष्यपरंपरा के हिरण्यनाभ का शिष्य ।
३. (सो, बसु. ) एक राजा वायु के अनुसार, यह
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