Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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प्रभावती
प्राचीन चरित्रकोश
प्रमति
तपस्या करती थी। यह सीता की खोज में गये वानरों से । | ९. शुक ऋषि का पीवरी से उत्पन्न एक पुत्र, जिसे मिली थी।
पृथु नामांतर भी प्राप्त है। २. यौवनाश्व राजा की पत्नी।
प्रभुवसु आंगिरस--एक वैदिक सूक्तद्रष्टा (ऋ.५ ३. चंपकनगरी के राजा हंसध्वज के पुत्र सुधन्वन् | ३५-३६; ९. ३५. ३६)। की पत्नी।
प्रभुसुत--इक्ष्वाकुवंशीय प्रसश्रत राजा का नामांतर ४. अंगराज चित्ररथ की पत्नी, जो सुविख्यात ऋषि (प्रसुश्रुत देखिये)। देवशर्मन् की पत्नी रुचि की बड़ी बहन थी (म. अनु. प्रभूति-मरीचिगर्भ देवों में से एक । ४२.८)। इसने अपनी बहन रुचि से दिव्य पुष्प मँगवा | प्रभोज्य--एक वानर, जो राम के पक्ष में शामिल . देने के लिए अनुरोध किया था, जो देवशर्मन् ने अपने | था (वा. रा. उ. ३६.४८)। शिष्य विपुल द्वारा पूरा किया (म. अनु. ४२.१०)। प्रमगंद नैचाशाख-ऋग्वेद में निर्दिष्ट कीकट
५. मयासुर के पुत्र बल नामक दैत्य की पत्नी (बल ८. लोगों का राजा, जो सुदास राजा का शत्रु था (ऋ. ३.५३ देखिये)।
| १४) । प्रमगंद नाम से यह कोई अनार्य राजा प्रतीत होता ६. वज्रनाभ नामक दानव की कन्या। वज्रनाभ का है। इसकी नैचाशाख' (नीच जाति में उत्पन्न ) उपाधि वध कर कृष्णपुत्र प्रद्युम्न ने इससे विवाह किया था (ह. | भी इसी ओर संकेत करती है। वं. २.९०-९७)।
सायण के अनुसार, नैचाशाख से किसी स्थान के ७. स्कंद की अनुचरी मातृका (म. श. ४५.३)।
नाम के सम्बन्ध की ओर संकेत मिलता है। यास्क ने
नाम क सम्बन्ध का आर सकत मिलता। ८. सूर्य देव की पत्नियों मे से एक (म. उ. ११५.८)। निरुक्त में इसे कुसीदकपुत्र कहा है (नि. ६.३२)।
सम्भव है, इसके नाम प्रमगंद से ही मगध शब्द का प्रभास--एक वसु, जो धर्म का पुत्र था । इसकी
निर्माण हुआ। माता का नाम प्रभाता था (म. आ. ६०.१९) । विष्णु में, इसके पुत्र निम्नलिखित बताये गये हैं:--विश्वकर्मन्
प्रमतक-एक ऋषि, जो जनमेजय के 'सर्पसत्र' कर (प्रजापति), अजैकपात्, अहिर्बुध्न्य, रुद्र, हर, बहुरूप,
सदस्य था (म. आ. ४८.७)। पाठभेद (भांडारकर त्र्यम्बक, अपराजित, बृषाकपि, शम्भु, कपर्दिन्, रेवत्,
| संहिता)-'शमठक'। मृगव्याध, शर्व एवं कपालिन् (विष्णु. १. १५)। इन | प्रमति-विष्णु का एक अंवतार, जो चाक्षुष मन्वन्तर पुत्रों में से विश्वकर्मन नामक पुत्र इसे बृहस्पति की बहन | के कलियुग नामक अन्तिम युग में चंद्र का पुत्र, हुआ वरस्त्री ( भुवना) से उत्पन्न हुआ था (म. आ. ६०. | था (मत्स्य. १४४.६०)। २६; ब्रह्मांड. ३.३.२१-२९)।
२. प्रयाग के शूर नामक ब्राह्मण का पुत्र, जिसे २. स्कंद का एक सैनिक (म. श. ४४.५९)। इसके
सेनापति बना कर कृतयुग के अंतिम चरण में ब्राह्मणों ने नाम के लिये 'प्रवाह' पाठभेद उपलब्ध है।
क्षत्रियों को परास्त किया था ( विष्णु धर्म १.७४)। ३. सुतप देवों में से एक।
३. विभीषण के चार अमात्यो में से एक (वा. रा. प्रभु-दक्षयज्ञ के ऋत्विज भग नामक ऋषि को सिद्धि यु. ३७.७)। नामक पत्नी से उत्पन्न पुत्र (भा. ६. १८.२)। ४. च्यवन ऋषि का पुत्र, जिसकी माता का नाम
२. स्कंद का एक सैनिक (म. श. ४४.५८)। इसके | सुकन्या था (म. आ. ५.७)। महाभारत में अन्य नाम के लिये 'वासुप्रभ' पाठभेद उपलब्ध है। स्थान पर, इसे वीतहव्य के पुत्र गृत्समद के कुल में ३. तुषित देवों में से एक।
जन्म लेनेवाले वागीन्द्र का पुत्र बताया गया है (म. ४. साध्य देवों में से एक।
अनु. ३०.५८-६४)। इसे प्रमिति नामांतर भी प्राप्त हैं ५. सुमेधस देवों में से एक ।
(म. आ.८.२ अनु. ३०.६४)। ६. अमिताभ देवों में से एक ।
घृताची नामक अप्सरा से इसे रुरु नामक पुत्र उत्पन्न ७. ब्रह्मसभा का एक ऋषि ।
हुआ था (म. आ. ५.६-७)। स्थूलकेश मुनि की कन्या ८. अंगिराकुल का एक गोत्रकार |
| प्रमद्वारा से इसने रुरु का विवाह कराया था (म. आ.
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