Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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भीमसेन
प्राचीन चरित्रकोश
भीमसेन
- चौथा दिन--भारतीय युद्ध के चौथे दिन, शल्य एवं कुंडलिन् , दीर्घलोचन, विराज, दीप्तलोचन, दीर्घबाहु, धृष्टद्युम्न का घमासान युद्ध हुआ, जिसमें उन दोनों की सुबाहु, एवं कनकध्वज (मकरध्वज) (म. भी. ९२.२६)। सहायता करने के लिए उनके दस दस सहायक थे। नौवाँ दिन--युद्ध के नौवें दिन कौरवपक्षीय भगदत्त उन सहायकों में शल्य के पक्ष में दुर्योधन, एवं द्रुपदपुत्र | एवं श्रुतायु राजा ने अपने गजदल की सहायता से भीम धृष्टद्यम्न के पक्ष में भीम प्रमुख था। युद्ध के प्रारम्भ होते | को घेर कर वध करने का प्रयत्न किया। किन्तु भीम ने सारे ही, भीम ने दुर्योधन पर आक्रमण किया, एवं दुर्योधन गजदल के साथ उन्हें परास्त किया (म. भी. ९८)। की समस्त गजसेना का संहार किया।
____ दसवाँ दिन--युद्ध के दसवें दिन, भीम को एक साथ दुर्योधन की आज्ञा से उसकी सारी सेना ने पुनः भीम | ही दस राजाओं के साथ युद्ध करना पड़ा, जिनके नाम इस पर धावा बोल दिया, किन्तु भीम ने उस सारी सेना का प्रकार थे:--भगदत्त, कृप, शल्य, कृतवर्मा, आवंत्य बंधु, संहार किया। कौरवसेना की यह दुरवस्था देखकर जयद्रथ, चित्रसेन, विकर्ण एवं दुर्मर्षण । किन्तु यह इस उनके सेनापति भीष्म ने स्वयं भीम पर आक्रमण किया | युद्ध में अजेय रहा। (म. भी. ५९.२१)। उसी समय सात्यकि ने भीष्म पर उसी समय शिखण्डी को आगे कर, अर्जन भीष्म पर हमला किया, एवं यह सुअवसर देखकर भीम पुनः एक आक्रमण कर रहा था कि, यह दूसरी ओर से हट कर बार दुर्योधन से भिड़ गया। इस युद्ध में दुर्योधन ने एक अर्जुन की सहायता के लिए आ पहुँचा। दोनो ने बाण भीम की छाती में मारकर इसे घायल कर दिया। मिल कर भीष्म पर जोर-शोर के साथ युद्ध करना आरम्भ मूर्छा से उठते ही, भीम ने अद्भुत पराक्रम दिखाकर किया। इस युद्ध में अर्जुन ने अपने भीषण बाणों से भीष्म निम्नलिखित धृतराष्ट्रपुत्रों का वध किया :-- सेनापति, के सारे शरीर को बिंधा दिया (म. भी. १०९.७)। जलसंध, सुषेण, उग्र, वीरबाहु, भीम, भीमरथ एव ग्यारहवाँ दिन--युद्ध के ग्यारहवें दिन, अभिमन्यु ने सुलोचन (म. भी. ५८-६०)।.
शल्य के सारथि का वध किया, जिससे क्रोधित हो कर . छठवा दिन-भारतीय युद्ध के छठवे दिन, भीम ने शल्य ने उसे गदायुद्ध के लिए चुनौती दी। किन्तु 'अत्यधिक पराक्रम दिखा कर शत्रुओं का अपने गदा अभिमन्यु को हटा कर भीम स्वयं उससे गदायुद्ध करने • से इस प्रकार विनाश किया, जैसे कोई हसिये से घास लगा। इस युद्ध में भीम ने शल्य को युद्ध में मूञ्छित • काटता है, अथवा कोई डंडे से मिट्टी के ढेले फोड़ता है। किया (म. द्रो. १३)। किन्तु इस युद्ध में यह असंख्य बाणों से घायल होकर
| चौदहवाँ दिन-युद्ध के चौदहवें दिन, अर्जुन जयद्रथ इतना बिंध गया, कि द्रुपदपुत्र ने इसे अपने रथ में
| का वध करने के लिए गया। किन्तु उसे काफी समय लग उठाकर शिबिर में वापस लाया (म. भी. ७३.३६-
जाने के कारण, युधिष्ठिर ने अर्जुन की रक्षा के लिए भीम
- ३७)।
को भेजा। अर्जुन की सहायता के लिए जब यह आगे माठवा दिन-युद्ध के आठवे दिन, भीष्म अत्यधिक | बढा, तब इसे सत्रह राजाओं ने उस तक पहुँचने में संतप्त हो कर युद्धभूमि में आया, किन्तु रणांगण में प्रवेश | बाधा डाली । इसने उन सभी को परास्त किया, करते ही भीम ने उसके सारथी को मार डाला, जिस जिनके नाम निम्नलिखित थे:-दुःशल, चित्रसेन, कारण भीष्म का रथ इधर उधर भागने लगा।
कुंडभेदिन् , विविंशति, दुर्मुख, दुःसह, विकर्ण, शल, विंद, पश्चात्, धृतराष्ट्रपुत्र सुनाम का भीष्म ने वध किया, | अनुविंद, सुमुख, दीर्घबाहु, सुदर्शन, वृंदारक, सुहस्त, जिस कारण संतप्त होकर धृतराष्ट्र के सात पुत्रों ने भीम पर सुषेण, दीर्घलोचन, अभय, रौद्रकर्मन् , सुवर्मन् एवं आक्रमण किया, जिनके नाम इस प्रकार थे:-आदित्यकेतु, बह्वाशी, कुंडधार, महोदर, अपराजित् , पंडितक, आगे चल कर. कौरवसेनापति द्रोण स्वयं इसके मार्ग में एवं विशालाक्ष । किंतु भीम ने इन धृतराष्ट्रपुत्रों का वध | बाधक बन कर उपस्थित हुआ। इसका एवं द्रोण का उग्र किया (म. भी. ८४.१४-२८)।
| वादविवाद हुआ, एवं बाद को द्रोण से चिढ़ कर इसने इसी दिन संध्या के समय भीम ने निम्नलिखित धृतराष्ट्र- | उनका रथ भग्न किया। आगे चल कर, इसने दुःशासन पुत्रों का वध किया:-अनाधृष्टि, कुंडभेदिन, वैराट, | को पराजित किया, एवं कुंडभेदी, अभय एवं रौद्रकर्मन्
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