Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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नचिकेतस्
प्राचीन चरित्रकोश
पक्षीयों को यह
४.१-२)।
उत्पन्न हुई थी। यह
नाचिकेत तत्काल मृत हो गया। पुत्रमृत्यु के कारण, ५१)। एक बार यह गुप्त रूप से वसुदेव से मिला भी था उद्दालकि अत्यंत शोकाकुल हुआ, एवं उसी शोकमग्न (भा. १०.४६.२७-३०)। स्थिति में वह दिन तथा रात्रि इसने बिताई । दूसरे दिन श्रीकृष्ण बहुत वर्षों तक नंद गोप के घर रहा था । नाचिकेत यमगृह से वापस आया एवं उसने यम के एक बार यह पानी में डूब रहा था। किंतु कृष्ण ने द्वारा बताया गया 'गोदानमाहात्म्य' अपने पिता को इसे बाहर निकाला (भा. १०.२८.२-९)। यह स्यमन्तबताया । 'गोदानमाहात्म्य' बताने के लिये, नाचिकेत की | पंचक क्षेत्र में कृष्ण से मिलने गया था (भा. १०.८२. यह पुरानी कथा 'महाभारत' में भीष्म ने युधिष्ठिर को ३१)। यह हरसाल 'इंद्रयाग' नामक इंद्र का उत्सव करता बतायी है । नचिकेतस् अंगिरस कुल में पैदा हुआ था था। किंतु वह उत्सव बंद कर, कृष्ण ने इससे कार्तिक शुद्ध ऐसा कई अभ्यासकों का मत है। इसे नाचिकेत एवं प्रतिपदा के दिन 'अन्नकुट' का उत्सव प्रारंभ किया नचिकेत नामांतर भी प्राप्त थे।
(भवि. प्रति. ४.१९.६१)। यह जब कृष्ण विरह से नड़ नैषध-एक राजा। इसके विजयों के व्याकुल हुआ। तब उद्धव ने इसका सांत्वन किया (भा. कारण, अपने शत्रुपक्षीयों को यह मृत्यु के देवता 'यम'
देवा १०.४६.२७-३०)। के समान प्रतीत होता था (श. ब्रा. २.२.४.१-२)।।
___नंदगोप के कुल में यशोदा के गर्भ से एक कन्या 'शतपथ ब्राह्मण' में दक्षिण के यज्ञाग्नि से इसकी तुलना |
उत्पन्न हुई थी। यह साक्षात् जगज्जननी दुर्गा का स्वरूप की गयी है। इस रूपकात्मक वर्णन का यथार्थ अर्थ क्या है, |
मानी जाती हैं। युधिष्ठिर ने विराटनगर जाते समय, उस .. यह नहीं समझ पाता । संभवतः यह दक्षिण देश का कोई
देवी का चिंतन किया, एवं देवी ने प्रत्यक्ष दर्शन दे कर राजा होगा । उसी कारण, दक्षिण दिशा का स्वामी 'यम' | उस वर दिया (म. वि. पार. १.४) । अर्जुन ने भं से इसकी तुलना की गयी सी दिखती है।
नंदगोप के कुल में उत्पन्न इस, देवी का स्तवन किया,..
एवं उसे विजयसूचक आशीर्वाद प्राप्त हुआ (म. भी. नड़ एवं दमयंती का पति नल एक ही होंगे। 'डलयोर भेदः' इस नियमानुसार, 'नड़' का बाद में प्रचार
२३)। में आया रूप नल होगा । नल राजा निषध देश
___ यह मधुपुरी उर्फ मथुरा के आसपास के महावन में का सम्राट था, एवं इसी लिये 'नैषध' नाम से प्रसिद्ध
रहनेवाले आभीर भानु नामक गोपों का मुखिया था। था, यह बात यहाँ ध्यान में रखना जरूरी है। इसके नाम आभीर भाबु-चन्द्रसुरभि-सुश्रवस्-कालमेदु-चित्रसेन-नंद का 'नड़ नैषिध' पाठभेद भी कई जगह प्राप्त है।
इस क्रम से इसकी वंशावलि महाभारत में दी गयी है।
इसके पिता चित्रसेन को कुल नौ पुत्र थे:-१. सुनंद, २. नड़ायन-भृगुकुल का एक गोत्रकार | इसके नाम का
उपनंद, ३. महानंद, ४. नंदन. ५. कुलनंद, ६. बंधुनंद, नवप्रभ पाठभेद भी प्राप्त है।
७. केलिनंद, ८. प्राणनंद, ९. नंद (आदि. ११)। नड्वला-वीरण प्रजापति की कन्या, तथा चक्षुर्मनु |
२. एक विष्णुभक्त राजा। इसकी भक्ति से संतुष्ट हो की पत्नी (भा. ४.१३.१६)।
कर विष्णु ने इसे एक सुंदर विमान दिया था। एक बार नदाकि-जिद्दक का नामांतर।
इसे मानससरोवर के सुवर्णकमलों का अपहार करने की नदिवर्मन्--(ऐति.) परिहरवंशीय शांतिवर्मा का
दुर्बुद्धि हुई। तत्काल इसका विमान नष्ट हो कर इसके सारे पुत्र (भवि. प्रति. ४.४)।
शरीर पर कोढ़ हुआ। पश्चात् वसिष्ठ की सलाह के अनुसार, नज-एक प्राचीन राजा। पांडवों की ओर से इसे |
इसने प्रभासक्षेत्र में तप किया। उस तप के पुण्यसंचय के 'रणनिमंत्रण भेजा गया था (म. उ. ४.२०)। कारण यह मुक्त हो गया (स्कन्द, ७.१.२५६)। '
नंद--गोकुल एवं नंदगाँव में रहनेवाला गोपों का | ३. वसुदेव को मदिरा से उत्पन्न पुत्र (भा. ९. २४. राजा एवं कृष्ण का पालक पिता (म. स. परि. १.२१. |८)। ७४५-७४७) । इसकी पत्नी यशोदा । यह द्रोणनामक | ४. (सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का पुत्र । भीम ने इसका वसु के अंश से उत्पन्न हुआ था (भा. १०.८.४८; पन. | वध किया (म. क. ३५.१७)। सु. १३; ब्र. १३) । बसु देव ने अपने नवजात बालक | ५. (नंद. भविष्य.) मगध देश का राजा । महानंदिन् . श्रीहरि को इसके घर में छिपा दिया था (भा. १०.३. | के समय, शिशुनाग वंश का अंत हो कर शूद्रापुत्र नंद
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