Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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प्रद्युम्न
प्राचीन चरित्रकोश
प्रद्युम्न--एक राजा, जो चक्षुर्मनु के बारह पुत्र में से |
मिलने गया (विष्णु. ५.२६, ह. वं. २.१०४-१०७; भा. एक था। इसकी माता का नाम नवला (भा. ४.१३.
'| १०.५५)। १६)। इसे 'सुद्युम्न' नामांतर भी प्राप्त है।
हरिवंश में, यह कथा कुछ इसी प्रकार दी गयी है, २. (सू. निमि.) एक राजा, जो वायु के अनुसार
अन्तर केवल इतना है कि, शंबरासुर ने शिशु प्रद्युम्न को भानुमत् राजा का पुत्र था।
समुद्र में न फेंक कर, उसे मायावती को दे दिया, क्योंकि ३. (सो. क्रोष्टु.) एक सुविख्यात यादव राजा, जो सनत्कुमार के अंश से भगवान् कृष्ण को रुक्मिणी से
निःसंतान होने के कारण वह दुःखित थी।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में प्राप्त कथा हरिवंश से मिलती उत्पन्न हुआ था (म. आ.६१.९१)। यह श्रीकृष्ण का तीसरा स्वरूप माना जाता है (म. अनु. १५८.३९)।
| जुलती है। अन्तर केवल इतना है कि, प्रद्युम्न के बड़े हो
जाने पर एक दिन सरस्वती मायावती के पास आयी पूर्वजन्म-यह मदन का अवतार था, जिसने . और उसने ही शंबरासुर के पूर्व कुकृत्यों का लेखा जोखा शंबरासुर का वध करने के लिए रुक्मिणी की कोख में
प्रद्युम्न तथा मायावती के सम्मुख प्रस्तुत किया उस कारण जन्म लिया था। शंबरासुर की पत्नी मायावती, पूर्वजन्म
प्रद्युम्न ने शंबरासुर का वध किया (ब्रह्मवै. ४. ११२)। में इसकी पत्नी रति थी। पूर्वजन्म में मदन की मृत्यु के उपरांत, इसकी पत्नी रति को शंबरासुर भगा लाया, इसी
प्रद्युम्न-शाल्व युद्ध--प्रद्युम्न यादव सेना का महारथि का बदला लेने के लिए इसे अवतार लेना पड़ा।
था (भा. १०. ९०.३३)। कृष्ण ने राजसूय यज्ञ में
शिशुपाल का वध किया था। उससे क्रुद्ध होकर अपने बाल्यकाल--शंबरासुर को जैसे ही ज्ञात हुआ कि
मित्र शिशपाल का बदला लेने के लिए, शाल्व ने बड़े जोर मदन ने उसका वध करने के हेतु प्रद्युम्न के रूप में रुक्मिणी
शोर से कृष्ण की द्वारका पर चढ़ाई कर दी। युद्ध की के उदर में जन्म लिया हैं, वह तत्काल सूतिकागृह में जा
विकरालता को देख कर, यादवसेना घबरा गयी। तब इसने कर छः दिन के शिशु प्रद्युम्न को लेकर भागा, तथा इसे
यादवसेना का नेतृत्व कर बड़े पराक्रम के साथ शाल्व का ले जाकर समुद्र में फेंक कर निश्चिंत हो गया। दैवयोग
मुकाबला किया (म. व. १६. ३०-३२, म. व. १७)। से, इसे एक मछली ने निगल लिया, तथा यह वहाँ
युद्ध करते करते यह युद्धभूमि में मूर्छित हो गया (म.व. उसके पेट में भी जीवित रहा। यह मछली एक मछुए
| १७. २२)। इसका सारथि सूतपुत्र दारुक इसे रणभूमि को मिली। मछुए ने अच्छी मछली देखकर उसे शंबरा
से हटा कर ले गया (म. व. १८.३)। ठीक हो जाने सुर को भेंट की।
पर, यह पुनः युद्धभूमि में आ उठा, और घमासान शंबरासुर हँसी-खुशी घर आया तथा उक्त मछली को | युद्ध करके अपने शत्रुनाशक अद्भुत बाण से शाल्व को अपनी स्त्री मायावती को दे दी। जैसे ही मायावती ने | परास्त किया (म.व. १५.१६.२०;भा. १०.७६.१३)। मछली काटी वैसे ही उसमें एक दिव्य बालक को देखकर वह | युधिष्ठिर द्वारा किये गये अश्वमेध यज्ञ में, इसने उसकी आश्चर्यचकित हो गयी, एवं उसके मन में विभिन्न शंकाएँ | काफी सहायता की थी, और यह हस्तिनापुर आया था उठने लगी। उसी क्षण भ्रमण करते हुए नारद वहाँ आ | (म. आश्व. ६५.३)। यही नहीं, अश्वरक्षण के लिए यह पहुँचे तथा उन्होने मायावती की शंका का समाधान करते | ससैन्य अर्जुनादि के साथ देशविदेश गया था (जै. अ. हुए कहा, 'यह दिव्य बालक साधारण न होकर साक्षात् | १२)। मदन है, जिसने इस जन्म में रुक्मिणी के उदर में जन्म | कालान्तर में, यादववंशीय लोग आपस में एक दूसरे से लिया है। पूर्वजन्म में तुम इसकी पत्नी रति, थीं, अतः | लड़ने लगे, जिससे कि उनमें वह शक्ति न रह गयी जो तुम इसकी सेवा करो। यह तुम्हारा पति है।'नारद के | पूर्व थी। मौसल युद्ध में उनका भोजों के साथ युद्ध हुआ, वचनों का विश्वास करके, मायावती अत्यधिक आनन्दित | जिसमें प्रद्युम्न की मृत्यु हो गयी (म. मौ. ४.३३; भा. हुयी। उसने बालक प्रद्यम्न को पाल-पोस कर बड़ा किया, | ११.३०.१६; गणेश. १.४९)। मृत्योपरांत यह सनतथा सारी विद्याओं में उसे पारंगत कराया। कालान्तर में. | कुमार के स्वरूप में प्रविष्ट हो गया (म. स्व. ५.११)। बड़े होने के बाद इसका और शंबरासुर का युद्ध हुआ, | परिवार--इसे- शतद्युम्न नामांतर भी प्राप्त है । जिसमें इसने शंबरासुर का वध किया। पश्चात् अपनी | मायावती के अतिरिक्त, रुक्मिन् की कन्या रुक्मवती अथवा भार्या को पुनः प्राप्त कर, यह उसके साथ रुक्मिणी से | शुभांगी इसकी दूसरी पत्नी थी (भा. १०.६१.१८;
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