Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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पृथुलाक्ष
प्राचीन चरित्रकोश
पृश्निमेधस्
पृथुलाक्ष--(सो. अनु.) एक अनुवंशीय राजा, जो | भागवत में इसे रुचिराश्व राजा का नाती एवं पार राजा चतुरंग राजा का पुत्र था। इसके चार पुत्र थे, जिनके नाम बृहद्रथ, बृहत्कर्मन् , बृहद्भानु और चंप थे (भा. ९. | २. (सो. अनु.) मत्स्य के अनुसार अंगराज कर्ण का २३. ११; म. स. ८.९)। पाठभेद (भांडारकर संहिता) | पुत्र (मत्स्य. ४८)। किन्तु अन्यत्र इसका नाम अप्राप्य -'पृथ्वक्ष।
पथवक्त्रा--स्कंद की एक अनचरी मातृका (म. श. प्रशिन--सविता नामक आदित्य की पत्नी (भा. ६. ४५.१८)। इसके नाम के लिए 'पृथुवक्षा' एवं | १८१.)। 'पृथुवस्त्रा' पाठभेद उपलब्ध हैं।
२. मरुतों की माता। इसे देवी मान कर ऋग्वेद की प्रथवेग--एक राजा, जो यम की सभा में उपस्थित कई ऋचाओं की रचना की गयी है (ऋ.६.४८.२१था (म. स. ८.१२) । पाठभेद (भांडारकर संहिता)- २२)। 'पंचहस्त।
३. स्वयंभुव मन्वंतर के सुतपा प्रजापति की पत्नी । पृथुश्याम--पृथुग्रीव नामक राक्षस का नामांतर। इसीने कृष्णावतार में देवकी के रुप में जन्म लिया था प्रथश्रवस --दक्ष सावाणि मन के पत्रों में से एक । (भा. १.३.३२) । इसके उदर से कृष्ण का जन्म हुआ २. (सो. क्रोष्टु.) एक यादववंशी राजा । विष्णु,
था । अतएव कृष्ण को 'पृश्निगर्भ' भी कहा जाता है
| (पृश्निगर्भ देखिये)। • मत्स्य और वायु के अनुसार, यह शशबिन्दु राजा का तथा भागवत के अनुसार महाभोज राजा का पुत्र था।।
। ४. (सो. वृष्णि.) एक यादव राजा, जो वायु और पद्म में इसे शशबिन्दु राजा का नाती कहा गया है
विष्णु के अनुसार, अनमित्र राजा का पुत्र था। इसे (पा. स. १३) . .
वृष्णि और वृषभ नामांतर भी प्राप्त थे। .. ३. द्वैतवन में पांडवों के साथ रहनेवाला ऋषि । यह ५. एक प्राचीन महर्षियों का समूह, जिन्होंने द्रोणाचार्य युधिष्ठिर का बड़ा सम्मान करता था (म. व. २७.२२)।
के पास आकर उनसे युद्ध बंद करने को कहा था ४. एक राजा, जो पुरुवंशीय राजा अयुतनायी की पत्नी
| (म. द्रोण. १६४.८८)। इन्होंने स्वाध्याय के द्वारा स्वर्ग कामा का पिता था (म. आ. ९०.२०)। यह यमसभा प्राप्त किया था (म. शां. परि. १.४.१३)। मैं रहकर यम की उपासना करता था (म. स.८.१२)। पृश्निगर्भ--भगवान् श्रीकृष्ण का नामांतर | श्रीकृष्ण
५. स्कंद का एक सैनिक (म. श. ४४.५७)। की माता देवकी पूर्वजन्म में सुतपा प्रजापति की पत्नी पृश्नि
६. एक नाग, जो बलराम के स्वागतार्थ प्रभासक्षेत्र थीं। उसी का पुत्र होने के कारण कृष्ण को पृश्निगर्भ :: 'मैं.आया था (म. मौ. ५.१४)।
कहते हैं । यह त्रेतायुग का उपास्य देव है, जो कि विष्णु . पृथुश्रवस् कानीत--एक उदार दाता, जो वश अश्व्य का अवतार माना जाता है (भा. १०.३.३५, ११.५. नामक ऋषि का आश्रयदाता था (ऋ. ८.४६.२१)। २६)। अश्विनी कुमारों ने इस पर कृपा की थी (ऋ.१.११६. महाभारत के अनुसार,-अन्न, वेद, जल और अमृत २१)।
को पृश्नि कहते हैं । ये सारे तत्त्व भगवान् श्रीकृष्ण के पृथुश्रवस् दौरेश्रवस--एक ऋषि, जो सर्पसत्र में गर्भ में रहते हैं, इसलिये उसका नाम पृश्निगर्भ पड़ा। 'उद्गातृ' नामक पुरोहित का काम करता था (पं. बा.| इस नाम के उच्चारण से त्रित मुनि कूप से बाहर हो गये २५.१५.३)। 'दूरेश्रवस्' का वंशज होने के कारण, | थे (म. शां. ३२८.४०)। इसे दौरेश्रवस उपाधि प्राप्त हुयी होगी।
पृश्निगु--अश्विनियों के अश्रित राजाओं में से एक पृथषेण-(स्वा. प्रिय.) एक राजा, जो विभु राजा | (ऋ.१.११२.७)। पुरुकुत्स और शुचन्ति राजाओं के का पुत्र था। इसकी स्त्री का नाम आकुति तथा पुत्र का | साथ इसका निर्देश ऋग्वेद में प्राप्त है। नाम नक्त था (भा.५.१५.६)।
२. गेल्डनर के अनुसार, एक वैदिक जाति का सामूहिक • पृथुसेन--(सो. अज.) एक राजा। विष्णु, मत्स्य, नाम (क्र.७.१८.१०)। तथा वायु के अनुसार यह रुचिराश्व राजा का पुत्र था।। पृश्निमेधस्--सुमेधस् देवों में से एक ।