Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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पुष्टि
सुवदेव राजा का पुत्र था एवं इसकी माता का नाम मदिरा था।
प्राचीन चरित्रकोश
४. धर्मसावर्णि मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक। पुष्टिगु काण्व - एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ. ८, ५०) । ऋग्वेद के 'बालखिल्य सूक्त' में इसका निर्देश प्राप्त है (ऋ. ८.५१.१ ) ।
पुष्टिद मार्कंडेय पुराण के अनुसार, इक्तीस - पितृगणों में से एक (मार्के ९२ ९४ पितर देखिये) ।
पुष्टिमति - भरत नामक अभि का नामांतर | यह | संतुष्ट होने पर पुष्टि प्रदान करता है, इस कारण इसका नाम 'पुष्टिमति' है (म.व. २११.१ ) ।
पुष्प (सु.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा विष्णु के अनुसार, यह हिरण्यनाभ राजा का पुत्र था। इसे ' पुष्य ' नामांतर भी प्राप्त था ( पुण्य देखिये ) |
२. कश्यपवंशीय एक नाग (म. उ. १०१.१३) | पुण्पदंष्ट्र- - एक नाग, जो कश्यप एवं कद्रू का पुत्र
था ।
पुष्पदंत - विष्णु का एक पार्षद ( भा. ९. २१.
१७) ।
२. एक गन्धर्व, जिसके पुत्र का नाम माल्यवान था (पद्म, उ. ४३) । देवी भागवत के अनुसार, यह 'शिवमहिम्न स्तोत्र' का रचयिता था (दे. भा. ९.२० ) ।
३. एक रुद्रगण (प. उ.१२ ) ।
४. मणिवर एवं देवनी के 'क' पुत्रों में से एक ।
५. पार्वती द्वारा कुमार कार्तिकेय को दिये गये तीन पार्षदों में से एक अन्य दो पार्षदों के नाम उन्माद
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एवं ' शंकुकर्ण थे ( म. श. ४४.४७ ) । पुष्पदंती - चित्रसेन गंधर्व की नातिन एक बार इन्द्र की सभा में, यह एवं माल्यवत् गंधर्व अन्य देवगंधर्वों के साथ नृत्य कर रहे थे । नृत्य के बीच में ही माल्यवत् के रूप पर मुग्ध हो जाने के कारण, यह तालस्वर से अलग नृत्य करने लगी । इस कारण क्रुद्ध होकर इन्द्र ने इन दोनों को पिशाच हो जाने का शाप दिया।
पश्चात् 'जया' नामक एकादशीव्रत करने के कारण, ये दोनो इन्द्रशाप से मुक्त होकर स्वर्ग में फिर शामिल हो गये (पद्म. उ. ४३; माल्यवत् देखिये) ।
पुष्पधन्वन -- रति का पति, कामदेव का नामांतर पुष्प का धनुष धारण करने के कारण, कामदेव को यह नामांतर प्राप्त हुआ।
पुष्पोत्कटा
पुष्पशस् अदवजि - एक वैदिक आचार्य, जो संकर गौतम नामक ऋषि का शिष्य था। इसका शि भद्रशर्मन्था (वं. बा. ३ ) |
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पुष्पवत् - (सो. ऋक्ष) महाभारत के अनुसार, एक पृथ्वीशासक राजा अत्यधिक पराक्रमी एवं अजेय होकर भी, अन्त में इसे मृत्यु का मुख देखना पड़ा (म. शां. २२०.५०-५५ ) ।
भागवत, विष्णु एवं वायु के अनुसार, यह ऋषभ राजा का पुत्र था ।
पुष्पवाहन - रथंतर कल्प का एक राजा । इसकी पत्नी का नाम लावण्यवती था, जिसके दस हज़ार पुत्र थे ।
पूर्वजन्म में यह व्याध था । ' द्वादशीव्रत करनेवाली अनंगवती नामक वेश्या को विष्णु-पूजन के लिये इसने कमल के फूल भक्ति भाव से प्रदान किये थे। इसी पुण्य के कारण, अगले जन्म में इसे पुष्पवाहन राजा की योनि प्राप्त हुयी ।
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भृगुऋषि ने पुष्पवाहन राजा को इसके पूर्वजन्म की कथा को बताकर इससे इस जन्म में भी द्वादशीत करने को कहा, जिससे मुक्ति की प्राप्त हो सके (पद्म. स. २० )
पुष्पातन - एक यक्ष, जो कुबेर की सभा में रहकर उसकी उपासना करता था ( म. स. १०.१७ ) ।
पुष्पान्वेषि- अंगिराकुल में उत्पन्न एक गोत्रकार पुष्पण (स्वा. उत्तन. ) एक राजा, जो सुविख्यात बालयोगी ध्रुव राजा का पौत्र था। इसके पिता का नाम वत्सर, एवं माता का नाम स्वर्वीथी था । यह अपने छ । भाइयों में ज्येष्ठ था।
इसके प्रभा एवं दोषा नामक दो पत्नियों थी प्रमा से इसे प्रातः, सायं, एवं मध्याह्न, तथा दोषा से प्रदोष, निशीथ और • व्युष्ट नामक पुत्र उत्पन्न हुए ( भा. ४. १३.. १२-१४ ) |
पुष्पोत्कटा एक अतिसुन्दरी राक्षसकन्या जो सुमालि राक्षस की पुत्री थी। इसकी माता का नाम केतुमती था ( वा. रा. उ. ५.४० ) ।
इसके पति का नाम विश्वस् था, जिससे इसे रावण एवं कुंभकर्ण नामक पुत्र हुये थे । कुवेर ने इसे विश्रवस् की सेवा में नियुक्त किया था । यह गायन एवं नृत्य में निपुण थी (म.व. २५९७ ) ।
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