Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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बहुदन्ती
प्राचीन चरित्रकोश
बाण
बहुदन्ती-वैवस्वत मन्वन्तर के पुरन्दर नामक इंद्र की बहुविध--(सो. पूरु.) पूरुवंशीय बहुगव राजा का माता। पुरन्दर द्वारा वास्तुशास्त्र पर एक ग्रंथ लिखा गया | नामान्तर (बहुगव देखिये)। मत्स्य में इसे धुंधु राजा है, जिसमें उसने स्वयं को बाहुदन्तक नाम से अपना | का पुत्र कहा गया है। निर्देश किया है (पुरन्दर देखिये)।
बहुवीति-अंगिराकुलोत्पन्न एक गोत्रकार। बहुदंष्ट्र-रावण के पक्ष का एक राक्षस (वा. रा. सु.६)। बहिक--अथर्ववेद में निर्दिष्ट किसी जाति के लोगों
बहुदामा-स्कंद की अनुचरी मातृका (म. श. | का सामूहिक नाम, जो मूजवन्त एवं महावृष लोगों के ४५. १०)।
तरह उत्तरी प्रदेश में रहते थे। अथर्ववेद में ज्वर (तक्मन्) बहपुत्र-एक प्रजापति, जो ब्रह्मा के मानसपुत्रों में | को इन तीन लोगों के प्रदेश में स्थानांतरित होने का से एक था ( वायु. ६५.५३ )।
आवाहन किया गया है (अ. वे. ५.२२)। इस निर्देश २. (सो. कुकुर.) एक राजा, जो तित्तिर राजा का | से प्रतीत होता है कि, ये सारे लोग वैदिक आर्यों के विपक्ष पुत्र था। इसके पुत्र का नाम नरि था।
में थे। बहुपुत्रिका-स्कंद की अनुचरी मातृका (म. श. ब्लूमफिल्ड के अनुसार, बलिक शब्द से 'बहिस'
| याने किसी बाहर से आये गये लोगों का संकेत किया ' बहुमूलक--एक नाग, जो कश्यप एवं कद के पुत्रों जाता है। में से एक था (म. आ. ३१.३७६%)। .
बहिक प्रातिपीय-एक कुरुवंशी राजा, जो संजय । बहुयोजना-स्कंद की अनुचरी मातृका (म. श.
| राजा दुष्टरीतु पौस्यायन का विरोधक था (श. ब्रा. १२.
९.३.३)। दुष्टरीतु अपना वंशानुगत राज्यपद प्राप्त
न कर सके, इसलिये इसने काफी प्रयत्न किये। किन्तु .. बहुरथ-- (सो. द्विमीढ.) एक राजा, जो भागवत
रेवोत्तरस् पाटव चाक्र स्थपति इन मित्र की सहाय्यता , के अनुसार रिपुञ्जय राजा का पुत्र था। यह द्विमीढ वंश
से दुष्टरीतु ने राज्यपद प्राप्त कर ही लिया। का अन्तिम राजा माना जाता है । विष्णु में इसे बृहद्रथ,
| महाभारत में इसका निर्देश बाहीक नाम से किया गया । मत्स्य में विरथ, एवं वायु में वीररथ कहा गया है।
है, एवं इसे प्रतीप राजा का पुत्र, तथा शंतनु एवं देवापि बहुरूप-एकादश रुद्रों में से एक (म. शां. २०१.१९)।
राजा का भ्राता कहा गया है (म. आ. ९०. ४६; २. (स्वा. प्रिय.) एक राजा, जो प्रियव्रत राजा का
बाह्रीक देखिये)। पौत्र, एवं मेधातिथि राजा का पुत्र था। बाल--एक नाग, जो कश्यप एवं कद्दू के पुत्रों में से
बह्वाशिन--(सो. कुरु.) धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों में
से एक। यह भीम के द्वारा मारा गया (म. भी. ८४.२८)। एक था। वायु में इसे प्रजापति कहा गया है (वायु. बहीच--एक राक्षस, जो कश्यप एवं क्रोधा के पुत्रों
में से एक था। २. तालजंघ वंश का एक कुलांगार राजा, जिसके
| बाडभीकार (वाडवीकार)-एक वैयाकरण, • दुर्वर्तन के कारण तालजंघ वंश का नाश हुआ (म. उ. | जिसके द्वारा वर्णविकार के सम्बंध में मत प्रतिपादित है ७२.१३)।
(तै. प्रा. १४. १३)। बहुलध्वज-- रत्ननगरी के ताम्रध्वज राजा का प्रधान।। बाडेयीपुत्र--एक आचार्य, जो बृहदारण्यक उप
बहला-विदुर नामक वेश्यागामी ब्राह्मण की पत्नी। निषद् के अनुसार, मौषिकीपुत्र का शिष्य था (बृ. उ. अपने पति की मृत्यु के पश्चात्, इसने गोकर्ण क्षेत्र में | ६.४.३० माध्य.)। इसके शिष्य का नाम गर्गीपुत्र था । पुराणश्रवण का पुण्यकर्म किया, जिसके कारण पापी विदुर | (श. ब्रा. १४. ९.४. ३०)। मुक्त हुआ (स्कंद. ३. ३. २२)।
बाण--एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में बहुलाश्व-(सू. निमि.) एक निमिवंशीय राजा, | से एक था। जो धृति जनक राजा का पुत्र था । श्रीकृष्ण इससे मिलने | २. एक सुविख्यात असुर, जो असुर राजा बलि वैरोचन आया था। इसके पुत्र का नाम कृति जनक था (भा. | का पुत्र था । शिव का पार्षद होने के कारण, इसे महाकाल १०.८६. १६)।
नामान्तर भी प्राप्त था (म. आ ५९.२०-२१)। पन में
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