Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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बाह्लीक
प्राचीन चरित्रकोश
बिल्व
शिखण्डिन् आदि के साथ इसका युद्ध हुआ था । अन्त में करवाया, जिससे उसे भी मुक्ति प्राप्त हुयी ( शिवपुराण
भीम ने इसका वध किया ( म. द्रो. १३२:१५ ) । महाभारत में इसका नाम बाह्रीक, बाहिलक, तथा बाह्निक इन तीन प्रकारों में उपलब्ध है ।
२. बाह्वीक देश में रहनेवाले लोगों के लिये प्रयुक्त सामुहिक नाम ( बाहीक देखिये; म. भी. १०.४५ ) ।
३. (सो. पूरु. ) एक राजा, जो भरतवंशीय कुरु राजा का पौत्र, एवं जनमेजय का तृतीय पुत्र था ।
४. एक राजा, जो शत्रुपक्षविनाशक महातेजस्वी 'अहर' के अंश से उत्पन्न हुआ था (म. आ. ६१.२५) । ५. कौरव पक्ष का एक योद्धा, जो क्रोधवश नामक दैत्य के अंश से उत्पन्न हुआ था ( म. आ. ६१.५५ ) ।
महाभारत में इसे 'बाह्लीकराज ' कहा गया है । द्रौपदीपुत्रों के साथ इसका युद्ध हुआ था ( म. द्रो. ७१.१२) ।
६. युधिष्ठिर के सारथि का नाम ( म. स. ५२.२० ) । ७. (किलकिला. भविष्य.) किलकिलावंशीय एक राजा । बिडाल – दैत्यराज महिषासुर का एक प्रधान । बिड़ालज -- अंगिराकुल के गोत्रकार 'विराडप' के नाम के लिए उपलब्ध पाठभेद ( विराडप देखिये) । बिडौजस्--देवी आदिति का पुत्र, जो उसे विष्णु के प्रसाद से प्राप्त हुआ था ( पद्म. भू. ३.५ ) ।
महात्म्य अ. ४ ) ।
बिन्दुमत् - ( स्वा. प्रिय. ) एक राजा, जो भागवत के अनुसार मरीचि एवं बिंदुमती का पुत्र है। इसकी पत्नी का नाम सरधा था, जिससे इसे मधुर नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था ।
बिन्दुमती - ( स्वा. प्रिय.) ऋषभदेव के वंश में उत्पन्न मरीचि राजा की पत्नी । इसके पुत्र का नाम बिन्दुमत् था । २. सोमवंशीय शशबिन्दु राजा की ज्येष्ठ कन्या, जो युवनाश्वपुत्र मांधाता की पत्नी थी। इसे 'चैत्ररथी' नामान्तर भी प्राप्त है। मांधाता राजा से इसे अंबरीष, पुरुकुत्स एवं मुचकुंद नामक तीन पुत्र उत्पन्न हुए ( वायु. ८८.७२ ब्रह्मांड ३.६३.७० ) ।
३. मदनपत्नी रति के अश्रुबिंदुओं से उत्पन्न एक कन्या, जिसे ' अश्रुबिन्दुमती' नामान्तर भी प्राप्त है । मदन का पुनर्जन्म होने के पश्चात् रति के आँखों में आनंदाश्रु झरने लगे । उनमें से दाये आँख से टपके हुए अश्रुओं से इसका जन्म हुआ ।
से
बड़ी होने पर इसका विवाह पूरुवंशीय ययाति राजा हुआ। गर्भवती होने पर, पृथ्वी के सारे लोकों में प्रवास करने की इसे इच्छा हुयी । फिर ययाति ने सारा राज्यभार अपना पुत्र पूरु पर सौंप कर, वह इसे पृथ्वीप्रदक्षिणार्थ ले गया ( पद्म भू. ७७-८२ ) । किन्तु
बिद -- भृगुकुल का एक गोत्रकार एवं मंत्रकार । बिन्दु--एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में से ययाति से उत्पन्न इसके पुत्र का नाम क्या था, इसका निर्देश अप्राप्य है ।
एक था ।
२. अंगिरसकुलोत्पन्न एक गोत्रकार ।
बिन्दुग- बाष्कलग्राम में रहनेवाला एक ब्राह्मण, जिसकी पत्नी का नाम चंचला था। यह वेश्यागामी एवं निकृष्ट विचारोंवाला था, अतएव इसकी सदाचरणी पत्नी चंचला भी इसके प्रभाव में आकर, कर्मों की ओर अग्रेसर हो, उसीमें लिप्त हो गयी । बिन्दुग को जब यह पता चला तो इसने उसके सामने यह शर्त रखी, 'तुम वेश्यावृत्ति का कर्म खुशी से अपना सकती हो, किंतु तुम्हे सारे पैसे मुझे देने होंगे'। इस शर्त को मान कर चंचुला पूर्ण रूप से वेश्या बन गयी। मृत्यु के उपरांत, दोनो विंध्य पर्वत पर पिशाच बने ।
बिन्दुसार - ( शिशु. भविष्य . ) एक शिशुनागवंशीय राजा, जो विष्णु के अनुसार क्षत्रौजस् का पुत्र था । जैन एवं बौद्ध वाङ्मय में निर्दिष्ट ' श्रेणिक बिंबिसार ' यही है । इसे विधिसार, विविसार एवं विंध्यसेन आदि नामान्तर प्राप्त थे ।
२. (मौर्य. भविष्य. ) एक मौर्यवंशीय राजा, जो विष्णु एवं भविष्य के अनुसार, पट्टण के चंद्रगुप्त राजा का पुत्र था । इसे वारिसार एवं भद्रसार नामान्तर भी प्राप्त थे ।
यह स्वयं बौद्धधर्मीय था, एवं पौरसाधिपति सुलून ( सेल्युकस निकेटर ) राजा की कन्या से इसने विवाह किया था (भवि. प्रति. २.७ ) 1
बिम्ब - (सो. वृष्णि. ) एक राजा, जो वसुदेव एवं भद्रा के पुत्रों में से एक था।
बिल्व - एक विष्णु भक्त, जो आगे चल कर शिवभक्त
बन गया ।
बाद को शिवपुराण के श्रवण तथा शिवभजन के कारण, चंचला पिशाचयोनि से मुक्त हुयी । उसके प्रार्थना करने पर, पार्वतीजी ने अपने पार्षद तुंबरू द्वारा विंध्य पर्वत पर पिशाची बिन्दुग को शिवकथा का श्रवण
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