Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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भद्रसेन
प्राचीन चरित्रकोश
भद्राश्व
भद्रसेन आजातशत्रव-एक राजा, जिसके नाश | भद्रा काक्षीवती-पूरुवंशीय व्युषिताश्व राजा की के लिए उद्दालक आरुणि नामक ऋषि ने अभिचाररूप | पत्नी, जो कक्षीवान् राजा की कन्या थी। यह अत्यंत ( वशीकरण) याग किया था ( श. ब्रा. ५.५.१४)। | रुपवती थी। पति के मृत्यु के बाद, उसके शव से इसे
भद्रसेनक-हैहय राजा भद्रश्रेण्य का नामान्तर | सात पुत्र पैदा हुए (म. आ. १२०.३३-३६)। (भद्रश्रेण्य देखिये)।
भद्राय--एक राजा, जो शिव का परम भक्त था । इसे सद्रा--कुबेर की प्रियपत्नी । कुन्ती ने द्रौपदी को दृष्टान्त
| कोढ़ था, जिस कारण इसे जीवित अवस्था में ही मृत्यु रूप में इसका वर्णन बताया था (म. आ. १९१.६)। ।
की यातना सहनी पडती थी। इसकी पत्नी का नाम २. विशालक नामक नरेश की कन्या, जिसका विवाह
कीर्तिमालिनी था। करुषाधिपति वसुदेव से हुआ था। चेदिराज शिशुपाल ने करुषराजा का वेष धारण कर, माया से इसका अपहरण
___ यह सोलह वर्ष का होने पर, इसके घर ऋषभ नामक कर लिया (म. स. ४२.११)।
शिवावतार अवतीर्ण हुआ। उसने इसे 'राजधर्म' का ३. श्रीकृष्ण की भगिनी सुभद्रा का नामांतर (म. आ.
उपदेश दिया, एवं प्रसाद के रूप में इसके मस्तक में
विभूति लगाया। शस्त्र के रूप में, उसने इसे खङ्ग एवं २११.१४)। . .
शंख दे कर, बारह सहस्र हाथियों का बल इसे प्रदान ४. सोम की कन्या, जो अपने समय की सर्वश्रेष्ठ सुंदरी
किया । उस शस्त्रास्त्रों के बल से, यह युद्ध में अजेय बन मानी जाती थी। इसने उचथ्य ऋषि को पतिरूप में प्राप्त
गया (शिवं. शत. ४.२७)। करने के लिये तीव्र तपस्या की थी। इसकी यह इच्छा जान कर, सोम के पिता अत्रि ऋषि ने उचथ्य को बला शिव के ऋषभ अवतार के शिवपुराण में प्राप्त वर्णन कर, उसके साथ इसका विवाह संपन्न कराया (म. अनु. | से, वह अवतार प्रवृत्तिमार्गीय प्रतीत होता है । १५४.१०-१२)। .
एक बार इसके राज्य में, शिव ने एक व्याघ्र का रूप पश्चात् वरुण ने इसका अपहरण किया, जिस कारण | धारण कर, एक ब्राह्मण के पत्नी का अपहरण किया। क्रोधित हो कर, इसके पति उचथ्य ने पृथ्वी का सारा . फिर इस प्रजाहितदक्ष राजा ने अपनी पत्नी उस ब्राह्मण जल प्राशन किया। फिर वरुण उसकी शरण में आया, को दान में दी, एवं यह स्वयं अभिप्रवेश के लिए सिद्ध एवं उसने भद्रा को अपने पति के पास लौटा दिया (म. हुआ। इसकी इस त्यागवृत्ति से संतुष्ट हो कर, शिव ने अनु. १५४.२८)।
इसे अनेकानेक वर प्रदान किये, एवं ब्राह्मण की पत्नी उसे . ५. वसुदेव की चार पत्नियों में से एक ( भा. ९.२४. लौटा दी (स्कंद. ३.३.१४)। २५)। वसुदेव की मृत्योपरांत, यह उसके साथ सती हो अपने पूर्वजन्म में, यह मंदर नामक राजा था, एवं गयी (म. मौ. ७.१८, २४)।
इसकी पत्नी कीर्तिमालिनी उसकी पिंगला नामक पत्नी थी ६. मेरु की कन्या, जो प्रियव्रत राजा के भद्राश्व नामक (स्कंद. ३.३.१२, ९.१४)। पौत्र की पत्नी थी (भा. ५.२.२३)।
भद्रावती--व्युषिताश्व की पत्नी भद्रा का नामांतर । ७. अत्रि ऋषि की पत्नी (ब्रह्मांड. ३.८.७४-८७)। भद्राश्व-(स्वा. प्रिय.) एक राजा, जो सुविख्यात
८. श्रीकृष्ण की एक पत्नी, जो केकयाधिपति धृष्टकेतु | सम्राट प्रियवत् का पौत्र, एवं अग्नीध्र का पुत्र था (म. शां. की कन्या थी। इसकी माता का नाम श्रुतकीर्ति था। १४.२४) । इसकी माता का नाम उपचित्ति था। मेरु भागवत में इसे वसुदेव की बहन, एवं श्रीकृष्ण की फफेरी की कन्या भद्रा इसकी पत्नी थी (भा. ५.२.१९)। बहन कहा गया है (भा. १०.५८.५६)।
इसका पिता अग्नीध्र जंबुद्वीप का सम्राट था । जंबुद्वीप का इसे एक कन्या एवं निम्नलिखित दस पुत्र थे:-संग्राम- जो भाग इसे प्राप्त हुआ, वह इसीके नामसे 'भद्राश्ववर्ष' जित् , बृहत्सेन, शूर, प्रहरण, अरिजित, जय, सुभद्र, वाम, नाम से प्रसिद्ध हुआ (म. भी. ७.११)। आयु एवं सत्यक (भा. १०.६१.१)।
२. (सू. इ.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो भागवत ___९. पूरुवंशीय परिक्षित् (प्रथम) राजा की पत्नी भद्रवती एवं महाभारत के अनुसार, कुवलाश्व राजा का पुत्र था। के लिये उपलब्ध पाठभेद (भद्रवती देखिये)। पाठभेद (भांडारकर संहिता)-'दृढाश्व'।